छत्तीसगढ़ की 37 विधानसभा सीटों पर ओबीसी वोटर बदल सकते हैं दलों की किस्मत!
राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो प्रदेश की 37 विधानसभा में साहू वोटर प्रभावी भूमिका में है।
मृगेंद्र पांडेय, रायपुर, नईदुनिया। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में विभिन्न जातीय समाजों की ओर से टिकट के दावेदारों की फौज खड़ी हो गई है। मतदाताओं के लिहाज से प्रदेश के सबसे बड़े साहू समाज की ओर से कांग्रेस और भाजपा में 15 से 18 सीट पर टिकट की मांग की जा रही है। पिछले तीन चुनावों में दोनों दलों ने साहू समाज के नेताओं को न सिर्फ टिकट दिया, बल्कि हर विधानसभा में आठ से 12 साहू विधायक पहुंचे।
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में नौ साहू विधायकों ने विधानसभा में दस्तक दी। इसमें पांच भाजपा और चार कांग्रेस की टिकट पर जीतकर पहुंचे हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो प्रदेश की 37 विधानसभा में साहू वोटर प्रभावी भूमिका में है। यहां हार-जीत तय करने में समाज के मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बस्तर से लेकर सरगुजा तक साहू वोटरों को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस समाज के बड़े नेताओं को साथ लाने की कोशिश करती रही है।
भाजपा सरकार में भी साहू समाज के नेताओं को वजनदार विभाग देकर साधने की कोशिश करती रही है। पिछली सरकार में चंद्रशेखर साहू, तो इस सरकार में रमशीला साहू को मंत्री बनाया गया। निगम-मंडल और आयोग से लेकर संसदीय सचिव बनाने में भी समाज के नेताओं की भाजपा ने अनदेखी नहीं की। कांग्रेस ने भी ताम्रध्वज साहू से लेकर अधिकांश बड़े नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है। चुनाव से पहले कांग्रेस की कोशिश है कि साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष विपिन साहू को अपने पाले में किया जाये। हालांकि साहू समाज के दो कार्यकारी अध्यक्ष शांतनू साहू और थानेश्वर साहू खुले तौर पर भाजपा के साथ हैं और टिकट की मांग भी कर रहे हैं। विपिन साहू का बालोद और दुर्ग ग्रामीण में प्रभाव है। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि विपिन को अपने पाले में करके रमशीला साहू को टक्कर दी जा सके।
रायपुर ग्रामीण और अभनपुर पर लगता है दांव
विधानसभा चुनाव में रायपुर ग्रामीण और अभनपुर सीट से कांग्रेस और भाजपा साहू उम्मीदवारों को मैदान में उतारती है। वर्ष 2008 के चुनाव में रायपुर ग्रामीण से भाजपा के नंदे साहू जीते और अभनपुर से चंद्रशेखर साहू की जीत हुई थी। वहीं, 2013 के चुनाव में नंदे साहू और चंद्रशेखर साहू को हार मिली, वहीं अभनपुर से साहू समाज के ही धनेंद्र साहू की जीत हुई। इस चुनाव में समाज की ओर से कार्यकारी अध्यक्ष शांतनू साहू भाजपा से रायपुर ग्रामीण से दावेदारी कर रहे हैं। समाज के नेताओं का मानना है कि अगर भाजपा साहू समाज से नये उम्मीदवार को मैदान में उतारती है, तो उसे सफलता मिल सकती है।
बस्तर में नेशनल हाइवे से लगी सभी सीटों पर पांच से 15 हजार वोटर
बस्तर में भी साहू समाज के वोटर प्रभावी भूमिका में है। नेशनल हाइवे से लगी सभी विधानसभा सीट पर साहू समाज के वोटरों की संख्या पांच हजार से 15 हजार है। बस्तर की 12 विधानसभा सीट में 11 सीट आदिवासी समाज के लिए आरक्षित है, लेकिन साहू समाज की अनदेखी कोई भी दल नहीं करता है। बस्तर में हार-जीत का अंतर तीन हजार से दस हजार वोट के बीच रहता है। ऐसे में साहू मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
फैक्ट फाइल-
यह हैं साहू विधायक
भाजपा-तोखन साहू, डॉ खिलावन साहू, चुन्नीलाल साहू, रमशीला साहू, अशोक साहू।
कांग्रेस-चुन्नीलाल साहू, धनेंद्र साहू, दलेश्वर साहू, भोलाराम साहू।
इन विधानसभा में साहू वोटर हैं प्रभावी
प्रदेश की महासमुंद, खल्लारी, बालोद, बेमेतरा, कसडोल, बिलाईगढ़, बसना, सिहावा, गुंडरदेही, धमतरी, कुस्र्द, राजिम, रायपुर ग्रामीण, रायपुर पश्चिम, रायपुर दक्षिण।