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Delhi Election 2020: भाजपा ने झुग्गी में रहने वाले राजकुमार को बनाया है उम्मीदवार

Delhi Election 2020 कोंडली विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे राजकुमार ढिल्लो के पास संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 01:29 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 07:28 AM (IST)
Delhi Election 2020: भाजपा ने झुग्गी में रहने वाले राजकुमार को बनाया है उम्मीदवार
Delhi Election 2020: भाजपा ने झुग्गी में रहने वाले राजकुमार को बनाया है उम्मीदवार

नई दिल्ली [सुधीर कुमार]। Delhi Election 2020: दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 में चुनाव लड़ रहे लखपति से लेकर करोड़पति प्रत्याशियों की कमी नहीं है, लेकिन इन्हीं में कोंडली विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे राजकुमार ढिल्लो भी हैं। उनके पास संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं है। वे झुग्गी में रहते हैं। राजकुमार ढिल्लो निगम में विभिन्न अहम पदों पर रहने के बाद उपमहापौर तक बने।

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आमदनी का नहीं कोई साधन

बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजकुमार ढिल्लो के पास अब आमदनी का भी कोई साधन नहीं है। एक छोटी दुकान थी, जिसे अब बहू संभाल रही है। वे कल्याणपुरी के 17 ब्लॉक की झुग्गी में 10 बाई 10 फीट के कमरे में पत्नी व बेटे-बहू के साथ रहते हैं। अब एक कमरा ऊपर भी बना लिया है।

यूपी के बड़ौत के रहने वाले हैं भाजपा प्रत्याशी

मूल रूप से बड़ौत के गुराना गांव के रहने वाले राजकुमार ढिल्लो 11वीं पास करने के बाद 1984 में गाजियाबाद में नेहरू नगर के बारादरी में आए थे। यहां किराये पर रह कर कुछ दिनों तक नौकरी की, लेकिन जिस दिन इनकी बेटी का जन्म हुआ, उसी दिन जीडीए ने मकान तोड़ दिया। इसके बाद वे 1985 में दिल्ली आ गए और यहां राजवीर कॉलोनी में दो माह किराये पर रहे। फिर कल्याणपुरी की झुग्गी बस्ती में किराये पर रहे। पहले गाजियाबाद में एक कंपनी में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी की। इसके बाद पालम एयरपोर्ट पर नौकरी की।

आंधी तूफान ने तोड़ डाली थी झुग्गी

वहीं, जब समाजसेवा की वजह से नौकरी भी छूट गई, जिससे रेहड़ी पर सब्जी बेचने लगे। इसी बीच कल्याणपुरी में 17 ब्लॉक में झुग्गी डाल ली। पहले कच्ची झुग्गी थी, जिसे कई बार पुलिस ने तो कई बार आंधी-तूफान ने तोड़ा। धीरे-धीरे उसे पक्की बनाई और जब परिवार बढ़ा तो उसके ऊपर भी एक कमरा बना लिया।

परचून की दुकान भी चला चुके हैं नेता जी

राजकुमार ढिल्लो ने झुग्गी में परचून की दुकान भी चलाई। बाद में हाउस कीपिंग की ठेकेदारी का पंजीकरण करवाया और काम चलने लगा, लेकिन समाज सेवा और राजनीति में व्यस्तता की वजह से काम पर ध्यान नहीं दे पाए। इससे पंजीकरण को किराये पर देकर पांच हजार रुपये महीना कमाने लगे। पार्षद बनने के बाद वह काम भी छूट गया मगर तब तक बच्चे कमाने लगे, जिससे दिक्कत नहीं हुई। दोबारा दुकान खोली तो उधार की वजह से वह भी बंद हो गई अब उसमें बहू ने पार्लर खोला है।

जमीन से संघर्ष करते हुए पाई उम्मीदवारी

राजकुमार ढिल्लो बताते हैं कि दादा व पिता से ही उन्हें समाजसेवा की प्रेरणा मिली थी। दिल्ली में आने के बाद वे 1987 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा से जुड़ गए। आरएसएस से प्रथम वर्ष शिक्षित हैं। सेवा भारती में भी काम किया है। कई छोटे पदों से होते हुए चुनाव जीतकर मंडल अध्यक्ष बने, फिर जिला और प्रदेश में भी कई पदों पर रहे। अभी प्रदेश भाजपा में अनुसूचित जाति मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ ही बूथ प्रबंधन विभाग में सह संयोजक हैं।

समाजसेवा के तहत नशे के खिलाफ किया काम

राजकुमार ढिल्लो ने अपने इलाके में नशे के खिलाफ काफी काम किया है। इनकी प्रेरणा से कई लोग नशे से दूर हुए। इसके अलावा उन्होंने समाज की गरीब कन्याओं के विवाह में भी वाल्मीकि आश्रम के साथ मिलकर काम किया।

वहीं, हलफनामे के अनुसार नामांकन दाखिल करते समय राजुकमार ढिल्लो के पास 30 हजार रुपये कैश और एक हजार रुपये बैंक में थे। वहीं, पत्नी के पास 20 हजार रुपये थे। पत्नी के पास चांदी का 4900 रुपये का एक गहना है। इसके अलावा उनके पास कोई संपत्ति नहीं है।

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