Delhi Assembly Elections 2020 : हुक्के की गुड़गुड़ाहट के बीच तय होगी शह-मात
नजफगढ़ विधानसभा क्षेत्र से दिल्ली सरकार में मंत्री और आप नेता कैलाश गहलोत भाजपा से अजीत खड़खड़ी और कांग्रेस के टिकट पर साहब सिंह चुनावी मैदान में हैं।
नई दिल्ली [भगवान झा]। Delhi Assembly Elections 2020: सियासत की बिसात पर शह-मात का खेल शुरू हो चुका है। पश्चिमी दिल्ली की नजफगढ़ विधानसभा सीट पर जहां आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी पांच साल के काम और विकास को हथियार बनाकर उतरे हैं। वहीं भाजपा अनुच्छेद 370, सीएए और अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण को मोहरा बनाकर मैदान मारने की कोशिश में जुट गई है।
ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाकर रोमांचक बनाने में जुटे हुए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब जो प्रत्याशी हुक्के की गुड़गुड़ाहट के बीच चर्चा में खुद को शामिल करने में सफल होगा, वही शह-मात के इस खेल का सिकंदर बनने में सफल होगा।
सियासी समर में नजफगढ़ विधानसभा क्षेत्र के योद्धाओं की बात करें तो पहली बार विधायक बनकर मंत्री पद तक का सफर तय करने वाले कैलाश गहलोत राजनीति की बारीकी से अवगत हैं। इससे ध्यान में रखकर उन्होंने अपनी रणनीति बना ली है। बिजली पानी के मुद्दों पर मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुटे कैलाश गहलोत को भाजपा प्रत्याशी अजीत खड़खड़ी से कड़ी चुनौती मिल रही है। दोनों ही प्रत्याशी ग्रामीण इलाकों से हैं, ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि नजफगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले करीब बीस गांव के मतदाताओं का रुख किस तरफ होता है।
वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी साहब सिंह मैदान में उतरकर चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वर्ष 2015 के चुनाव की बात करें तो एक तरफ दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों ने काफी अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी को मात दी थी, वहीं नजफगढ़ विधानसभा क्षेत्र में जीत का अंतर महज 1555 वोट का ही रहा था। ऐसे में इस बार भी यहां पर कांटे का मुकाबला होने की पूरी उम्मीद है।
एक तरफ भाजपा प्रत्याशी अजीत खड़खड़ी आप को नए स्कूल व कॉलेज के वादे की याद दिला रहे हैं, तो वहीं किसानों के सबसे बड़े हितैषी के रूप में खुद को पेश करने की कोशिश में लगे हुए हैं। वहीं, आप प्रत्याशी कैलाश गहलोत पानी व सीवर की पाइपलाइन के साथ-साथ खेल का मैदान व नगर वन पार्क के विकास के साथ अपनी दावेदारी को सबसे मजबूत आंक रहे हैं।
इसी तरह साहब सिंह शीला दीक्षित के कार्यकाल में हुए विकास कार्यो को लेकर जनता के बीच पहुंच आप व भाजपा पर निशाना साध रहे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि सियासी समर में आप, भाजपा व कांग्रेस के योद्धाओं में से कौन मतदाताओं के दिल में अपनी जगह बना पाता है या फिर कोई और प्रत्याशी इन सब पर भारी पड़ते हैं। कहा यह जा रहा है कि हुक्के की गुड़गुड़ाहट के बीच जिस प्रत्याशी की सबसे ज्यादा चर्चा होगी उसी के सिर ताज सजेगा।
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