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Bihar Assembly Election 2020: चुनाव में भाजपा-नीतीश को दोहरे दांव से घेरने की कांग्रेस की तैयारी

बिहार के चुनाव में केंद्र की भाजपा सरकार को इस समय परेशान कर रहे मुददों को कांग्रेस प्रमुखता से उठाएगी ताकि केंद्र की उपलब्धियों के सहारे चुनावी अभियान को हाइजैक करने की कोशिशों पर महागठबंधन ब्रेक लगा सके।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 09:15 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 03:22 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: चुनाव में भाजपा-नीतीश को दोहरे दांव से घेरने की कांग्रेस की तैयारी
राहुल गांधी, तेजस्‍वी यादव और नीतीश कुमार की फाइल फोटो।

संजय मिश्र, नई दिल्ली। बिहार में सीट बंटवारे की सियासी चुनौती से उबरने के बाद कांग्रेस महागठबंधन के चुनाव अभियान को धारदार बनाने की रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गई है। चुनाव में लोजपा के एनडीए गठबंधन से अलग होने के बाद कांग्रेस को महागठबंधन की चुनावी संभावनाएं अचानक बेहतर नजर आने लगी हैं। इसीलिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने नीतीश सरकार के कामकाज के अलावा केंद्र सरकार को परेशान कर रहे मसलों को बिहार चुनाव में बडे़ मुद्दों के रूप में उछालने की रणनीति को मंजूरी दे दी है।

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नीतीश को सूबे के मुद्दों पर तो केंद्र के लिए चुनौती बने मुद्दे के सहारे होगा भाजपा पर प्रहार

बिहार में महागठबंधन का अगुआ राजद भी चुनाव प्रचार अभियान में कांग्रेस की रणनीति को अपनी जरूरत के हिसाब से अपनाएगा। बिहार चुनाव से जुडे़ कांग्रेस के उच्चपदस्थ रणनीतिकारों ने अनौपचारिक बातचीत में बताया कि एनडीए सरकार की नीतियों पर भी जमकर निशाना साधा जाएगा। कोरोना महामारी से मुकाबले की लचर नीति और इसको लेकर बार-बार केंद्र के दावे गलत साबित होने, लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था और रोजगार के गंभीर हुए संकट, पूर्वी लद्दाख में चीनी घुसपैठ को लेकर गतिरोध कायम रहने और बिहार के लिए घोषित पैकेज के खोखले साबित होने जैसे चार प्रमुख मुद्दे केंद्र की एनडीए सरकार के खिलाफ सियासी हथियार के रूप में चुने गए हैं। 

लोजपा के एनडीए से छिटकने के बाद बढ़ी कांग्रेस की उम्मीद

नीतीश सरकार के कामकाज पर हमला बोलने की लंबी-चौड़ी लिस्ट नेताओं ने पहले से ही तैयार कर रखी है। केंद्र से जुड़े मसलों को मुद्दा बनाने की प्रासंगिकता पर कांग्रेस रणनीतिकारों ने कहा कि भले नीतीश के नेतृत्व में भाजपा चुनाव मैदान में उतर रही है, लेकिन मौजूदा सियासी हकीकत से भाजपा पूरी तरह वाकिफ है कि नीतीश के खिलाफ सत्ता विरोधी फैक्टर बहुत तगड़ा है। इस हकीकत को समझते हुए ही लोजपा के बिहार में एनडीए से अलग होने के फैसले पर भाजपा रणनीतिक रूप से चुप है।

नीतीश के खिलाफ माहौल की आहट नहीं होती तो लोजपा के एनडीए से अलग होने को भाजपा कतई स्वीकार नहीं करती और उसे केंद्र के गठबंधन से बाहर का रास्ता दिखा देती। कांग्रेस रणनीतिकारों के अनुसार ऐसे में बिहार चुनाव में भाजपा के दोहरे सियासी दांवों का महागठबंधन को मुकाबला करना है। 

राहुल गांधी करेंगे वर्चुअल रैलियां

भाजपा एक तरफ नीतीश कुमार के खिलाफ आक्रोश को लोजपा के चिराग पासवान के जरिये हवा देकर सत्ता विरोधी मतों के बंटवारे की सियासी व्यूह रचना रच रही है तो दूसरी ओर खुद को नीतीश सरकार के दाग से भी बचा रही है। इसीलिए बिहार के चुनाव में केंद्र की भाजपा सरकार को इस समय परेशान कर रहे मुददों को कांग्रेस प्रमुखता से उठाएगी, ताकि केंद्र की उपलब्धियों के सहारे चुनावी अभियान को हाइजैक करने की कोशिशों पर महागठबंधन ब्रेक लगा सके। इसके मद्देनजर ही पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बिहार में कई वर्चुअल रैलियों की रूपरेखा बनाई जा रही है। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रदेश में चुनावी रैलियों की संभावनाएं भी टटोली जा रही हैं, लेकिन अभी तक इसकी तस्वीर साफ नहीं हुई है।


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