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कर्ज में डूबी छह समितियां, उबरना मुश्किल

इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं। इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं। इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं। इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं। इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं। इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं। इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं। इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं। इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं। इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 11:48 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 11:48 PM (IST)
कर्ज में डूबी छह समितियां, उबरना मुश्किल
कर्ज में डूबी छह समितियां, उबरना मुश्किल

जागरण संवाददाता, कन्नौज: सहकारिता विभाग की प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियां कर्ज में डूबी हैं। सबसे ज्यादा हालत सदर ब्लॉक की पांच समितियां बरौली, महमूदपुर पैठ, सरायमीरा, नजरापुर, मौसमपुर अल्लहड़ की है, जो किसी भी समय बंद हो सकती हैं। इन समितियों का जिला सहकारी बैंक पर कई वर्षों से लाखों रुपये बकाया है। पुरानी अदायगी न होने के कारण बैंक ने समितियों को अब ऋण देना बंद कर दिया है। इस कारण यह पांच समितियां रबी सीजन का कारोबार नहीं कर सकीं। ऋण न मिलने के कारण समितियां खाद, बीज व कीटनाशक खरीद कर किसानों को नहीं बेच पाईं हैं। इसका असर किसानों पर पड़ा है। इन्हीं हालातों के कारण इसी ब्लॉक की कन्नौज कछोहा समिति करीब एक साल से बंद है, जिसका अब उबरना मुश्किल है। इस माली हालत के जिम्मेदार किसान नहीं समितियां खुद बताई जा रही हैं।

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बैंक से ऋण लेकर बेचते खाद व बीज

यह समितियां जिला सहकारी बैंक पर निर्भर हैं, जो बैंक से ऋण लेकर खाद, बीज व कीटनाशक खरीद कर किसानों को बेचती हैं। किसान समिति के सदस्य होते हैं। बिक्री की रकम आने से बैंक को ऋण की अदायगी की जाती है। अदायगी के आधार पर आगे ऋण मिलता है। ऋण वितरण के लिए बैंक लिमिट तय करती है। लाखों रुपये बकाया होने के कारण बैंक ने आठ से दस लाख की लिमिट तय कर ऋण दिया था। यह रकम भी समितियां अदा नहीं कर सकीं।

आमदनी से निकलता वेतन, फंसा

समितियां खुद का कारोबार कर वेतन समेत अन्य खर्च निकालती हैं। इन छह समितियों में आमदनी तो दूर की बात है। कारोबार ठप होने से सचिव, लेखाकार समेत अन्य कर्मियों का वेतन भी डूब गया है।

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काफी पहले से बकायेदारी चली आ रही है, जिसे निपटाने का प्रयास कर रहे हैं। ऋण न मिलने के कारण कारोबार नहीं हो पा रहा है। एक समिति बंद हो चुकी है।

-रामसजीवन, एआर-कोआपरेटिव समितियों पर बकाया है। फिर भी जो किसान अदायगी करते आ रहे हैं व नए किसानों को बैंक ऋण दे रही है। नजरापुर, बरौली व मौसमपुर अल्लहड़ समिति के किसानों को ऋण दिया गया है। बाकी को भी दिया जाएगा।

-अनुभव सागर, शाखा प्रबंधक, जिला सहकारी बैंक


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