Bihar Election 2020: मुकेश सहनी के VIP के लिए सीटों की नहीं थी कमी, राजद ने धीरे-धीरे इन दलों को बाहर का रास्ता दिखाया
Bihar Election 2020 राजद ने हम रालोसपा और वीआइपी को मान लिया था अप्रासंगिक। राजद या कांग्रेस के सिंबल पर वीआइपी को चुनाव लड़ने का दिया था प्रस्ताव। आशंका थी कि चुनाव जीतने के बाद ये पार्टियां दूसरे गठबंधन में ना खिसक जाए।
पटना, राज्य ब्यूरो । Bihar Election 2020: हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) , रालोसपा (RLSP) और अब विकासशील इंसान पार्टी (VIP) की महागठबंधन (Grand Alliance) से विदाई अप्रत्याशित नहीं है। इन दलों को धीरे-धीरे बाहर का रास्ता दिखाया गया है। बीते लोकसभा चुनाव (Parliamentary Election) के परिणाम के बाद से ही इन सबको अप्रासंगिक (not relevant) मान लिया गया था। इन दलों की उम्र बमुश्किल छह-सात साल है। इसी अवधि में इन दलों ने सभी बड़े दलों के समझौता (formed alliance) किया। दोस्ती की। अलग भी हो गए।
आशंका थी खिसक न जाएं
महागठबंधन के पास इन्हें देने के लिए सीटों की कमी नहीं थी। प्रस्ताव था कि उम्मीदवार (Candidates) इनके होंगे। उनके उम्मीदवारों को राजद (RJD) या कांग्रेस (Congress) के सिंबल पर चुनाव लडऩा होगा। आशंका यह जाहिर की गई कि चुनाव जीतने के बाद इनके विधायक (MLA) कहीं दूसरे गठबंधन की सरकार बनाने के लिए न खिसक जाएं। एहतियात के लिए दिया गया गए प्रस्ताव दलों को मंजूर नहीं था। लिहाजा, ये बारी-बारी से अलग होते गए।
मांझी एक हद तक ईमानदार रहे
हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) इस हद तक ईमानदार रहे कि उन्होंने कभी कुछ छिपाया नहीं। लोकसभा चुनाव के बाद से ही मांझी ने कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की तारीफ की। सीटों के बंटवारा (seat sharing) से पहले वे निकल गए।
तेजस्वी को सीएम फेस नहीं माना
रालोसपा (RLSP) अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने कभी तेजस्वी (Tejashwi) को मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं माना। कुछ दिनों तक कांग्रेस ने भी उनका मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया। मांग के अनुरूप सीटें न मिलने की संभावना देखकर वह भी अलग हो गए।
एनडीए के संपर्क में रहने की आशंका
मुकेश सहनी के बारे में खबर थी कि वे एनडीए के नियमित संपर्क में हैं। राजद ने उनके सामने भी यही शर्त रखी कि हमारे सिंबल पर चुनाव लडऩा है तो लड़ें। सहनी के लिए अलग से सीटों की घोषणा भी नहीं की गई। वैसे भी उन्होंने 2019 के पहले के दो चुनावों में एनडीए का ही प्रचार किया था। अधिक सीट मांगने के सवाल पर जदयू भी लोजपा के साथ मिलता-जुलता व्यवहार कर रहा है। फर्क है, एनडीए में लोजपा के प्रति भाजपा की हमदर्दी है। महागठबंधन के किसी बड़े दल ने ऐसी हमदर्दी छोटे दलों के प्रति नहीं दिखाई।