Hilsa Election 2020: हिलसा में 53 फीसद वोटिंग, जाप और लोजपा को मिले मत तय करेंगे भविष्य
Hilsa Election News 2020 हिलसा में मुख्य मुकाबला राजद और जदयू के उम्मीदवारों के बीच है। हालांकि जन अधिकार पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवारों को मिलने वाले मत भी चुनाव परिणाम में अहम रोल अदा करेंगे।
जेएनएन, नालंदा। जदयू के महागठबंधन छोड़कर एनडीए का हिस्सा बन जाने से हिलसा विधानसभा क्षेत्र की दलीय स्थिति ठीक उलट हो गई है। जातीय समीकरण भी बदल गए। 2015 के चुनाव में जिले में दो बड़े उलटफेर हुए थे। जद यू के अलग होकर लड़ रही भाजपा ने बिहारशरीफ सीट जदयू से छीन ली थी। वहीं राजद ने जदयू संग गठबंधन के बूते हिलसा विधानसभा सीट पर कब्जा जमा लिया था। यह अरसा बाद राजद की नालंदा जिले में इंट्री थी। इस चुनाव में राजद के लिए हिलसा सीट बचाए रखना बड़ी चुनौती है। राजद ने पिछले चुनाव के विजेता विधायक शक्ति सिंह यादव पर दोबारा भरोसा कर मैदान में उतारा है। इस बार यहां 53.20 फीसद वोटिंग हुई है।
जद यू से नया चेहरा मैदान में
जद यू ने नए चेहरे कृष्णमुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया को टिकट देकर चौंकाया है। ये जद यू के पुराने कार्यकर्ता हैं। इनके बहाने जद यू अपने कार्यकर्ताओं को सम्मान की बात कह रही है। ऐसे में सारा दारोमदार जाप प्रत्याशी राजू दानवीर व लोजपा प्रत्याशी कुमार सुमन सिंह उर्फ रंजीत सिंह को प्राप्त मतों पर है। इन दोनों को प्राप्त मत ही हिलसा का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे। बसपा यहां से हारे या जीते अपने आधार वोट पांच या छह हजार वोट लेती रही है। इस बार हर खेमे के वोटर चुप्पी साधे हैं। परंतु जद यू व राजद में सीधी लड़ाई तय है। कोई अन्य प्रत्याशी मजबूत त्रिकोण बनाता नहीं दिख रहा। इस सीट से कुल 19 प्रत्याशी मैदान में हैं।
प्रमुख प्रत्याशी
अत्रि मुनि उर्फ शक्ति सिंह यादव, राजद
कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया, जदयू
राजू कुमार उर्फ राजू दानवीर , जाप (लो)
कुमार सुमन सिंह उर्फ रंजीत सिंह, लोजपा
रामविलास पासवान, बसपा
प्रमुख तथ्य
कुल मतदाता : 3,01,516
पुरुष: 1,58,009
महिला : 1,43,500
ट्रांस जेंडर : 7
मतदान केंद्र : 322
सहायक मतदान केंद्र : 118
वर्ष - कौन जीता - कौन हारा
2015 - अत्रि मुनी उर्फ शक्ति सिंह यादव, राजद - दीपिका कुमारी, लोजपा
2010 - उषा सिन्हा, जदयू - रीना यादव, लोजपा
2005 - रामचरित्र प्रसाद, जदयू - राजेश कुमार, लोजपा
प्रमुख मुद्दे
1. चिकसौरा को प्रखंड का दर्जा - चिकसौरा को प्रखंड बनाने की मांग हिलसा विधान सभा क्षेत्र के अन्र्तगत चिकसौरा को प्रखंड बनाने की मांग वर्षो से की जा रही है। प्रत्येक लोकसभा एवं विधान सभा चुनाव के समय चिकसौरा को प्रखंड बनाने का मुद्दा जोर पकड़ता है। बीते लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में भी इसकी मांग जोर-शोर से की गयी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चिकसौरा डीह की कई चुनावी सभाओं में चिकसौरा को प्रखंड बनाने का आश्वासन दे चुके हैं। इस बार भी यह मुद्दा जोर पकडऩे लगा है।
2. हिलसा में स्टेडियम - हिलसा हर क्षेत्र में उर्वर है। चाहे बात युवाओं की पढाई का हो या खेल की। यहां फुटबाल, कबड्डी, क्रिकेट जैसे खेलों में राज्य स्तर से राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हुए हैं। लेकिन खेलों के विकास के लिए कोई सुविधा यहां खिलाडिय़ों को उपलब्ध नहीं है। हिलसा में स्टेडियम बनाने की मांग भी दशकों पुरानी है। हिलसा नगर में अवस्थित राम बाबू उच्च माध्यमिक विद्यालय का मैदान ही फिलहाल खिलाडिय़ों का खेल मैदान है। हर चुनाव में वादे किए तो जाते हैं लेकिन पूरे नहीं होते हैं।
3. अतिक्रमण की समस्या - हिलसा में अतिक्रमण की समस्या नासूर बनी हुई है। यहां सरकारी जमीन का अतिक्रमण करने एवं कब्जाने की होड़ है। लोग सड़क, नदी, नाला, पईन, तालाब का अतिक्रमण करने में लगे हैं। हिलसा बाजार की हालात तो काफी खराब है। मेन सड़क से लेकर बिहारी रोड, स्टेशन रोड, बेरथू गांव में सड़क को अतिक्रमण से लोग परेशान हैं।
4. पार्क की कमी - हिलसा के लोग एक अदद पार्क के लिए दशकों से तरस रहे हैं। स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए सुबह की सैर जरुरी बतायी जाती है। परंतु सुबह में सैर करने की यहां कोई जगह नहीं है। पुरुष तो मेन सड़क पर टहलने के लिए निकल जाते हैं लेकिन महिलाएं नहीं निकल पाती हैं। लोगों का कहना है कि स्टेशन रोड के दक्षिण में मौजूद बड़े पोखरे को विकसित कर पार्क बनाने की मांग वर्षों से की जा रहा है। शहर के बीच में यह स्थल पार्क के लिए सर्वोतम है।
5. पक्की सड़क - हिलसा विधान सभा के कई गांव आज भी पक्की सड़क वंचित हैं। हिलसा प्रखंड का कपसियावां बड़ी आबादी वाला गांव है। यह पंचायत भी है और यहां पंचायत भवन भी बना है। पेयजल के लिए वाटर टावर भी बना हुआ है। लेकिन गांव को जाने वाली सड़क जर्जर है। सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं है। नाले का पानी गलियों में बहता रहता है। हाल ही में लोगों ने इस मसले को लेकर प्रदर्शन किया है। लोगों की यहां काफी शिकायत है। यहां के लोगों ने इस बार इसे चुनावी मुद्दा बना दिया है।
6. नोनाई मुहाने नदी - हिलसा विधान सभा के तीन प्रखंड के किसान नोनाई मुहाने नदी का बंद मुंह के नहीं खुलने से परेशान हैं। कई दशकों से इस नदी के उद्गम स्थल उदेरा स्थान में नदी का मुंह बंद है। नदी के बंद मुंह को खोलवाने के लिए क्षेत्र की जनता कई दशक से सरकार से मांग कर रही है। 73 दिनों तक उदेरा स्थान में सत्याग्रह करने वाले मुहाने-नोनाई संघर्ष समिति के संयोजक रामानंद ङ्क्षसह कहते हैं कि पूर्व मुखिया साधुशरण ङ्क्षसह के नेतृत्व में किसानों ने संघर्ष किया था। हाईकोर्ट ने भी खेतों में पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार को आदेश दिया था। सरकार मान नहीं रही थी। बाद में समझौता हुआ। उदेरा स्थान में बराज बना है लेकिन अब भी नदी का मुंह नहीं खोला जा सका है। किसानों की यह पुरानी मांग है जो हर चुनाव में मुद्दा बनता है। लेकिन इस मांग को कोई भी जनप्रतिनिधि आज तक पूरा नहीं करा सका है।