चुनाव आयोग के नियम में ही नहीं कैशलेस, इसलिए नगद बेच रहे नामांकन
वर्तमान में जो नियम हैं उसके मुताबिक अभ्यर्थियों को नकद रकम लेकर ही नामांकन फार्म उपलब्ध कराया जाना है।
दुर्ग/महासमुंद। केंद्र सरकार द्वारा भले ही डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने अभियान चलाया जा रहा है। खरीद पर कैशलेस पेमेंट की बात कही जा रही है। वहीं नामांकन फार्म अभी भी नकद रकम लेकर ही बेचा जा रहा है। यहां कैशलेस पेमेंट की सुविधा नहीं है।
निर्वाचन कार्य में नामांकन पत्र खरीदने के लिए कैशलेस पेमेंट की सुविधा नहीं है। एडीएम संजय अग्रवाल का कहना है कि इसके लिए आयोग को नियमों में संशोधन करना पड़ेगा। वर्तमान में जो नियम हैं उसके मुताबिक अभ्यर्थियों को नकद रकम लेकर ही नामांकन फार्म उपलब्ध कराया जाना है।
नामांकन पत्र विक्रय से प्राप्त राशि बैंक में जमा करनी पड़ती है। वहीं दूसरी ओर निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव से संबंधित कई जानकारियां व कार्यों को भी ऑनलाइन किया गया है। लोग मतदाता सूची में नाम जुड़वाने ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। चुनाव से संबंधित कई जानकारियां ऑनलाइन की गई है, लेकिन नामांकन पत्र के कैशलेस पेमेंट की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में फिलहाल पहल नहीं की जा रही है।
आवेदक तैयार, प्रशासन के पास सुविधा नहीं
महासमुंद के कलेक्टोरेट के सिंगल विंडो में चारों विधानसभा क्षेत्र के लिए नामांकन फार्म की बिक्री हो रही है। नामांकन फार्म लेने के लिए यहां नगद धनराशि ली जा रही है। नामांकन लेने पहुंचे कुछ आवेदकों ने डेबिट कार्ड दिखाकर भुगतान करना चाहा, पर उन्हें निराशा हाथ लगी। हालांकि कलेक्टर का तर्क है कि नामांकन फार्म का शुल्क बैंक चालान के माध्यम से भी जमा किया जा सकता है।
'सिंगल विंडो पर कैश से व बैंक चालान के माध्यम से जमानत राशि जमा करने की सुविधा है। पीओएस मशीन, कैशलेस की व्यवस्था नहीं है।" - हिमशिखर गुप्ता, जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर, महासमुंद
विपक्षी बना रहे मुद्दा
केंद्र सरकार के कैशलेस नारे की पोल खोलने के लिए विपक्षी दलों के नेता इसे मुद्दा बना रहे हैं। डेविट कार्ड से फार्म खरीदने की सुविधा न मिलने पर नेता आरोप लगा रहे हैं कि तमाम कोरी घोषणाओं की तरह यह भी भाजपा सरकार का महज एक हौवा है।