Move to Jagran APP

Warisaliganj Election 2020: वारिसलीगंज में दो बाहुबलियों की पत्नियाें में होगी चुनावी जंग

Bihar Election 2020 एक तरफ अखिलेश सिंह की पत्नी अरुणा देवी भाजपा प्रत्याशी हैं तो दूसरी ओर अशोक महतो के भतीजे प्रदीप महतो की पत्नी आरती देवी निर्दलीय उम्मीदवार हैं। राज्‍य में अपराध व नक्सलवाद जब चरम पर था तब वारिसलीगंज इलाके में दोनों के आपराधिक गिरोह का उदय हुआ।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 01:22 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 10:16 PM (IST)
Warisaliganj Election 2020: वारिसलीगंज में दो बाहुबलियों की पत्नियाें में  होगी चुनावी जंग
बाहुबलियों के पत्‍नीयों की चुनाव मैदान में जोर आजमाईश की सांकेतिक तस्‍वीर।

पटना/नवादा, वरुणेंद्र कुमार।Bihar Election 2020:  वारिसलीगंज विधानसभा सीट से दो बाहुबलियों (Musclemen) की पत्नियां चुनावी मैदान (assembly poll)  में हैं। एक तरफ अखिलेश सिंह (Akhilesh Singh) की पत्नी अरुणा देवी (Aruna Devi)  भाजपा प्रत्याशी (BJP Candidate) हैं, तो दूसरी ओर अशोक महतो (Ashok Mahto) के भतीजे प्रदीप महतो (Pradeep Mahto) की पत्नी आरती देवी (Aarti Devi) निर्दलीय उम्मीदवार हैं। दोनों का मुकाबला काफी दिलचस्‍प होने की उम्‍मीद है। अरुणा देवी यहां से तीन बार 2000, 2005  फरवरी और 2015 में चुनाव जीत चुकी हैं। दो बार उन्‍हें प्रदीप महतो ने भी शिकस्‍त दी है। 2005 के अक्टूबर में हुए चुनाव और दूसरी बार 2010 के विधान सभा चुनाव में प्रदीप महतो के सिर पर जीत का सेहरा बंध चुका है।

loksabha election banner

 ये भी हैं मैदान  में

महागठबंधन (Grand Alliane) की ओर से प्रत्याशी सतीश कुमार सिंह उर्फ मंटन सिंह भी हैं। इसके अलावा रालोसपा (RLSP)  के राजेंद्र प्रसाद समेत 10 अन्य प्रत्याशी भी मैदान में हैं। इस विधानसभा क्षेत्र की सीमा नालंदा, नवादा, शेखपुरा और जमुई जिले से लगती है। यहां से बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह (Dr. Sri Krishna Singh) के छोटे पुत्र बंदी शंकर सिंह कांग्रेस (Congress)  के उम्मीदवार के रूप में 1980 व 85 में दो बार जीते थे।

नक्‍सलवाद के साथ पनपे दोनों बाहुबलियों के गिरोह

वर्ष 1995 से 2000 के बीच जब सूबे में अपराध व नक्सलवाद (crime and Naxalism) चरम पर था तब वारिसलीगंज इलाके में दो आपराधिक गिरोह (gang) का उदय हुआ। एक के सरदार (gangster)  अखिलेश सिंह बने तो दूसरे के अशोक महतो। जातीयता (caste) की चादर ओढ़कर दोनों गिरोह ने वर्चस्व कायम किया।

तत्‍कालीन विधायक ने बदल ली थी सीट

तब यहां के विधायक दिग्गज कांग्रेसी नेता रामाश्रय प्रसाद सिंह हुआ करते थे। वर्चस्व की लड़ाई के कारण ही 2000 के चुनाव में रामाश्रय प्रसाद सिंह ने अपना कार्यक्षेत्र बदल लिया और गया जिले के कोच से चुनाव लडऩे चले गए।

अखिलेश अंडरग्राउंड हुए, पत्‍नी ने जीता चुनाव

उस वक्त पहली बार भूमिगत रहते हुए अखिलेश सिंह ने अपनी पत्नी अरुणा देवी को निर्दलीय चुनावी मैदान में उतारा और वे 40 हजार से ज्यादा मतों से चुनाव जीत गईं। फरवरी, 2005 के चुनाव में अरुणा देवी लोजपा की उम्मीदवार हुईं। उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार प्रदीप महतो से चुनौती मिली। प्रदीप अशोक महतो के भतीजे थे। परिणाम फिर अरुणा देवी के पक्ष में गया, लेकिन इसी साल अक्टूबर के चुनाव में जेल में बंद प्रदीप महतो ने 555 मतों के अंतर से चुनाव जीत लिया। तब अरुणा कांग्रेस की उम्मीदवार थी।

इस बार प्रदीप के सिर बंधा सेहरा

2010 के चुनाव में अरुणा कांग्रेस से तो प्रदीप जदयू के उम्मीदवार थे। इस बार फिर जीत का सेहरा प्रदीप के सिर बंधा। 2015 के चुनाव में अरुणा पाला बदल भाजपा से उम्मीदवार हो गई तो प्रदीप जदयू में ही रहे। इस बार जीत अरुणा को मिली। वे 19 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीत गईं। इस बार के चुनाव में परिस्थितियां थोड़ी बदली है। अरुणा एनडीए से बीजेपी की उम्मीदवार हैं तो प्रदीप ने अपनी पत्नी आरती देवी को निर्दलीय चुनाव मैदान में उतारा है। एक केस में सजायाफ्ता होने के बाद प्रदीप चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं।

अब तक ये रहे विधायक

1957- चेतू राम- कांग्रेस

1957-राम किशुन सिंह- कांग्रेस

1959-चेतू राम-कांग्रेस

1962-राम किशुन सिंह-कांग्रेस

1967, 1969-देवनंदन प्रसाद-सीपीआइ

1972-श्याम सुंदर सिंह-एनसीओ

1977-राम रतन सिंह-जनता पार्टी

1980,1985-बंदी शंकर सिंह-कांग्रेस

1990-देवनंदन प्रसाद-सीपीआइ

1995-रामाश्रय प्र. सिंह-कांग्रेस

2000-अरुणा देवी-निर्दलीय

2005(फरवरी)अरुणा देवी-लोजपा

2005(अक्टूबर) प्रदीप महतो-निर्दलीय

2010- प्रदीप महतो- जदयू

2015-अरुणा देवी- भाजपा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.