नक्सलियों का फरमान- नेता वोट मांगने आएं तो पकड़ कर जनअदालत में लाओ
पुलिस भी नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। जबकि नक्सली अपनी ताकत दिखाने पर आमादा दिख रहे हैं।
रायपुर, नईदुनिया राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के मतदान के लिए अभी करीब डेढ़ महीने का समय शेष है लेकिन नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार की तैयारी शुरू कर दी है। पुलिस भी नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। जबकि नक्सली अपनी ताकत दिखाने पर आमादा दिख रहे हैं।
नक्सलियों ने दो दिन पहले सुकमा-कोंटा इलाके के जंगलों में जगह-जगह पर्चे फेंके हैं। कई जगह बैनर भी टांगा है। इन पर्चों में कहा गया है कि कोई नेता अगर चुनाव प्रचार के लिए आता है तो उसे जन अदालत में लेकर आएं। वहीं फैसला होगा कि उसे प्रचार करने दिया जाए या नहीं।
भाजपा नेताओं को मार भगाओ
पर्चों में लिखा है कि भाजपा वाले अगर गांव आते हैं तो उन्हें मार भगाओ। अन्य दलों वाले आते हैं तो जन अदालत में बात होगी। बस्तर के सुदूर इलाकों में नेता वैसे भी प्रचार करने के लिए नहीं जाते हैं। शहरों और कस्बों तक ही चुनावी प्रचार सीमित होता है।
अंदरूनी इलाकों के ग्रामीणों तक संदेश भेजने के लिए साप्ताहिक बाजारों का सहारा लिया जाता है। चुनाव प्रचार के दौरान नक्सली बहुत से नेताओं की हत्या कर चुके हैं। 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा के नकुलनार इलाके में प्रचार करने गए भाजपा दो नेताओं की निर्मम हत्या कर दी थी। इस तरह की और भी घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
रोज खुल रहे नए कैंप
पुलिस अंदरूनी इलाकों में लगातार शिकंजा कसती जा रही है। स्पेशल डीजीपी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने नईदुनिया से कहा-पहले जहां ऑपरेशन करने की सोच नहीं पाते थे वहां अब फोर्स रोज गश्त कर रही है। जवानों का हौसला आसमान पर है।
हम नक्सलगढ़ में रोज नए कैंप खोल रहे हैं। शुक्रवार को भी एक कैंप खुला है। चुनाव के दौरान जमीन से लेकर आसमान तक नजर रखी जाएगी। पड़ोसी राज्यों से समन्वय कर सीमाओं को सील किया जाएगा। उनकी मजाल नहीं होगी कि यहां गड़बड़ी की सोच भी पाएं।