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Sarairanjan Election 2020: विधानसभा अध्यक्ष की उम्मीदवारी वाली सरायरंजन सीट पर टिकी सबकी निगाहें

Sarairanjan Election News 2020 इस सीट से वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी जदयू प्रत्याशी के रूप में तीसरी बार अपनी जीत के लिए मैदान में हैं। उन्हें टक्कर देने के लिए राजद ने अरविंद सहनी को प्रत्याशी बनाया है।

By Murari KumarEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 05:08 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 07:11 PM (IST)
Sarairanjan Election 2020: विधानसभा अध्यक्ष की उम्मीदवारी वाली सरायरंजन सीट पर टिकी सबकी निगाहें
समस्तीपुर के सरायरंजन सीट से प्रमुख उम्मीदवार की तस्वीर

समस्तीपुर, जेएनएन। सरायरंजन की सरजमी पर शतरंज के मोहरों की तरह चुनावी बाजी जीती जाती है। राजनीति यहां इस कदर रची- बसी है कि कोई चाहकर भी इसे अलग नहीं कर सकता है। यह आज की बात नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. डा. जगन्नाथ मिश्रा की ससुराल भी इसी विधानसभा के सीमावर्ती इलाके में आती है। कभी सलेमपुर से भी पूरे बिहार की राजनीति होती थी। सरायरंजन की फिजा में सियासत तेज है।  हर कोई आपको समीकरण समझाने में देर नहीं करता। 

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इस सीट से वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी जदयू प्रत्याशी के रूप में तीसरी बार अपनी जीत के लिए मैदान में हैं। उन्हें टक्कर देने के लिए राजद ने अरविंद सहनी को प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस से पूर्व में भाग्य आजमा चुके आभाष झा लोजपा के चुनाव चिह्न पर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। वैसे इस विधानसभा में 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। लेकिन राजद समर्थित वोटरों के बीच जदयू प्रत्याशी विजय चौधरी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही। वैसे कौन किसकी बाजी पलट दे, कहना मुश्किल है। ऐसे ही सवालों को लेकर हमने गांव-गांव तक खाक छानी।

 वैसे भी जिले की हॉट सीट में शामिल सरायरंजन विधानसभा पर पूरे बिहार की निगाहें टिकी हैं। राजद ने यहां से अरविंद सहनी को अपना प्रत्याशी बनाया। हालांकि दूसरे जिले के होने के कारण अरविंद सहनी की इस क्षेत्र में पहले से कोई पहचान नहीं रही। लेकिन टिकट मिलने और सामाजिक समीकरण के आधार पर वे मैदान में विधानसभा अध्यक्ष के सामने चुनौती पेश कर रहे। लोजपा प्रत्याशी आभाष कुमार झा भी अपनी उपस्थिति को मजबूत करने में जुटे हैं। विद्यापतिनगर क्षेत्र से आने वाले झा पहले कांग्रेस के टिकट पर यहां अपना भाग्य आजमा चुके हैं। इस बार पाला बदलकर लोजपा के टिकट पर मैदान में उतर गए हैं। यहां वोटिंग की प्रक्रिया संपन्न हो गई है। यहां कुल 59 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। 

2020 के प्रमुख प्रत्याशी 

विजय कुमार चौधरी, जदयू

अरविंद सहनी, राजद

आभाष झा, लोजपा

2815 के विजेता, उप विजेता और मिले मत 

विजय कुमार चौधरी (जदयू) : 81,055

रंजीत निर्गुणी (भाजपा) : 47,011

2010 विजेता उपविजेता और मिले मत

विजय कुमार चौधरी (जदयू) : 53,946

रामाश्रय सहनी (राजद) : 36,389

2005 विजेता उपविजेता और मिले मत

रामचंद्र सिंह निषाद (राजद) : 36,995

विजय कुमार चौधरी (जदयू) : 27,725

कुल मतदाता : 2,79,717

पुरुष वोटरः 1,48,977 (53.25%)

महिला वोटरः 1,30,733 (46.73%)

ट्रांसजेंडर वोटरः 07 (0.00250%)

जीत का गणित

इस विधानसभा क्षेत्र के कुल दो लाख अस्सी हजार के करीब मतदाता हैं। इसमें करीब 95 फीसद जनसंख्या गांवों में रहती है जबकि 5 फीसद शहरों में। इस सीट पर सवर्ण, मल्लाह, यादव, गोस्वामी, कोईरी, वैश्य आदि जातियों का अच्छा-खासा प्रभाव है। खासकर भूमिहार, ब्राह्मण, गोस्वामी और मल्लाह मतदाता यहां निर्णायक माने जाते हैं। दलित एवं महादलित के साथ-साथ अति पिछड़ा समाज के मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है।

प्रमुख मुद्दे

1. रिंग रोड की जर्जर हालत :  यहां के लोगों की सबसे बड़ी समस्या रिंग रोड की जर्जर हालत है। सातनपुर से झखड़ा, सरायरंजन, सरैया होते हुए ताजपुर तक जाने वाली इस सड़क की हालत इतनी जर्जर है कि इस पर चलना मुश्किल हो रहा है। संवेदक के द्वारा घटिया कार्य किए जाने के कारण उस समय भी लोगों ने जमकर हंगामा किया था। संवेदक पर कार्रवाई भी की गई। लेकिन सड़क की स्थिति को सुधारा नही गया। पांच साल इस सड़क को पूरे होने को है परंतु आज तक इसकी मरम्मत नही कराई गई। परिणामस्वरूप यह बड़ी समस्या है।

2. जमुआरी का जीर्णोद्धार : प्रखंड क्षेत्र होकर जमुआरी नदी गुजरती है। इस नदी का जगह-जगह लोगों ने भरकर उंचा कर दिया है। पहले स्लूस गेट से पानी खोल दिया जाता था जिससे बूढी गंडक का पानी जमुआरी में आ जाता था। जिससे किसान सिंचाई कर लेते थे। परंतु अब तक बरसात के दिनों में भी इस नदी में पानी नहीं रहता है।

2. रोजगार के साधनों का अभाव :  इस क्षेत्र के लोगों की सबसे बड़ी समस्या कोई उद्योग धंधा नही रहने को लेकर है। हालांकि मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण होने से आसपास के क्षेत्रों में रोेजगार का सृजन होगा। परंतु वर्तमान स्थिति यह है कि यहां कोई उद्याेग नहीं है।


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