Delhi Election 2020: कांग्रेस को सता रहा भितरघात का डर, बागियों को मनाने में छूट रहे पसीने
Delhi Election 2020 उम्मीदवार न बनाए जाने से अनेक नेता और उनके कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं। ऐसे में पार्टी को भितरघात का खतरा भी सता रहा है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Delhi Election 2020 : टिकट वितरण के बाद अब रूठों को मनाने में भी कांग्रेस की सांसें फूल रही है। उम्मीदवार न बनाए जाने से अनेक नेता और उनके कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं। ऐसे में पार्टी को भितरघात का खतरा भी सता रहा है, इसलिए ऐसे नेताओं-कार्यकर्ताओं को समझाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद की नीति पर चला जा रहा है।
70 में से दो दर्जन विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां टिकट वितरण को लेकर पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी है। ऐसी सीटों में नरेला, तिमारपुर, बवाना, त्रिनगर, सदर बाजार, द्वारका, मटियाला, बिजवासन, नई दिल्ली, चांदनी चौक, कस्तूरबा नगर, छतरपुर, ओखला, कृष्णा नगर, रोहतास नगर, घोंडा, कोंडली मुस्तफाबाद इत्यादि सीटें प्रमुख रूप से शामिल हैं। चार सीटें बुराड़ी, उत्तम नगर, किराड़ी और पालम गठबंधन के तहत राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को दे दिए जाने से यहां के दावेदार और कार्यकर्ता भी नाराज हैं।
सुनील कुमार भी टिकट नहीं मिलने से आहत
सूत्र बताते हैं कि इनमें से काफी सीटों के दावेदार उस समय से पार्टी के लिए लगातार काम कर रहे थे, जबकि बड़े-बड़े नेता भी कांग्रेस को छोड़कर आप और भाजपा का दामन थाम रहे थे। पिछले दिनों भी प्रहलाद सिंह साहनी, शोएब इकबाल, रामसिंह नेताजी और विनय मिश्र जैसे कई नेता आप में शामिल हो गए। राजद के खाते में गई चारों सीटों के नेता-कार्यकर्ता तो स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं। चांदनी चौक से पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल, प्रदेश की राजनीति में खासे सक्रिय रहे चतर सिंह, सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार भी टिकट नहीं मिलने पर खुले तौर पर भले कुछ न कह रहे हों, लेकिन भीतर से काफी आहत हैं।
पार्टी को भितरघात का खतरा
डॉ. योगानंद शास्त्री ने तो टिकट वितरण में घपलेबाजी का आरोप लगाते हुए बीते सप्ताह पार्टी ही छोड़ दी है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी लाइन से बंधे होने के कारण बगावत चाहे कहीं नहीं हो रही हो, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि नाराज नेता-कार्यकर्ताओं ने पार्टी उम्मीदवार को मौन समर्थन दे दिया हो। सच यह है कि टिकट नहीं मिलने से नाराज नेता-कार्यकर्ता घर बैठ गए हैं। इससे मौजूदा उम्मीदवार का जनसमर्थन तो हल्का पड़ ही रहा है, भितरघात का खतरा भी मंडरा रहा है। पार्टी की तरफ से नाराज नेताओं को विभिन्न स्तरों पर समझाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने ऐसे नेताओं को नाराज न होने की सलाह दी है। उन्हें समझाया जा रहा है कि बिगाड़कर कोई फायदा नहीं होगा। इंतजार कीजिए, कुछ न कुछ अवश्य मिलेगा।
अनिल भारद्वाज (वरिष्ठ नेता, दिल्ली कांग्रेस) का कहना है कि नाराजगी वाली कहीं कोई बात नहीं है। टिकट वितरण पार्टी आलाकमान के निर्णय से होता है। जरूरी नहीं कि सभी दावेदारों की अपेक्षा पूरी हो ही जाए। कहीं-कहीं छोटा-मोटा मतभेद होता भी है तो उसे समझा-बुझाकर निपटा लिया जाता है।