Bakhri Election 2020: बखरी में 13 प्रत्याशी आजमा रहे किस्मत, 60 फीसद हुआ मतदान
बखरी सुरक्षित विधानसभा में 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। यहां शिक्षा स्वास्थ्य उद्योग और यातायात प्रमुख मुद्दे हैं। वैसे सीधा मुकाबला भाजपा और सीपीआइ उम्मीदवारों के बीच माना जा रहा है।कई अन्य प्रत्याशी भी ताल ठोक रहे हैं।
जेएनएन, बेगूसराय। 147 बखरी सुरक्षित विधानसभा बेगूसराय जिले की महत्वपूर्ण सीट है। यह सीट बेगूसराय लोकसभा अंतर्गत आती है। 1951 में हुए पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस के शिवव्रत नारायण सिंह जीते थे। पहले चुनाव के बाद यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई। वर्ष 2010 में भाजपा के रामानंद राम यहां से जीते थे। उन्होंने लोजपा प्रत्याशी रहे रामविनाेद पासवान को हराया था। रामविनोद पासवान सीपीआइ की टिकट पर पांच बार विधायक चुने गए थे। उसके बाद पार्टी बदल ली थी। लेकिन हार का सामना करना पड़ा। वहीं 2015 के चुनाव में राजद के उपेंद्र पासवान चुनाव जीते। उन्होंने भाजपा के रामानंद राम को बड़े अंतर से परास्त किया था। इन दोनों ही चुनावों में इस सीट पर आठ बार राज करने वाली भाकपा तीसरे नंबर पर रही। कुल13 प्रत्याशी यहां मैदान में हैं। इस बार यहां 60 फीसद मतदान हुआ है।
प्रमुख प्रत्याशी
1 रामशंकर पासवान, भाजपा
2. सूर्यकांत पासवान, सीपीआइ
3 विजय पासवान, रालोसपा
4 रामानंद राम, जाप
प्रमुख मुद्दे-
1. उच्च शिक्षा- इस मामले में बखरी काफी पिछड़ा हुआ है। अनुमंडल क्षेत्र में एक भी अंगीभूत इंटर या डिग्री कॉलेज नहीं है। वर्ष 2010 में सरकार की घोषणा के बाद डिग्री कॉलेज की स्थापना की प्रक्रिया आरंभ हुई। राशि भी आवंटित कर दी गई लेकिन प्रशासनिक पचड़े के कारण कॉलेज खुल नहीं सका।
2. स्वास्थ्य- विधानसभा क्षेत्र की लाखों की आबादी के लिए महज एक प्राथमिक और उपप्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। वर्ष 1994 में बखरी अनुमंडल के गठन के बाद यहां अनुमंडलीय अस्पताल की स्थापना की आस जगी थी। लेकिन लोगों का यह मुद्दा आज भी चुनावी घोषणापत्र तक ही सीमित है।
3. उद्योग- बखरी कृषि प्रधान क्षेत्र है। मक्का का उत्पादन यहां बड़े पैमाने पर होता है लेकिन इससे जुड़ा एक भी उद्योग नहीं है। इस बीच बिचौलियों के कारण फसल का उचित मूल्य किसानों को नहीं मिल पाता है। इसी प्रकार दासिन, पचैला, इटवा, काबर नहर आदि चौर और पईन हैं। यहां मत्स्य पालन की भरपूर संभावनाएं हैं। इनमें मछली पालन के लिए योजना को अमली रूप देने की आवश्यकता है।
4. बाइपास- बखरी बाजार में जाम की समस्या आम है। दिन में नो एंट्री के बावजूद हर दिन जाम की स्थिति बनती है। इससे निजात के लिए नगर प्रशासन ने बाइपास निर्माण की योजना बनाई। नगर परिषद बोर्ड से इसे पास भी किया गया। लेकिन यह योजना धरातल पर नहीं उतर सकी।
5. यातायात- बखरी- अलौली पथ इलाके की महत्वपूर्ण सड़क है। यह सड़क नगर के शकरपुरा काली मंदिर चौक से खगड़िया जिले की सीमा तक पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। इससे इलाके के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पड़ोसी खगड़िया जिला के अलौली प्रखंड की संपूर्ण आबादी के लिए आवश्यकता की पूर्ति बखरी बाजार से होती है। इससे बखरी का व्यापार भी प्रभावित होता है।
पिछले चुनावों का परिणाम
वर्ष जीते हारे
2015 - उपेंद्र पासवान, राजद, रामानंद राम भाजपा
2010 - रामानंद राम, भाजपा, रामविनोद पासवान एलजेपी