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CG Election 2018: रमन सरकार के आठ मंत्रियों को जनता ने नकारा

raman cabinet minister in chhattisgarh मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय की भी छवि उग्र नेता की बन गई थी।

By Sandeep ChoureyEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 10:45 AM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 10:45 AM (IST)
CG Election 2018: रमन सरकार के आठ मंत्रियों को जनता ने नकारा
CG Election 2018: रमन सरकार के आठ मंत्रियों को जनता ने नकारा

रायपुर। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में जनता ने सबसे बड़ा झटका रमन सरकार के मंत्रियों को दिया है। डॉ रमन सिंह की कैबिनेट के सिर्फ तीन मंत्री अपनी सीट बचा पाए, बाकी आठ को करारी हार का सामना करना पड़ा। यही नहीं, विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को भी कांग्रेस की युवा उम्मीदवार शकुंतला से करारी हार का सामना करना पड़ा। सरकार के चेहरा रहे अधिकांश नेता विधानसभा पहुंचने में सफल नहीं हो पाए।

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मंत्री अमर अग्रवाल और राजेश मूणत की हार के पीछे जनता की नाराजगी और उनके व्यवहार का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। दोनों नेताओं पर अहंकारी होने का भी आरोप लग रहा था। मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय की भी छवि उग्र नेता की बन गई थी। साथ ही जनता का काम नहीं करने का भी आरोप लग रहा था। चुनाव प्रचार के दौरान कई जगहों पर प्रेमप्रकाश को स्थानीय लोगों ने रोका और सवाल किया कि पांच साल तो क्षेत्र में नजर नहीं आए।

यही हाल विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल का रहा। प्रचार अभियान के दौरान एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें ग्रामीण पूछ रहे हैं कि हमारी याद चुनाव के समय ही आती है। इस आरोप पर गौरीशंकर कोई जवाब नहीं दे पाए। इसके साथ ही कसडोल में स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा भी छाया रहा, जिसके कारण जनता ने स्थानीय को चुना।

मंत्री भइयालाल राजवाड़े और रामसेवक पैकरा पर भी क्षेत्र में सक्रिय नहीं होने का आरोप लगा था। राजवाड़े से तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सवाल कर दिया था कि कभी अपनी विधानसभा में जाते हो। इसके बाद यह चर्चा थी कि राजवाड़े की टिकट काट दी जाएगी, लेकिन सरकार में मंत्री होने के कारण वे अपनी टिकट बचाने में सफल हो गये थे। बस्तर के दो मंत्री केदार कश्यप और महेश गागड़ा को स्थानीय लहर में हार का सामना करना पड़ा।

आदिवासियों के मुद्दों को विधानसभा में उठाने में असफल होने का भी दोनों नेताओं पर आरोप लगा। आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर सरकार की गलत नीतियों का खुलकर विरोध नहीं करना भी केदार और गागड़ा पर भारी पड़ा। मंत्री दयालदास बघेल का परफार्मेंस भी कमजोर पाया गया था। अनुसूचित जाति के वोटरों में सरकार के प्रति नाराजगी का असर दयालदास को मिले वोट पर सीधा असर पड़ा।


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