Delhi Election Result 2020: केजरीवाल लहर में कांग्रेस ने खोया अपना रहा-सहा भी जनाधार
Delhi Election Result 2020 आप छोड़कर कांग्रेस में आए आदर्श शास्त्री और अलका लांबा को भी जनता ने पूरी तरह से नकार दिया।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा के संघर्ष में कांग्रेस इस बार दिल्ली में अपना वजूद भी करीब-करीब खो बैठी है। 2015 के मुकाबले पार्टी का वोट फीसद इस बार आधे से भी कम रह गया है। यही नहीं शीला दीक्षित के नेतृत्व में 2019 में कांग्रेस ने जो जनाधार बढ़ाया था, वह भी धड़ाम से नीचे आ गया। यहां तक कि एक भी प्रत्याशी खुद को दूसरे नंबर पर लाने में कामयाब नहीं हो सका।
सिर्फ गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली, समयपुर बादली से देवेंद्र यादव और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त ही जमानत बचाने में कामयाब रह पाए। आप छोड़कर कांग्रेस में आए आदर्श शास्त्री और अलका लांबा को भी जनता ने पूरी तरह से नकार दिया।
2015 में पार्टी को मिले थे नौ फीसद वोट, इस बार चार फीसद
2015 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस शून्य पर सिमट गई थी। लेकिन, तब कांग्रेस को नौ फीसद वोट मिले थे। वहीं मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट फीसद बढ़कर 22.4 फीसद हो गया था। इससे 70 में से 65 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस आप को पछाड़ कर दूसरे नंबर पर पहुंच गई थी। लेकिन, शीला के निधन के बाद पार्टी इस वोट फीसद को बढ़ाना तो दूर बरकरार भी न रख सकी। इस चुनाव में पार्टी महज चार फीसद वोटों पर ही सिमटकर रह गई।
गठबंधन रहा बेअसर, 67 सीटों पर जमानत जब्त
पहली बार कांग्रेस ने दिल्ली में बिहार की क्षेत्रीय पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ चार सीटों पर गठबंधन किया, लेकिन यह भी बेअसर रहा। इन चारों सीटों सहित कांग्रेस उम्मीदवार 67 सीटों पर अपनी जमानत नहीं बचा सके।
दिग्गज भी बचा नहीं पाए अपनी जमानत
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की बेटी शिवानी चोपड़ा, प्रचार समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद, मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा, पूर्व सांसद परवेज हाशमी, पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ, हारून यूसुफ, डॉ. नरेंद्र नाथ, पूर्व कद्दावर विधायक जयकिशन, राजेश लिलोठिया और सोमेश शौकीन सहित पार्टी के सभी दिग्गजों की जमानत जब्त हो गई।
प्रदेश अध्यक्ष ने ली नैतिक जिम्मेदारी, इस्तीफे की पेशकश
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए आलाकमान सोनिया गांधी को अपने इस्तीफे की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व मिलने के बाद उन्होंने बीते तीन माह में पूरी मेहनत की। चुनाव भी मजबूती से लड़ा, लेकिन शायद मुददों की लड़ाई में जनता ने कांग्रेस को महत्व नहीं दिया। इसके साथ ही उन्होंने पूर्ण बहुमत और 60 से अधिक सीटें हासिल करने पर आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को बधाई भी दी है।