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छत्तीगसढ़ में टिकट के दंगल में दागी, बढ़ी भाजपा की मुश्किल

छत्तीगसढ़ में 90 विधानसभा में से एक दर्जन विधानसभा सीट पर दागी दावेदारों ने टिकट की मांग की है, जिससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

By Arti YadavEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 09:26 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 09:26 AM (IST)
छत्तीगसढ़ में टिकट के दंगल में दागी, बढ़ी भाजपा की मुश्किल
छत्तीगसढ़ में टिकट के दंगल में दागी, बढ़ी भाजपा की मुश्किल

रायपुर (मृगेंद्र पांडेय)। छत्तीगसढ़ में टिकट के दंगल में दागी दावेदारों के ताल ठोकने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रदेश की 90 विधानसभा में से एक दर्जन विधानसभा सीट पर दागी दावेदारों ने टिकट की मांग की है। सरगुजा से लेकर बस्तर तक दागी दावेदारों का दबाव संगठन पर बढ़ता जा रहा है। इस बीच, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश संगठन को दो टूक कहा है कि चुनाव में किसी भी दागी उम्मीदवार को मैदान में न उतारा जाए। यही नहीं, प्रदेश संगठन की ओर से केंद्रीय चुनाव समिति को भेजे जाने वाले दावेदारों के पैनल में भी दागी उम्मीदवारों के नाम नहीं आने चाहिए। शाह के फरमान के बाद प्रदेश संगठन की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

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भाजपा के आला नेताओं ने बताया कि टिकट के दावेदारों में निगरानीशुदा बदमाश से लेकर जमीन और आर्थिक अपराध के मामलों के आरोपित शामिल हैं। इन रसूखदारों के पास पैसा तो है, अब पद लेकर क्षेत्र में अपनी धाक जमाना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि अमित शाह की कोर टीम ने प्रदेश में जो सर्वे किया है, उसमें सरगुजा की रामानुजगंज, भटगांव, कोरिया की मनेंद्रगढ़, बस्तर की अंतागढ़ और भानुप्रतापपुर सीटों पर दागी दावेदारों ने आवेदन किया है।

जब यह रिपोर्ट केंद्रीय संगठन के पास पहुंची तो प्रदेश संगठन के लिए एक फार्मूला तय कर दिया गया। बताया जा रहा है कि शाह के इस फार्मूले में कई वर्तमान विधायकों का भी टिकट कट सकता है। दरअसल, इससे पहले चुनाव जीतने के बाद कई विधायक क्षेत्र में आतंक मचा चुके हैं। हाल ही में तखतपुर के विधायक राजू क्षत्री ने थाने में जमकर बवाल किया था, जिससे पार्टी की छवि प्रभावित हुई। वहीं, मंत्री पुन्नूलाल मोहले के भतीजे के विवाद के कारण भी संगठन को किरकिरी झेलनी पड़ी थी।

जातिगत फार्मूले में फिट बैठ रहे दागी

खास बात यह है कि कई विधानसभा सीटों पर दागी दावेदार जातिगत फार्मूले में फिट बैठ रहे हैं। अगर पार्टी थोड़ी नरमी बरतकर उनको टिकट देती है, तो जीत मिल सकती है। टिकट न देने की स्थिति में वोटरों की नाराजगी भी उठानी पड़ सकती है। ऐसे में पार्टी के सामने इन चुनौतियों से निपटने का संकट खड़ा हो गया है।

पिछले चुनाव में दागी नेताओं को मिली थी जीत

2013 के विधानसभा चुनाव में कई दागी उम्मीदवारों को जीत मिली थी। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों की मानें तो मंत्री महेश गागड़ा पर आपराधिक मामला है। यही नहीं, कांग्रेस से कोरबा विधायक जयसिंह अग्रवाल के खिलाफ मामले हैं। राजनीतिक मामलों में प्रदेश के आधे से ज्यादा विधायक फंसे हैं। ऐसे में पार्टियों के सामने दागियों को साधने की चुनौती है।


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