Bihar, Muzaffarpur Election 2020 : क्या मुजफ्फरपुर में जदयू को एक और मनोज कुशवाहा की कहानी से दो-चार होना पड़ेगा या विरोध के बीच भी चुनावी गाड़ी मंजिल तक पहुंच जाएगी, जानिए
Bihar Muzaffarpur Election 2020 मुजफ्फरपुर ही नहीं पूरे सूबे की राजनीति में जदयू के मनोज कुशवाहा एक उदाहरण की तरह बन गए हैं। जिले की ही सकरा सुरक्षित सीट से जदयू के ही प्रत्याशी अशाेक कुमार चौधरी भी इन मुश्किलों से दो-चार हो रहे हैं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Bihar, Muzaffarpur Election 2020 : राजनीति में आपका प्रतिद्वंद्वी कब कौन सा की चाल चले, कहा नहीं जा सकता। पिछले दिनों पूर्व मंत्री और कुढ़नी के पूर्व विधायक रह चुके जदयू नेता मनोज कुमार कुशवाहा के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। स्थिति इस हद तक पहुंच गई कि उन्हें मीनापुर से जदयू प्रत्याशी के रूप में मिले पार्टी सिंबल को वापस करना पड़ा। दरअसल, पार्टी सिंबल मिलने के बाद जैसे ही वे मीनापुर में चुनाव प्रचार करने गए उन्हें पार्टी के आंतरिक विरोध का सामना करना पड़ा। दो-तीन दिनों तक उन्होंने इस विरोध को झेला और क्षेत्र में भ्रमण करते रहे लेकिन, विरोध की हवा इतनी तेज थी कि उन्होंने लड़ाई से पहले ही हथियार डालना बेहतर समझा। पार्टी नेतृत्व को सिंबल वापस कर दिया। जिसके बाद से वे एक नजीर की तरह पेश किए जाने लगे हैं।
वर्तमान में कांटी के निर्दल विधायक और इस चुनाव में सकरा सुरक्षित सीट से जदयू के ही प्रत्याशी का भी स्थानीय जदयू कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू कर दिया है। यह विरोध केवल कहने-सुनने के स्तर तक नहीं होकर मुखर और सभा के रूप में होने लगा है। रविवार को इन लोगों ने एक सभा का भी आयोजन किया। जिसमें किसी भी स्थानीय नेता को टिकट दिए जाने की मांग रखी गई। सकरा प्रखंड के सकरा स्थित विवाह भवन सभागार में जदयू कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। जिसकी अध्यक्षता सकरा प्रखंड अध्यक्ष रवि भूषण ने की। संचालन मुरौल प्रखंड अध्यक्ष मुखिया देवकुमार महतो ने किया। बैठक में कार्यकर्ताओं ने कांटी विधायक अशोक चौधरी की उम्मीदवारी पर नाराजगी जताते हुए स्थानीय कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाने की मांग की। मौके पर पूर्व मंत्री डॉ.शीतल राम, हरिओम कुशवाहा, धर्मेंद्र कुमार शर्मा, सुरेश भगत, संजय पासवान, हरदेव पासवान, शिवओम कुशवाहा, मीनती देवी, रंजीता कुशवाहा आदि उपस्थित थे। इतना ही नहीं इनलोगों ने अपने विरोध के स्वर को दूर तक पहुंचाने के लिए जदयू के मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय के बाहर भी विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि क्या सकरा मेें भी मनोज कुशवाहा प्रकरण दोहराया जाएगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सकरा और मीनापुर की स्थिति पूरी तरह से अलग-अलग है। उनका कहना है कि मीनापुर में मनोज कुशवाहा पार्टी सिंबल मिलने के बाद गए थे। उससे पहले वे कभी उस ओर नहीं गए। इसके विपरीत अशोक चौधरी पिछले तीन वर्ष से सकरा में जमीन स्तर पर काम कर रहे। उन्होंने लगभग हर पंचायत का दौरा किया है। वहां होने वाले आयोजनाें में उनकी उपस्थिति रही है। लोगों के सुख और दुख का हिस्सा बने हैं। अभी तिरहुत नहर टूटने के बाद जिस स्तर पर तबाही हुई थी, उसको उन्होंने अवसर के रूप में लिया और लोगों की सेवा की।
कहा तो यह जा रहा कि स्थानीय और बाहरी के मुद्दे पर हो सकता है कि कुछ कार्यकर्ता उनसे खुश न हों लेकिन, मतदाता के बीच उनकी पहचान है। वे मनोज कुशवाहा की तरह इस क्षेत्र के लिए पूरी तरह से नए नहीं हैं। ऐसे में संभव है कि वे इस विरोध की आंधी को झेल जाएं और जदयू को एक और परेशानी से बचा लें।