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VIDEO: दिल्ली की इस लोकसभा सीट पर युवा बनाम अनुभव का मुकाबला, दिलचस्प हुई लड़ाई

पश्चिमी दिल्ली सीट पर कांग्रेस से पूर्वांचल के महाबल मिश्र को टिकट मिलने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 05:37 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 05:37 PM (IST)
VIDEO: दिल्ली की इस लोकसभा सीट पर युवा बनाम अनुभव का मुकाबला, दिलचस्प हुई लड़ाई
VIDEO: दिल्ली की इस लोकसभा सीट पर युवा बनाम अनुभव का मुकाबला, दिलचस्प हुई लड़ाई

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव प्रचार अब अपने चरम पर है। सुबह छह से रात दस बजे तक प्रत्याशी पसीना बहा रहे हैं। पश्चिमी दिल्ली सीट पर कांग्रेस से पूर्वांचल के महाबल मिश्र को टिकट मिलने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। यहां से भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा जहां अपने पिछले पांच वर्षों के दौरान हुए कार्यों के बल पर वोट मांग रहे हैं, वहीं आम आदमी पार्टी प्रत्याशी बीएस जाखड़ राजधानी में पानी, बिजली, शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में सूबे की सरकार की ओर से किए गए कार्यों को लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं।

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महाबल मिश्र अपने कार्यकाल के दौरान हुए कार्यों को जनता के सामने रखते हैं। इस दिलचस्प मुकाबले में कौन बाजी मारेगा यह आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि टक्कर कांटे की होगी। पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण व मुद्दों को लेकर पेश है भगवान झा की रिपोर्ट

पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र 2008 से पहले दो लोकसभा क्षेत्रों में विभाजित था। कुछ इलाका बाहरी दिल्ली में आता था तो कुछ दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में था। नई सीट बनने के बाद कई कद्दावर नेताओं ने इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों से किस्मत आजमाई। दक्षिणी दिल्ली सीट पर चुनाव लड़ने वालों में ऐसे-ऐसे नाम हैं, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। इस सीट पर किस्मत आजमाने वालों में डॉ. मनमोहन सिंह, सुषमा स्वराज, प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा, मदनलाल खुराना जैसे दिग्गज नेता रहे हैं।

एक दशक तक प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह को इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा से शिकस्त मिली थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे मदन लाल खुराना भी इस सीट से दो बार जीते। सुषमा स्वराज इस सीट से दो बार सांसद बनीं। बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा किस्मत आजमा चुके हैं। दो लोकसभा क्षेत्र में आने के कारण इलाके में विकास की रफ्तार थम सी गई थी।

वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र बना। इस सीट पर अब तक दो लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के महाबल मिश्र पहले सांसद बने। मिश्र ने भाजपा के जगदीश मुखी को एक लाख से ज्यादा वोट से हराया था। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रवेश वर्मा ने यहां से शानदार जीत दर्ज की थी। अभी तक के इतिहास पर नजर डालें तो दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट पर मतदाताओं ने नए चेहरे को ही आशीर्वाद दिया है।

संसदीय क्षेत्र का समीकरण

पश्चिमी दिल्ली का इलाका विविधता से भरा हुआ है। एक तरफ 50 से ज्यादा गांव इस संसदीय सीट में आते हैं, वहीं सौ से ज्यादा अनाधिकृत कॉलोनियां भी इस सीट में हैं। अगर पॉश कॉलोनी की बात करें तो उसकी भी कमी नहीं है। द्वारका, जनकपुरी, राजौरी गार्डन, मादीपुर ऐसे इलाके हैं जहां समस्याएं काफी कम हैं। ऐसे में ग्रामीण, शहरी और पॉश कालोनियों की जरूरतें भी अलग-अलग हैं। यह क्षेत्र पंजाबी व पूर्वांचली बाहुल है। यहां पर उत्तम नगर, द्वारका, मटियाला, विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र में पूर्वांचलियों की संख्या काफी है, वहीं राजौरी गार्डन, हरि नगर, जनकपुरी, तिलक नगर का इलाका पंजाबी बाहुल है। इसके अलावा नजफगढ़ व मटियाला में जाट मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है।

पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में ये हैं विधानसभा क्षेत्र

राजौरी गार्डन. तिलक नगर, हरि नगर, जनकपुरी, द्वारका, उत्तम नगर, मटियाला. नजफगढ़. विकासपुरी, मादीपुर।

वर्ष 2009 में मिले मत

महाबल मिश्र : कांग्रेस4,79,899

प्रो. जगदीश मुखी: भाजपा 3,50,889

प्रवेश वर्मा की मजबूती

-साफ-सुथरी छवि के नेता हैं। युवा हैं और लोगों के बीच रहने वाले नेता हैं।

-प्रवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा का इस क्षेत्र से गहरा लगाव था ऐसे में इसका लाभ भी मिल सकता है।

- पिछले पांच वर्षों के दौरान हुए कार्य का लाभ भी मिल सकता है

प्रवेश वर्मा की कमजोरी

-दो जाट प्रत्याशियों के खड़ा होने से जाट वोट बंटने का खतरा है, कांग्रेस प्रत्याशी को इसका लाभ मिल सकता है।

-देरी से टिकट मिलने के कारण चुनाव प्रचार के लिए काफी कम समय मिला, अभी तक पूरा क्षेत्र नहीं घूम पाए।

-किसी भी बड़ी योजना का निर्माण कार्य पिछले पांच वर्ष के दौरान इलाके में नहीं पूरा हुआ है।

महाबल मिश्रा की मजबूती

-पिछले 22 वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं, अनुभव का लाभ मिल सकता है

-वर्ष 2014 में चुनाव हारने के बाद भी पूरे पांच वर्ष जनता के बीच बने रहे। लोगों के यहां आना-जाना लगा रहा

-कांग्रेस में सबसे बड़े पूर्वांचली नेता हैं और इस क्षेत्र में पूर्वांचलियों की संख्या सबसे ज्यादा है।

महाबल मिश्रा की कमजोरी

-नामांकन के आखिरी दिन से एक दिन पहले टिकट मिलने से चुनाव की तैयारी के लिए नहीं मिला ज्यादा समय।

-वर्ष 2014 में हार के बाद अब मतदाताओं को अपने से जोड़ना बड़ी चुनौती है।

- कांग्रेस कार्यकर्ताओं में पहले हुई हार के बाद निराशा छाई हुई थी। ऐसे में उनमें उत्साह का संचार करना बड़ा कठिन है।

बीएस जाखड़ की मजबूती

- नए चेहरे का लाभ इन्हें मिल सकता है। महाबल मिश्र व प्रवेश वर्मा यहां से सांसद रहे हैं। ऐसे में इन दोनों प्रत्याशियों को लेकर लोगों की शिकायतें भी हैं।

- नामांकन से काफी पहले प्रत्याशी घोषित होने के कारण चुनाव प्रचार का काफी समय मिला

-साफ-सुथरी छवि व युवा हैं।

बीएस जाखड़ की कमजोरी

- जाट व पूर्वांचल के वोटरों को अपने पाले में करना कठिन है।

- इनके पास राजनीति का अनुभव नहीं रहा है, ऐसे में महाबल मिश्र व प्रवेश वर्मा से मुकाबला इतना आसान नहीं है।

-काफी दिनों तक कांग्रेस से गठबंधन की चर्चा होने के बाद बात नहीं बनने से वोट बंटेगा और इससे नुकसान हो सकता है।

वर्ष 2014 में कुल पड़े मत

-इस वर्ष 20 लाख 38 हजार 67 मतदाता थे। इसमें से 13 लाख 439 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था

ये हैं मुख्य मुद्दे

खेती करने वालों को नहीं दिया गया है किसान का दर्जा, साफ-सफाई को लेकर नहीं है बेहतर व्यवस्था।

अभी भी कई इलाकों में टैंकर से पानी की आपूर्ति हो रही है, सार्वजनिक परिवहन की भारी किल्लत है।

वेस्ट कैंपस की परियोजना नहीं चढ़ी सिरे, नए कॉलेज बनाने को लेकर नहीं उठाए गए कदम।

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