Delhi Assembly Election 2020: मुस्लिम बहुल सीटों में खूब चला AAP का जलवा, 5 कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जब्त
Delhi Assembly Election 2020 AAP द्वारा चुनावी मैदान में उतारे गए सभी पांचों उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से इन विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) का जादू वैसे तो पूरी दिल्ली में सिर चढ़कर बोला, पर मुस्लिम बहुल सीटों पर कुछ ऐसा झाड़ू चला कि दूसरे दलों को बटोरने के लिए चंद वोट ही मिले। AAP द्वारा चुनावी मैदान में उतारे गए सभी पांचों उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से इन विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है।
ओखला विधानसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी को जहां सर्वाधिक अंतर 71,827 से जीत मिली। वहीं, बल्लीमारान में तो सभी विधानसभा क्षेत्रों में सर्वाधिक 62.59 फीसद मत पड़ा। यहां से दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन ने 64.65 फीसद मतों के साथ जोरदार जीत दर्ज की। उनके खाते में 65,644 मत आए। जबकि पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा से आम आदमी पार्टी को महज 8,306 मत ही मिले थे।
नतीजे बताते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की पहली पसंद अरविंद केजरीवाल हैं। आप ने मटिया महल, सीलमपुर, ओखला, बल्लीमारान और मुस्तफाबाद से मुस्लिम समाज के प्रत्याशियों पर भरोसा जताया था। वहीं, कांग्रेस ने भी इन पांचों सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। AAP के सभी पांचों मुस्लिम उम्मीदवार बड़े अंतर से जीते हैं, जबकि कांग्रेस के पांचों मुसलमान प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है।
ओखला से AAP उम्मीदवार एवं दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान को 13,0367 (66.03 फीसद ) वोट मिले हैं। उन्होंने भाजपा के ब्रह्म सिंह को लगभग 70,000 मतों से पराजित किया है, जबकि इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चार बार विधानसभा पहुंचे और फिर राज्यसभा सदस्य भी रहे परवेज हाशमी को महज 4,575 (2.59 फीसदी) वोट मिले हैं।
2013 तक कांग्रेस का गढ़ रही सीलमपुर सीट पर भी AAP के प्रत्याशी अब्दुल रहमान को 72,694 (56.05 फीसदी) वोट मिले हैं। वह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के कौशल कुमार मिश्र से 36,920 वोटों से जीत गए हैं। वहीं, 1993 से लगातार 2015 तक विधायक रहे कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी मतीन अहमद तीसरे नंबर पर रहे। उन्हें 20,247(15.61 फीसद) वोट मिले हैं।
दिल्ली सरकार में मंत्री और बल्लीमारान से AAP उम्मीदवार इमरान हुसैन का भी अल्पसंख्यक समुदाय ने पूरा साथ दिया है, जबकि शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे हारून यूसुफ तीसरे नंबर पर रहे। हुसैन को 65,644 (64.65 फीसदी) वोट मिले। वहीं भाजपा की उम्मीदवार लता को महज 39,472 वोट ही मिले। वहीं, 1993 से 2015 तक इसी सीट से विधायक रहे यूसुफ को मात्र 4,802(4.73 फीसद) वोट ही मिले हैं।
इस बार मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से AAP उम्मीदवार हाजी युनूस ने जीत दर्ज की है। पिछली बार यहां से भाजपा के जगदीश प्रधान जीते थे। युनूस को 98,850 (53.2 फीसद) वोट मिले हैं। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार प्रधान को 20,704 वोटों से पराजित किया है। इस सीट से 2008 और 2013 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले हसन अहमद के बेटे अली महदी को महज 5,363 (2.89 फीसद) वोट मिले हैं। मटिया महल सीट से AAP के उम्मीदवार शोएब इकबाल को 67,282 (75.96 फीसद) वोट मिले हैं। उन्होंने इस सीट से छठवीं बार जोरदार जीत दर्ज की है। चुनाव से ठीक पहले वह कांग्रेस पार्टी छोड़कर वह AAP में शामिल हुए थे। उन्होंने भाजपा के रविंद्र गुप्ता को 50,241 मतों से पराजित किया है। वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार मिर्जा जावेद अली को 3,409 (3.85 फीसद) वोट मिले हैं। मटिया महल सीट पर 1993 से कभी भी कांग्रेस नहीं जीती है।