दिल्ली चुनाव की राेचक स्टोरी: दलबदलू नेताओं के स्वागत के लिए माला एवं पटका लेकर आ रहे नेताजी
अपने पक्ष में चुनावी माहौल बनाने के लिए आजकल दिल्ली की तीनों प्रमुख सियासी पार्टियों में दल-बदलू नेताओं को अपना बनाने की होड़ लगी हुई है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तरी दिल्ली के एक विधायक इन दिनों जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। कुछ माह पहले राशन दुकानदारों से विवाद के कारण चर्चा में आए इन विधायक जी से लोग पूछ रहे हैं कि चुनाव प्रचार तो कर रहे हो। आपको टिकट मिल रहा है क्या? इस पर विधायक भी लोगों को जवाब दे रहे हैं कि आप से किसने कहा कि मुझे टिकट नहीं मिलेगा। खुद पार्टी के मुखिया ने कहा है कि आप अपने इलाके में मेहनत से लगे रहो। मैं तो उन्हीं के कहने पर वोट मांग रहा हूं।
कार्यकर्ताओं को सियासी गीत का इंतजार
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी की पहचान राजनीतिज्ञ के साथ प्रसिद्ध भोजपुरी गायक की भी है। इस लोकप्रियता का लाभ उन्हें सियासी सफर में भी मिला और आगे भी मिल रहा है। यही कारण है कि जनसभाओं और अन्य कार्यक्रमों में लोग उनसे गाना सुनाने की फरमाइश कर देते हैं। वह लोगों को निराश भी नहीं करते हैं। सियासी मंच से भी वह अक्सर अपनी पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में गीत सुनाकर कार्यकर्ताओं को उत्साहित करते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में उनका गाना ‘मोदी तेरी जरूरत है’ काफी लोकप्रिय हुआ था। लेकिन, विधानसभा चुनाव में वह अभी तक अपनी राग नहीं छेड़े हैं। 15 दिनों के अंदर पार्टी के दो बड़े कार्यक्रम हुए, हजारों लोगों की भीड़ जुटी। कार्यकर्ता अपने अध्यक्ष से गाना सुनने को बेताब थे, लेकिन उन्हें निराशा मिली। ऐसे में अभी कार्यकर्ता सियासी गीत सुनने के इंतजार में हैं।
नेताजी घोषणापत्र में मेरी भी हो बात
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बन चुके माहौल के बीच विभिन्न एनजीओ के लोग भी पार्टी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे लोग आम आदमी पार्टी के दफ्तर में प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। विभिन्न मुद्दों को उठा रहे हैं। एनजीओ से जुड़ीं चिराश्री घोष व स्नेहलता भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं। उन्होंने मजदूरों के बच्चों के लिए क्रेच खोलने के लिए आम आदमी पार्टी में अपना प्रस्ताव दिया है। पार्टी के चुनाव घोषणापत्र समिति के सदस्य डा. अजय कुमार को दिए प्रस्ताव में उन्होंने कहा है कि इसे भी घोषणापत्र में शामिल किया जाए। यह भी एक मुद्दा है। चिराश्री घोष कहती हैं कि मां-बाप के काम करने के दौरान धूल में लोट रहा मजदूर का नन्हा बच्चा भी देश का नागरिक है। उसे भी इज्जत से बचपन बिताने का अधिकार है।
दल बदलू नेताओं को अपना बनाने की होड़
अपने पक्ष में चुनावी माहौल बनाने के लिए आजकल दिल्ली की तीनों प्रमुख सियासी पार्टियों में दल-बदलू नेताओं को अपना बनाने की होड़ लगी हुई है। यह नेता भले ही गली- मोहल्ले के स्तर वाले क्यों न हों, लेकिन अपनी पार्टी में इन्हें शामिल कराने वाले नेता-पदाधिकारी इनका बखान ऐसे करते हैं कि मानो इनके साथ आ जाने से विरोधी पार्टी की रीढ़ ही टूट गई हो। उनके पदनाम भी ऐसे बताए जाते हैं जैसे उनका कद काफी बड़ा हो। हास्यास्पद यह भी कि एक ओर पार्टी इन दल बदलुओं को अपने साथ जोड़कर माइलेज लेने में लगी रहती है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में तो मालाएं और पटका भी औरों को शामिल कराने वाले नेता खुद ही साथ लेकर आते हैं। मतलब, जिस नेता की अगुवाई में यह दल बदलू पार्टी में शामिल होते हैं, वही इनके लिए फूल मालाएं और पटका भी लेकर आता है। इसे कहते हैं हींग लगे न फिटकरी, रंग आए चोखा।
अंदर बैठक, बाहर बेताबी
शनिवार को पंडित पंत मार्ग स्थित दिल्ली भाजपा दफ्तर में अन्य दिनों से ज्यादा भीड़ थी। विधानसभा का चुनाव लड़ने को बेताब नेता दफ्तर के आसपास मंडरा रहे थे। उन्हें विधानसभा चुनाव समिति की बैठक का इंतजार था। कोई दफ्तर के गेट पर खड़ा था तो कोई बैठक कक्ष के आगे। सभी की कोशिश समिति में शामिल नेताओं को अपना चेहरा दिखाने की थी जिससे कि बैठक में चर्चा के दौरान वह उसे याद रख सकें। जब तक बैठक चली दावेदार दफ्तर में ही डटे रहे। वे बंद कमरे में चल रही बैठक की जानकारी हासिल करने को इधर-उधर भटक रहे थे। इन नेताओं की बेताबी देखकर कई नेता चुटकी लेने से भी बाज नहीं आ रहे थे। उनका कहना था कि टिकट बंटने तक दावेदारों की धड़कन इसी तरह से बढ़ी रहेगी।