Bhupesh Cabinet में जातीय समीकरण का ध्यान, ब्राह्मण नेताओं को कम तवज्जो
Bhupesh Cabinet में सामान्य वर्ग की दो मंत्री, ओबीसी चार, एसटी तीन और अल्पसंख्यक एक।
रायपुर। भूपेश मंत्रिमंडल में जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश तो भरपूर की गई है लेकिन कांग्रेस की परंपरा के उलट ब्राह्मण नेताओं को इस बार कम तवज्जो मिल पाई। सत्यनारायण शर्मा जैसे कद्दावर नेता को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई।
अमितेश शुक्ल समेत दूसरे ब्राह्मण नेताओं में भी इससे नाराजगी है। ब्राह्मण सात सीटें जीतकर आए हैं। इससे पहले यहां की राजनीति ही शुक्ल बंधु चलाते रहे थे। अब कांग्रेस का जातीय समीकरण बदला है। सबसे ज्यादा तवज्जो अनुसूचित जाति के नेताओं को मिली है।
अनुसूचित जाति की दस में सात सीटों पर कांग्रेस जीती है और दो विधायकों रूद्र गुरु और शिव डहरिया को कैबिनेट में जगह मिल गई है। आदिवासी सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार बेहद अच्छा माना गया है। आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटें और बस्तर संभाग की 12 में से 11 सीटों पर कांग्रेस को विजय मिली है। आदिवासी विधायकों में कवासी लखमा, प्रेमसाय सिंह, अनिला भेड़िया तीन को कैबिनेट में जगह मिली है।
कांग्रेस ने अल्पसंख्यक समुदाय के अपने बड़े नेता मोहम्मद अकबर को मंत्री बनाया है। ओबीसी समुदाय से उमेश पटेल, जयसिंह अग्रवाल, ताम्रध्वज साहू और खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं। सामान्य वर्ग से ब्राह्मण मंत्री रविंद्र चौबे के अलावा टीएस सिंहदेव भी हैं। यानी जातीय समीकरणों में सभी का ख्याल रखने की कोशिश की गई है।
जातीय समीकरणों की जरूरत क्यों
प्रदेश में करीब 33 फीसद आदिवासी, 12 फीसद अनुसूचित जाति, 50 फीसद ओबीसी हैं। यहां की राजनीति में जातीय धु्रवीकरण भले ही उतना नहीं होता लेकिन सभी जातियों को समान प्रतिनिधित्व की अवधारणा का ध्यान हर सरकार रखती आई है। ओबीसी समुदाय को इसीलिए सबसे ज्यादा तवज्जो मिली है। सामान्य वर्ग और एससी को भी उनकी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है।