Bihar Assembly Elections 2020: मुजफ्फरपुर नगर सीट पर राजद लालटेन लेकर उतरेगा या कांग्रेस पार्टी हाथ आजमागएी, जिले में किस समीकरण पर हो रहा काम, जानिए
Bihar Assembly Elections 2020 मुजफ्फरपुर का सियासी पारा भी यहां जारी कयासबाजियों के साथ चढ़ने लगा है। खासकर महागठबंधन खेमे का। नगर सीट से पिछली बार जदयू के उम्मीदवार रहे विजेंद्र चौधरी ने पाला बदल लिया है। वे कांग्रेस से अपना दावा पेश कर रहे हैं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Bihar Assembly Elections 2020 में महागठबंधन की तस्वीर थोड़ी साफ हुई है। शनिवार की देर शाम पटना में राजद, कांग्रेस, सीपीआइ, सीपीआइएमएल व सीपीएम के बीच सीटों का बंटवारा हो गया। वहीं वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने बगावत करते हुए महागठबंधन से खुद को अलग करने की घोषणा कर दी। इसके बाद अब सीटों को चिह़्नित करने का दौर शुरू हो गया है। मुजफ्फरपुर का सियासी पारा भी कयासबाजियों के साथ चढ़ने लगा है। खासकर महागठबंधन खेमे का।
सूत्रों की मानें तो वीआइपी के अलग होने के बाद अब मुजफ्फरपुर में राजद और कांग्रेस ही दो प्रमुख पार्टी रह गई है। वामपंथियों की यहां उतनी पकड़ महसूस नहीं हो रही। माना जा रहा है कि राजद और कांग्रेस के नेता आठ और तीन सीटों के समीकरण को अपनाते हुए चुनाव के मैदान में उतरना पसंद करेंगे। वर्ष 2015 में कांग्रेस को महागठबंधन में जिले की एक भी सीट नहीं मिली थी। उसकी तुलना में इस बार कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिख रही है। कयास है कि पिछले चुनाव में जो सीट जदयू के पास थी, उसमें से तीन सीट कांग्रेस को दी जा सकती है। मुजफ्फरपुर नगर, कांटी और पारू या कुढ़नी में कोई एक सीट हो सकती है। राजद उन सीटों को तो अपने पास जरूर रखेगा जहां उसके विधायक सिटिंग हैं। वर्तमान में राजद के छह विधायक हैं।
सबकी रुचि अभी यह देखने में है कि महागठबंधन में मुजफ्फरपुर नगर की सीट किसके खाते में जाती है। मतलब राजद या कांग्रेस। वैसे विश्लेषक यहां कांग्रेस का पलड़ा भारी देख रहे हैं। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे। पहली चीज यह कि वर्ष 2015 में यह सीट जदयू के पास थी। दूसरी बात यह कि पिछली बार जदयू के उम्मीदवार रहे विजेंद्र चौधरी ने पाला बदल लिया है। वे कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और यहां से अपना दावा पेश कर रहे हैं। वे पूर्व में भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। इस स्थिति में उनकी दावेदारी मजबूत लगती भी है। कांटी या कुढ़नी को लेकर अभी बहुत कुछ साफ नहीं है। यदि वामपंथी पार्टियों ने यहां दबाव अधिक बना दिया तो फिर यह देखना रोचक होगा कि राजद के हिस्से की सीट उसके पास जाती है या कांग्रेस कुर्बानी देने के लिए तैयार हो जाती है।