Sitamarhi Election 2020: सीतामढ़ी में आमने-सामने की लड़ाई में राजद अपनी सीट बचा पाएगा या भाजपा को मिल जाएगी खोई सीट?
Sitamarhi Election News 2020 सीतामढ़ी विधानसभा में राजद अपनी सीट बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। वही भाजपा अपनी खोई सीट को वापस लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। इस सीट पर लड़ाई बिल्कुल आमने-सामने की दिख रही है। जानिए इस सीट के बारे में..
सीतामढ़ी, जेएनएन। सीतामढ़ी विधानसभा में राजद अपनी सीट बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। वहीं भाजपा अपनी खोई सीट को वापस लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाई थी। 2015 में 63.37 फीसद मतदान हुआ था। जिसमें 49.62 फीसद मत पाकर राजद उम्मीदवार ने विजय हासिल की थी। राजद का माई समीकरण फिर से फीट बैठता है तो इस सीट पर एनडीए को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। चुनाव में मोदी फैक्टर के साथ वैश्य व अगड़ी-पिछड़ी जाति का वोट भाजपा की नैया पार लगा सकता है, जो उसका आधार वोट है।
2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनील कुमार पिंटू को 66835 वोट मिले थे और राजद के सुनील कुमार से 14722 वोट के अंतर से उन्हेंं हार का सामना करना पड़ा था। सुनील कुमार को कुल 81557 वोट हासिल हुए थे। 2015 के चुनाव में राजद, कांग्रेस व जदयू के एकसाथ होने के कारण कुशवाहा, मुस्लिम व यादव समीकरण के साथ नीतीश कुमार के काम का लाभ राजद के सुनील कुमार को मिल गया था। भाजपा प्रत्याशी सुनील कुमार पिंटू एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी थे और गठबंधन में भाजपा के साथ रालोसपा व लोजपा थी। इस बार 2020 के विधानसभा चुनाव में परिदृश्य बिल्कुल जुदा था । भाजपा-जदयू साथ है तो रालोसपा व लोजपा दोनों ही अलग-थलग पड़ गई।
भाजपा ने इस चुनाव में अपनी पार्टी के समान्य कार्यकर्ता डॉ. मिथिलेश कुमार को मैदान में उतारकर कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की कोशिश की। भाजपा बूथ स्तर तक अपनी मजबूती का दावा करती है और इसलिए भी उसको उम्मीद है कि कार्यकर्ताओं की एकजुटता का उसे लाभ मिलेगा। वहीं महागठबंधन ने इस सीट से सीटिंग विधायक राजद के सुनील कुमार पर एकबार फिर से भरोसा किया। राजद को परंपरागत माई समीकरण के साथ सत्तारूढ़ नीतीश व केंद्र सरकार विरोधी वोट के भरोसे चुनावी नैया पार लग जाने का भरोसा है।
सीतामढ़ी सीट से 12 प्रत्याशी मैदान में हैं। जिसमें बहुजन समाज पार्टी के राकेश कुमार टुन्ना, स्वराज इंडिया के आफताब अंजुम, भारतीय सब लोग पार्टी के श्रीनिवास कुमार, जनता दल राष्ट्रवादी के मनोज कुमार, राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के विनोद साह, बहुजन मुक्ति पार्टी के शैलेंद्र प्रसाद यादव, प्राउटिस्ट ब्लॉक इंडिया के सीताराम सिंह, समता पार्टी के कुमार अभिमन्यु श्रीवास्तव, निर्दलीय कृष्ण किशोर व राजू कुमार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यहां 58.80 फीसद लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।
2020 के प्रमुख प्रत्याशी
डॉ. मिथिलेश कुमार, भाजपा
सुनील कुमार, राजद
2015 में विजेता, उपविजता और मिले मत
सुनील कुमार (राजद) : 81557
सुनील कुमार पिंटू (भाजपा) : 66835
2010 विजेता, उप विजेता मिले मत
सुनील कुमार पिंटू (भाजपा) : 51664
राघवेंद्र कुमार सिंह (लोजपा) : 46,443
2005 विजेता, उप विजेता और मिले मत (अक्टूबर में हुआ चुनाव)
सुनील कुमार पिंटू (भाजपा) : 50,973
खलील अंसारी (कांग्रेस) : 29,720
2005 में विजेता, उप विजेता और मिले मत ( फरवरी में हुआ चुनाव)
सुनील कुमार पिंटू (भाजपा) : 51,447
मो. ताहिर (राजद) : 27683
कुल वोटर : 2.92,021
पुरुष वोटर : 154830 (53.02प्रतिशत)
महिला वोटर : 136883 (46.87प्रतिशत)
ट्रांसजेंडर वोटर : 21 (0.007प्रतिशत)
जीत का गणित
जहां तक इस विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी का प्रश्न है तो 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां 4 लाख 32 हजार 660 लोग रहते हैं। राजद का माई समीकरण फिर से फीट बैठता है तो इस सीट पर एनडीए को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। चुनाव में मोदी फैक्टर के साथ वैश्य व अगड़ी-पिछड़ी जाति का वोट भाजपा की नैया पार लगा सकता है, जो उसका आधार वोट है।
प्रमुख मुद्दे :
1.ओवरब्रिज का निर्माण : मेहसौल रेलवे गुमटी पर ओवरब्रिज का निर्माण हर चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा है। ओवरब्रिज का निर्माण हो गया रहता तो सीतामढ़ी शहर को जाम से मुक्ति मिल जाती।
2. ड्रेनेज सिस्टम : शहर के अंदर ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त नहींं है। तमाम मोहल्ले हल्की बारिश में ही जलजमाव से घिर जाते हैं।
3. उद्योग विकास : नए उद्योग-धंधे नहीं लग रहे। उद्योगों का विकास होगा तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।