Delhi Election 2020: उम्मीदवार तय करने में भी छूट रहा पसीना
प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं जबकि कांग्रेस अपने पूर्व बयानों के अनुसार 20 से 25 उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी नहीं कर पाई है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। लोकसभा चुनाव के बाद इस विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की ओर से यही कहा जा रहा था कि अबकी बार उम्मीदवारों की घोषणा काफी पहले कर दी जाएगी। तर्क वही कि इससे उम्मीदवारों को अपने क्षेत्र में काम करने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा। लेकिन न तो ऐसा लोकसभा चुनाव में हो पाया और न ही इस बार। नामांकन प्रक्रिया शुरू हुए तीन दिन हो गए हैं, प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं जबकि कांग्रेस अपने पूर्व बयानों के अनुसार 20 से 25 उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी नहीं कर पाई है। दरअसल, पार्टी में मची दल- बदलुओं की भगदड़ ने पार्टी नेताओं की पेशानी पर भी बल डाल दिए हैं। यही वजह है कि उम्मीदवार तय करने में भी पसीना छूट रहा है। स्वाभाविक तौर पर पार्टी नहीं चाहती कि टिकट बंटवारे से नाराज होकर कुछ लोग और पार्टी छोड़ जाएं।
नेताओं के आरोपों पर डीडीए उड़ा रहा 'चिड़िया'
अमूमन सियासी रण में नेता ही आमने-सामने होते हैं, लेकिन दिल्ली के रण में इस बार गाहे बगाहे केंद्र सरकार के एक सरकारी विभाग दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को भी उतरना पड़ रहा है। दरअसल, हो क्या रहा है कि आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सदस्य संजय सिंह जब-तब डीडीए के बहाने केंद्र की भाजपा सरकार पर हमला बोलते रहते हैं तो अपने बचाव में डीडीए को भी 'चिडि़या' का सहारा लेना पड़ जाता है। टवीटर के जरिए डीडीए सांसद महोदय के आरोपों का जवाब भी देता है और अपना पक्ष भी रख देता है। यह बात अलग है कि टवीटर पर भी कोई जवाब देने से पहले संबंधित मंत्री से बाकायदा सलाह कर ली जाती है। टवीट में किसी अधिकारी का नाम भी नहीं होता बल्कि डीडीए के टवीटर पर ही सिलसिलेवार सभी आरोपों का जवाब डाल दिया जाता है। इसे कहते हैं सरकारी दांव पेच।