हर वोट बदल सकता है प्रत्याशियों का गणित, कभी मात्र 40 वोटों से टूटा था सत्ता का सपना
पिछले कई विधानसभा चुनावों में पांच से सात उम्मीदवार एक हजार से कम वोट से विजयी घोषित होते रहे हैं जबकि दर्जन भर से अधिक सीटों पर हार-जीत का अंतर 2100 से कम रहा है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। चुनाव में हर वोट अनमोल होता है, यह बात सिर्फ कहने की नहीं है। अब तक हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों के आंकड़े बाते हैं कि यहां 40 से 46 वोट के मामूली अंतर से भी हार-जीत का फैसला हो चुका है। इसलिए सभी मताधिकार का प्रयोग करें क्योंकि एक-एक वोट से प्रत्याशियों व सियासी दलों का चुनावी गणित बदल सकता है।
पांच से सात उम्मीदवार एक हजार से कम वोट से जीते
आंकड़े बताते हैं कि पिछले कई विधानसभा चुनावों में पांच से सात उम्मीदवार एक हजार से कम वोट से विजयी घोषित होते रहे हैं, जबकि दर्जन भर से अधिक सीटों पर हार-जीत का अंतर 2100 से कम रहा है।
पिछले चुनाव में ज्यादा था मतदान फीसद
हालांकि, पिछला चुनाव इसका अपवाद था। पिछले विधानसभा चुनाव में 67.12 फीसद मतदान हुआ था। संभवत: यही वजह है कि किसी भी सीट पर एक हजार से कम वोट के अंतर से फैसला नहीं हुआ। पिछली बार सबसे कम वोट (1555) से नजफगढ़ से आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी, जबकि वर्ष 2013 के चुनाव में 13 सीटों पर उम्मीदवार 2100 से कम वोट से जीते थे। इसमें से पांच सीटों पर जीत-हार का अंतर एक हजार से भी कम था।
तीन सीटों पर मात्र 300-400 वोट का रहा था अंतर
तीन सीटों पर तो उम्मीदवार महज 326 से 405 वोट के अंतर से जीते थे। इस चुनाव में भाजपा ने 31 व आप ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं भाजपा चार सीटों पर 355 से 777 वोट के अंतर से हारी और सत्ता तक नहीं पहुंच पाई।
46 वोट से बदल गई थी बाजी
वर्ष 2008 में राजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के दयानंद चंदेला ने भाजपा-अकाली दल गठबंधन को 46 वोट से हराया था। तब इस सीट पर अकाली दल से अवतार सिंह हित प्रत्याशी थे। वहीं वर्ष 1993 के चुनाव में आदर्श नगर सीट से कांग्रेस को 40 वोट से हार का सामना करना पड़ा था। तब मंगतराम सिंघल को भाजपा उम्मीदवार जयप्रकाश यादव ने हराया था। यह दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब तक सबसे कम वोट से जीत का रिकार्ड है। यह देखा गया है कि कई बार कुछ लोग सोचते रह जाते हैं और वोट नहीं डालने जाते। यही वजह है कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा मतदाताओं को जागरूक करने के लिए विशेष जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।