दिल्ली कांग्रेस प्रभारी PC Chacko के खिलाफ बगावत! गुटबाजी ने बढ़ाई सोनिया की मुश्किल
बगावत का झंडा थामने को तैयार पार्टी के कुछ नेताओं ने संभावित अध्यक्ष के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान छेड़ दिया है तो कुछ नेता प्रभारी बदलने के लिए हस्ताक्षर कराने में लगे हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Delhi Assembly Election 2020: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 काफी समीप होने के बावजूद प्रदेश कांग्रेस मुश्किलों के दौर से उबर नहीं पा रही है। आलम यह है कि अभी तक तो अध्यक्ष पद को लेकर ही खींचतान चल रही थी, लेकिन अब प्रभारी को लेकर भी लामबंदी शुरू हो गई है। बगावत का झंडा थामने को तैयार पार्टी के कुछ नेताओं ने संभावित अध्यक्ष के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान छेड़ दिया है तो कुछ नेता प्रभारी बदलने के लिए हस्ताक्षर कराने में लगे हैं। इन हालातों में हो सकता है कि नए अध्यक्ष की घोषणा दीवाली तक लटक जाए।
गौरतलब है कि शीला दीक्षित के निधन को तीन माह होने को हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस को अब तक नया अध्यक्ष नहीं मिल पाया है। लंबी कवायद के बाद बीते शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद के नाम पर मुहर लगाई भी तो शीला समर्थक कुछ नेताओं द्वारा प्रभारी पी सी चाको के खिलाफ मोर्चा खोल देने पर इसकी औपचारिक घोषणा को एक- दो दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद पार्टी में सियासी हालात कुछ ऐसे बनते गए कि घोषणा लटकती ही जा रही है। थक हारकर चाको भी एक सप्ताह के लिए अपने गृह प्रदेश केरल लौट गए हैं।
पार्टी सूत्रों की मानें तो अध्यक्ष पद के लिए कीर्ति आजाद के नाम की घोषणा टलते ही इस पद के दावेदार एक बार फिर से अपने पक्ष में माहौल बनाने लग गए हैं। एक दावेदार तो बाकायदा हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं कि उन्हें अध्यक्ष पद पर कोई बाहरी नेता नहीं चाहिए। तर्क यह दिया जा रहा है कि अगर किसी बाहरी नेता को कमान सौंपी गई तो पार्टी बिखर जाएगी और बहुत से नेता पार्टी छोड़ देने का निर्णय लेने तक को बाध्य हो जाएंगे। इस तर्क से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भी अवगत करा दिया गया है।
दूसरी तरफ शीला समर्थक जिन नेताओं ने पीसी चाको के खिलाफ मोर्चा खोला है, उन्होंने भी इस दिशा में एक हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है। इस अभियान में प्रदेश कांग्रेस के तमाम नेताओं सहित अनेक जिला अध्यक्षों तक को शामिल कर लेने का दावा किया जा रहा है। इस अभियान का आधार यह है कि प्रदेश प्रभारी के तौर पर चाको के नेतृत्व में न तो पिछले करीब पांच साल में पार्टी कोई चुनाव जीत सकी है और न ही शीला दीक्षित जैसी दिल्ली की लोकप्रिय नेता को संगठन मजबूती के लिए काम करने दिया गया। इसलिए किसी अन्य को प्रदेश प्रभारी बनाया जाना चाहिए।
राजनीतिक जानकारों और पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की मानें तो यह जो कुछ भी हो रहा है, वह प्रदेश कांग्रेस की सेहत के लिए अच्छा कतई नहीं कहा जा सकता। अगर समय रहते पार्टी आलाकमान ने इस सब पर गंभीरता से संज्ञान नहीं लिया तो विधानसभा चुनाव में भी दिल्ली पांच साल दूर चली जाएगी। सूत्रों की मानें तो पहले 21 अक्टूबर को हरियाणा के विधानसभा चुनाव और उसके बाद फिर दीवाली के त्योहार को देखते हुए यह भी हो सकता है कि अब कोई भी निर्णय इस माह के अंत तक हो पाए।
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