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Bihar Elections 2020 : जानिए, कैसे इस बार पश्चिम चंपारण में उम्मीदवारों पर भारी पड़ रहे बेटिकट हुए नेता

Bihar Elections 2020 बेतिया चनपटिया और नौतन में एनडीए की ओर से भाजपा के उम्मीदवार महागठबंधन में ये सीटें कांग्रेस के खाते में। 38 प्रत्याशी हैं तीन सीटों के चुनावी मैदान में पिछले चुनाव में चनपटिया व नौतन से भाजपा प्रत्याशी हुए थे निर्वाचित।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 02:05 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 02:05 PM (IST)
Bihar Elections 2020 : जानिए, कैसे इस बार पश्चिम चंपारण में उम्मीदवारों पर भारी पड़ रहे बेटिकट हुए नेता
बागी नेताओं के भितरघात से स्थापित दलों के वोट बैंक को एकजुट रखना बड़ी चुनौती दिख रही है।

पश्चिम चंपारण, [सुनील आनंद]। Bihar Elections 2020 : पश्चिम चंपारण की नौ विधानसभा सीटों में से तीन बेतिया, चनपटिया और नौतन में दूसरे चरण में तीन नवंबर को मतदान होना है। यहां कुल 38 प्रत्याशी चुनावी मैदान में पसीना बहा रहे हैं। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन तीनों सीटों में से चनपटिया एवं नौतन से भाजपा प्रत्याशी निर्वाचित हुए थे, जबकि बेतिया विधानसभा सीट पर 25 वर्षों के बाद कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। इस बार तीनों सीटों पर एनडीए गठबंधन की ओर से भाजपा के उम्मीदवार हैं तो महागठबंधन की ओर से कांग्रेस। इन दोनों गठबंधनों के अतिरिक्त भी कई प्रभावशाली उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें कई गठबंधनों की ओर से टिकट नहीं मिलने से निर्दलीय या अन्य पाॢटयों के साथ हैं। बागी नेताओं के भितरघात से स्थापित दलों के वोट बैंक को एकजुट रखना बड़ी चुनौती दिख रही है।

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चनपटिया : जातीय गोलबंदी एवं मतों के ध्रुवीकरण पर नजर

चनपटिया विधानसभा क्षेत्र से कुल 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। एनडीए से भाजपा के उमाकांत सिंह मैदान में हैं। निवर्तमान भाजपा विधायक प्रकाश राय को पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। वे बागी के रूप में मैदान में तो नहीं उतरे, लेकिन उनके समर्थकों में नाराजगी है। यहां से भाजपा के टिकट को लेकर दावेदारों की लंबी सूची थी। सबको पार्टी ने किनारा कर दिया। ऐसे में भितरघात की संभावना अधिक है। वहीं, महागठबंधन की ओर से यह सीट कांग्रेस के खाते में है। कांग्रेस ने युवा नेता अभिषेक रंजन को मैदान मेें उतारा है। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष नरेंद्र कुमार शर्मा यहां से टिकट के प्रबल दावेदार थे। टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर वे पार्टी के जिलाध्यक्ष एवं प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं। पिछले चुनाव में जातीय गोलबंदी एवं मतों के ध्रुवीकरण के कारण भाजपा की जीत हुई थी।

प्रमुख मुद्दे : चनपटिया के बंद चीनी मिल को चालू कराने का वादा, बाढ़ और कटाव से बचाव के उपाय, स्टील प्रोसेसिंग यूनिट में उत्पादन आरंभ करने, शहर में जलजमाव की समस्या।

कुल प्रत्याशी : 13

प्रमुख उम्मीदवार

उमाकांत सिंह (भाजपा)

अभिषेक रंजन (कांग्रेस)

संतोष गुप्ता( रालोसपा)

विपिन तिवारी (लोकतांत्रिक जन स्वराज पार्टी)

त्रिपुरारी तिवारी (निर्दलीय)

नौतन : विकास की अग्निपरीक्षा

नौतन विधानसभा क्षेत्र भाजपा ने एकबार फिर निवर्तमान विधायक नारायण प्रसाद पर भरोसा जताया है। हालांकि, सीट शेयरिंग से पूर्व जदयू की ओर से भी दावेदारी ठोंकी गई थी। जदयू की पूर्व विधायक मनोरमा प्रसाद निर्दलीय चुनाव मैदान हैं। भाजपा के कई दिग्गज भी यहां से चुनाव लडऩा चाहते थे, लेकिन प्रदेश नेतृत्व में नारायण प्रसाद की मजबूत पकड़ की वजह से मुखर नहीं हुए। यह भितरघात का संकेत है। वहीं, महागठबंधन की ओर से कांग्रेस ने शेख कमरान को मैदान में उतारा है। राजद की ओर से भी मजबूत दावेदारी पेश की गई थी। जिप के पूर्व अध्यक्ष अमर यादव और बैरिया निवासी शंकर चौधरी चुनाव लडऩा चाहते थे, जबकि बैरिया के प्रमुख मधुसूदन तिवारी की कांग्रेस से चुनाव लडऩे की चाहत थी। समस्याओं को लेकर विरोधी हमलावर हैं। ऐसे में यहां विकास की अग्निपरीक्षा होनेवाली है।

प्रमुख मुद्दे : मथैली जल विद्युत परियोजना पर ग्रहण, नौतन से बेतिया तक की जर्जर सड़क, दियारे में बाढ़ एवं कटाव, विस्थापितों का दर्द, चंपारण तटबंध के पक्कीकरण की योजना।

कुल प्रत्याशी : 15

प्रमुख उम्मीदवार

नारायण प्रसाद (भाजपा)

शेख मोहम्मद कमरान (कांग्रेस)

नंद किशोर कुशवाहा (रालोसपा)

मनोरमा प्रसाद (निर्दलीय)

बेतिया : रोकना होगा वोटों का बिखराव

बेतिया विधानसभा क्षेत्र से कुल 10 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। महागठबंधन से कांग्रेस के निवर्तमान विधायक मदन मोहन तिवारी एकबार फिर मैदान में हैं। वहीं, एनडीए से भाजपा प्रत्याशी रेणु देवी चुनाव लड़ रही हैं। यहां भी दोनों प्रमुख गठबंधन में टिकट के कई दावेदार थे, जिन्हेंं टिकट नहीं मिला तो वे नाराज हैं। हालांकि, पाॢटयों की ओर से उन्हेंं मना लिये जाने का दावा किया जा रहा है। जाप की डॉ. सबिता सिंह नेपाली और राकांपा के परवेज आलम दोनों गठबंधन को आमने- सामने आने से रोक रहे हैं। पिछले चुनाव में यहां जातीय गोलबंदी एवं अल्पसंख्यक मतों के ध्रुवीकरण के कारण वर्ष 2000 से लगातार चार बार विधायक बनीं रेणु देवी पराजित हो गई थीं। ऐसे में यहां जीत के लिए वोटों के बिखराव को रोकने की आवश्यकता होगी।

प्रमुख मुद्दे : शहर में अतिक्रमण का झाम, मझौलिया में बाढ़ एवं बाढ़ पीडि़तों का दर्द, जाम की समस्या से हांफता शहर, भ्रष्टाचार शहर में जलजमाव।

कुल प्रत्याशी : 10

प्रमुख उम्मीदवार

मदन मोहन तिवारी (कांग्रेस)

रेणु देवी (भाजपा)

डॉ. सविता सिंह नेपाली (जन अधिकार पार्टी)


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