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Bihar Election Flashback: टमटम पर बैठकर वोट मांगने जाती थीं उमा पांडेय, पहले चुनाव में किए थे 15 हजार का खर्च

Bihar Election Flashback एक वह भी दौर था जब प्रत्‍याशी केवल 15 हजार के खर्च में चुनाव लड़ लेते थे। वे टमटम पर बैठकर वोट मांगने जाते थे। अब 92 साल की हो चुकीं पूर्व मंत्री उमा पांडेय ने चुनाव के अपने अनुभव साझा किए। आप भी जानिए।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 08:27 AM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 08:27 AM (IST)
Bihar Election Flashback: टमटम पर बैठकर वोट मांगने जाती थीं उमा पांडेय, पहले चुनाव में किए थे 15 हजार का खर्च
उमा पांडेय को मंत्री पद की शपथ दिलाते तत्‍कालीन गवर्नर वेंकट सुबैय्या। फाइल तस्‍वीर।

सारण, राजीव रंजन। बिहार में 1957 में पहली बार विधायक बनीं थीं उमा पांडेय। बनियापुर से कांग्रेस के टिकट पर छह बार विधायक रह चुकी हैं। दो बार मंत्री भी बनीं। कहती हैं कि चुनाव का स्वरूप आज काफी बदल चुका है। चकाचौंध की राजनीति हो रही। वोटरों से नेता का जुड़ाव नहीं होता है। वोटरों के मन में भी अपने नेता के प्रति श्रद्धा भाव नहीं दिखता। पहले के विधायक और सांसद में एक सेवा भावना रहती थी। तब टमटम पर बैठ कर वोट मांगने और चुनाव प्रचार करने जाती थीं। इतनी भागदौड़ नहीं थी। इतना खर्च नहीं था। नेता अपनी जनता के काफी करीब होते थे।

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यादों में खो गईं पूर्व मंत्री उमा पांडेय

92 वर्ष की उमा पांडेय अपनी डॉक्टर पुत्री के साथ पटना में रहती हैं। कहती हैं कि अब वोट देने नहीं जा पातीं। लेकिन अंतरात्मा एक बार फिर कांग्रेस को उसी सम्मानजनक स्थिति में देखना चाहती है। वे यादों के सागर में उतरती हैं। वे पहली बार विधायक चुनी गईं थी। इसी दौरान क्षेत्र के एक व्यक्ति की तबीयत काफी खराब हो गई। उसे छपरा सदर अस्पताल ले जाना था, लेकिन कोई साधन नहीं था। किसी तरह साइकिल पर बैठाकर बनियापुर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी तय कर मरीज को सदर अस्पताल लाया गया। इस दौरान वे भी साइकिल से चलीं। मरीज के साथ छपरा पहुंचीं।

खोइंछा में मिलीं थीं 15 साडि़यां

पहली बार चुनाव लड़ने कोलकाता से जब बनियापुर पहुंची तो महिलाओं में काफी उत्साह था। चुनाव प्रचार के दौरान काफी संख्या में महिलाएं उनके साथ जाती थी। महिलाओं की एक टोली बन गई थी। जिस घर में जाती थी, उस घर की महिलाएं खोइंछा देती थीं। इस दौरान खोइंछा में उन्हें 15 साडिय़ां मिल गई।

टमटम पर जातीं थीं वोट मांगने

उमा पांडेय बताती हैं कि उनकी पढ़ाई मुजफ्फरपुर और बनारस में हुई। इसके बाद पति के साथ वे कोलकाता में रहतीं थीं। पति फुलेना पांडेय की प्रेरणा से ही वे राजनीति में आईं। वहीं पर कल्याणी नामक स्थान पर 1956 में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। उस अधिवेशन में कांग्रेस सदस्य के रूप में वे भी गईं। अधिवेशन में मोरारजी देसाई आए हुए थे। उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि इस बार 15 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दिया जाएगा। उन्होंने 20-25 महिलाओं का चयन किया। उसमें उनका भी नाम था। सारण के बनियापुर से उन्हें और महाराजगंज सीट से अनसुइया देवी को कांग्रेस ने टिकट दिया। टमटम पर बैठकर वे वोट मांगने जाती थीं। हर व्यक्ति के दरवाजे पर जाती थीं। लोगों का काफी सहयोग मिला। वे और अनसुइया देवी दोनों विजयी हुईं।

खर्च किए थे 15 हजार रुपये

उस वक्त के चुनाव में 15 हजार खर्च किए थे। वे करीब साढ़े छह हजार वोट से चुनाव जीती थीं। गांधी सेतु के उद्घाटन के समय वे सूबे में पीडब्लूडी राज्य मंत्री थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ कई अविस्मरणीय पल व्यतीत किए गए। वे कहती हैं कि अब तो वोट देने जाने में भी सक्षम नही हैं। लेकिन अंतरात्मा एक बाद फिर कांग्रेस को उसी सम्मानजनक स्थिति में देखना चाहती है।


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