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Delhi Election 2020: पत्नी को टिकट क्या मिला प्रचार में दिल्ली को ही भूल गए जनाब

कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद को संगम विहार से टिकट मिला और वह वहीं के प्रचार तक सिमटकर रह गए। वे अंतिम दौर के प्रचार में भी नहीं दिखे।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 10:21 AM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 10:21 AM (IST)
Delhi Election 2020: पत्नी को टिकट क्या मिला प्रचार में दिल्ली को ही भूल गए जनाब
Delhi Election 2020: पत्नी को टिकट क्या मिला प्रचार में दिल्ली को ही भूल गए जनाब

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली कांग्रेस आलाकमान ने सुभाष चोपड़ा को दिल्ली का अध्यक्ष बनाया तो पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को प्रचार समिति की कमान सौंप दी। लेकिन विधानसभा चुनाव के अंतिम दौर के प्रचार में भी समिति अध्यक्ष खुद ही नदारद हैं। उनकी पत्नी पूनम आजाद को संगम विहार से टिकट क्या मिला, वह भी वहीं के प्रचार तक सिमटकर रह गए। टिकट की घोषणा के बाद से ही उनका प्रदेश कार्यालय आने और न ही किसी और प्रत्याशी के लिए कभी प्रचार करने की सूचना मिली। जब कभी भी उनसे इस बारे में पूछा गया तो उनका एक ही जवाब मिला, जब मुङो कुछ करने ही नहीं दिया जा रहा तो करूं भी क्या? कम से कम एक सीट के लिए तो काम करूं। अगर कोई और प्रचार करने बुलाएगा तो वहां भी चला जाऊंगा। अब किसी ने उन्हें बुलाया या नहीं, यह तो पता नहीं, लेकिन वह पत्नी के साथ व्यस्त हैं।

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..पुत्री मोह का त्याग

चुनाव मैदान में इस बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की बेटी शिवानी चोपड़ा भी उतरी हुई हैं। लेकिन प्रचार में साथ रहने को लेकर अक्सर पिता-पुत्री में तकरार हो जाती है। बेटी चाहती हैं कि पिता प्रचार में उन्हें रोज समय दें जबकि पिता अन्य उम्मीदवारों के प्रचार में भी पहुंच रहे हैं। कभी किसी के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन करने जाते हैं तो कभी किसी उम्मीदवार की जनसभा को संबोधित करने। प्रदेश पार्टी कार्यालय भी कमोबेश रोज आना रहता है। ऐसे में बहुत बार बेटी के लिए प्रचार नहीं भी कर पाते। बेटी नाराज हो जाती हैं और शिकायत भी करती हैं। लेकिन अध्यक्ष पिता का एक ही जवाब रहता है- तू मेरी बेटी है, ठीक है। लेकिन, बाकी उम्मीदवार भी तो मेरे लिए बेटा-बेटी जैसे ही हैं। मुङो तुम्हारे साथ-साथ उनके प्रचार में भी जाना है। पिता का यह जवाब बेटी को एकदम निरुत्तर कर देता है।

फूल रहीं सांसें, लेकिन दम बरकरार

जब आम आदमी पार्टी और भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पर चुनाव प्रचार में पिछड़ने के आरोप लगाए तो सभी जगह कानाफूसी शुरू हो गई कि कांग्रेस तो विधानसभा चुनाव लड़ ही नहीं रही। आम जनमानस के बीच भी कांग्रेस उम्मीदवारों को लेकर अलग-अलग बातें होने लगीं। प्रदेश के नेताओं ने तो इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को यह बात चुभ सी गई। शायद इसीलिए जब पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया तो वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और राज्यसभा में पार्टी के उपनेता आनंद शर्मा ने पुरजोर तरीके से कहा कि कांग्रेस दिल्ली में पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है। आप विधायक अवतार सिंह के बेटे मनप्रीत सिंह ने कांग्रेस का हाथ थामा तो एआइसीसी सचिव कुलजीत सिंह नागरा ने भी यही बात दोहराई। साथ ही कहा कि इसबार के विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले होंगे। अब बस इंतजार है।

उलझने से पहले ही सुलझा दिया मामला

चुनावी माहौल में अचानक छोटा मुद्दा भी तूल पकड़ लेता है। इसे लेकर सरकारी विभाग खासतौर पर सतर्कतता बरतते हैं। इसी का उदाहरण है कि कड़कड़डूमा स्थित सीबीडी ग्राउंड में सीवर की सफाई के दौरान एक मजदूर की मौत हुई तो डीडीए ने इस संवेदनशील मामले में ढिलाई नहीं बरती। अगले दिन इसकी जांच के लिए पूर्वी जोन के मुख्य अभियंता की निगरानी में एक समिति का गठन कर दिया। एक सप्ताह के भीतर डीडीए उपाध्यक्ष तरुण कपूर को जांच रिपोर्ट देने के निर्देश भी जारी कर दिए। यह बयान भी जारी कर दिया कि सीवर की सफाई का ठेका किसी व्यक्ति या कंपनी को नहीं दिया गया था। साथ ही मरने वाले और घायल मजदूरों के परिजनों को डीडीए की ओर से मुआवजा देने की घोषणा भी कर दी गई। इसे कहते हैं समझदारी। राजनीतिक स्तर पर रायता फैले, इससे पहले ही डीडीए ने मामला सुलझाने में भलाई समझी।


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