CG Election 2018: सरकार बनते ही किसानों के लिए जूझना होगा कांग्रेस को
chhattisgarh farmer छत्तीसगढ़ में किसानों पर खाद, बीज आदि का करीब 32 सौ करोड़ रूपए कर्ज है।
रायपुर। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में जीत तो दर्ज कर ली है लेकिन अब चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए उसे जूझना होगा। छत्तीसगढ़ में कर्जमाफी का वादा बेहद असरकारक साबित हुआ। किसानों ने अपना धान इसलिए रोके रखा कि अगर कांग्रेस की सरकार आएगी तो उन्हें समर्थन मूल्य ज्यादा मिलेगा। अब कर्जमाफी तुरंत करने का दबाव नई सरकार पर पड़ने वाला है।
कांग्रेस के नेता मतदान के बाद लगातार कहते रहे कि कर्जमाफी तो जरूर करेंगे। मंगलवार शाम को नतीजों के साफ होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मीडिया के सामने आए तो उनसे भी यही सवाल पूछा गया। राहुल ने वादा दोहराया, बोले हम दस दिन में कर्जमाफ कर देंगे। हालांकि कर्जमाफी इतना आसान भी नहीं है। छत्तीसगढ़ में किसानों पर खाद, बीज आदि का करीब 32 सौ करोड़ रूपए कर्ज है।
माना जा रहा है कि सरकार इसी कर्ज का माफ करेगी। हालांकि किसानों ने कृषि उपकरण, ट्रैक्टर आदि के लिए जो कर्ज लिया है उसे माफ किया जाएगा या नहीं यह अभी साफ नहीं है। किसानों ने सहकारी बैंकों से जो कर्ज ले रखा है उसका तो सरकार के पास रिकार्ड है लेकिन साहूकारों से लिए कर्ज का कोई हिसाब नहीं है। इसका कोई सिस्टम भी विकसित नहीं किया गया है।
चुनाव से पहले बस्तर के किसान तीन सौ किलोमीटर की पदयात्रा कर रायपुर तक आए थे। उनकी समस्या सहकारी बैंकों से लिया कर्ज नहीं था। आदिवासी किसानों की शिकायत थी कि कंपनियों के एजेंट अपना टारगेट पूरा करने के लिए ट्रैक्टर आदि फाइनेंस कर देते हैं। बाद में छीनकर ले जाते हैं। ऐसे में किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। अभी सरकार की ओर से कुछ साफ नहीं है।
वैसे कांग्रेस यह तो वादा कर रही है कि किसानों की समस्या का समाधान किया जाएगा। दूसरी बात है धान का समर्थन मूल्य। वर्तमान में सरकारी केंद्रों में धान की खरीदी की जा रही है। सरकार धान का 2050 रूपए दे रही है। चुनाव में कांग्रेस ने समर्थन मूल्य बढ़ाकर 25 सौ रूपए करने की घोषणा की तो किसानों ने धान बेचना बंद कर दिया। नई सरकार के सामने मूल्य बढ़ाने का भी दबाव होगा।
अधिकारियों को अभी कुछ नहीं पता
सचिवालय में पदस्थ अफसरों से चर्चा करने पर पता चला कि अभी उन्हें किसानों की कर्जमाफी के बारे में कोई निर्देश नहीं मिला है। कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि अगर किसानों का कर्ज चुकाने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ेगा तो भी पीछे नहीं हटेंगे। नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद पहला काम यही होना है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री तय होते ही अफसरों को ऋणमाफी की रणनीति बनाने का निर्देश मिल जाएगा।