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मुजफ्फरपुर में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में दिखा जज्बा, फैली लोकतंत्र की खुशबू

गायघाट व औराई विधानसभा क्षेत्र। हर जगह मौजूद इस साल आई प्रलंयकारी बाढ़ के निशान। उजड़े खेतटूटी- फूटी सड़कें चचरी व पीपा पुल के सहारे जिदगी की जद्दोजहद।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 02:14 AM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 02:46 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में दिखा जज्बा, फैली लोकतंत्र की खुशबू
मुजफ्फरपुर में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में दिखा जज्बा, फैली लोकतंत्र की खुशबू

मुजफ्फरपुर। गायघाट व औराई विधानसभा क्षेत्र। हर जगह मौजूद इस साल आई प्रलंयकारी बाढ़ के निशान। उजड़े खेत,टूटी- फूटी सड़कें, चचरी व पीपा पुल के सहारे जिदगी की जद्दोजहद। इसे हर दिन झेलते लोग लोकतंत्र के महापर्व का भरपूर स्वागत करने को तैयार मिले। सुबह से ही चहल-पहल रही। लोग या तो मतदान केंद्र की ओर जाते या वहां से वोट डाल कर लौटते दिखे। सुबह से ही लंबी कतारें यह साबित कर रही थी कि इस बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में लोकतंत्र की खुशबू जमकर फैली है।

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वोट को लेकर उत्साह के सामने बाढ़ की परेशानी कुछ नहीं : गायघाट के बेनीबाद चौक से औराई- कटरा की ओर घूमते ही बाढ़ से तबाही के निशान साफ दिख रहे हैं। हालांकि नवादा गांव के निकट किसान खेतों में दिखे। किसान रामसेवक सिंह कहते हैं कि सुबह में मतदान कर दिया। बाढ़ ने व्यापक क्षति पहुंचाई है। कुछ उंची जमीन सूखी है तो उसमें गोभी की खेती की जा रही है, ताकि कुछ भरपाई हो जाए। बकुची मध्य विद्यालय बूथ पर दिन के लगभग दस बजे तक 381 मतदाता वोट डाले जा चुके थे। बड़ी संख्या में मतदाता कतार में थे। बकुची से खंगूरा-पहसौल की मुख्य सड़क में कुछ बदलाव नहीं आया है। हालांकि मझौली-चोरौत एनएच-527 (सी) के निर्माण की शुरू होने की धुंधली तस्वीर दिखाई जरूर दे रही है। पहसौल बाजार पर वोट डालकर आराम फरमा रहे कुछ लोगों ने बताया कि यहां कुछ नहीं बदला। अब अगर वोट नहीं डालेंगे तो बदलाव पर पूरी तरह से ब्रेक लग जाएगा। यह क्षेत्र कभी नक्सली गतिविधियों को लेकर भी चर्चित रहा। हालांकि अब ऐसी बात नहीं है। दोपहर लगभग 12.30 बजे हम पहुंचते हैं जिले के सबसे बड़े गांव यजुआर में। हाईस्कूल बूथ से पहले ही कुछ महिलाएं व युवतियां वोट डाल लौट रही हैं। पहली बार वोट डाली युवतियां काफी उत्साहित हैं। हालांकि यजुआर उच्च विद्यालय बूथ संख्या 217 उत्तरी भाग पर पहुंचने पर निराशा हाथ लगती है। यहां 742 मतदाता हैं। 223 ने ही मतदान किया है। दिन के लगभग एक बजे मतदान केंद्र पूरी तरह खाली है। मतदान कर्मी आराम की मुद्रा में है। एक दल के पोलिग एजेंट ने बताया कि रोजी-रोजगार की खोज में पलायन के कारण गांव में मतदाता कम ही है। कटरा गढ़ पर लौटते ने क्रम में बागमती नदी पर बने पीपा पुल पर मिले बुजुर्ग जामुन मांझी। पशु चारा लेकर घर लौट रहे हैं। कहते हैं कि वोट डालने के बाद ही चारा लाने गए थे।


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