Bihar Election 2020: राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब चुनाव लड़ने को तैयार नहीं
Bihar Election 2020 इस बार राजद के बाहुबली नेता मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। राजद उनसे सहमति मिलने का इंतजार कर रहा था। किंतु हिना ने अपने करीबी हरिशंकर यादव की दावेदारी पर ही मुहर लगा दी। जानिए क्यों
पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Election 2020: राजद ने वोट बैंक का ख्याल करते हुए सिवान जिले की रघुनाथपुर सीट से हिना शहाब को चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया। मगर इस बार राजद के बाहुबली नेता मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए तैयार नहीं हैं। राजद उनसे सहमति मिलने का इंतजार कर रहा था। उन्हें रघुनाथपुर सीट से लडऩे का प्रस्ताव दिया गया था। किंतु हिना ने अपने करीबी हरिशंकर यादव की दावेदारी पर ही मुहर लगा दी। पिछली बार भी हिना ने हरिशंकर को ही लड़ाया और जिताया था। हिना शहाब खुद 2009, 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव हार चुकी हैं।
बता दें कि हिना ने राजनीति में 2009 में तब कदम रखा था जब पति शहाबु्द्दीन के चुनाव लड़ने पर कोर्ट ने रोक लगा दी। वह 2009, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ी थीं। तीनों ही चुनाव में हार गई थीं।
कौन है शहाबुद्दीन
बता दें कि बाहुबली व पूर्व सांसद शहाबुद्दीन बिहार में कभी आतंक का पर्याय माना जाता था। सिवान जिले में तो उसकी सामानांतर सरकार चलती थी। वह खुद ही दरबार भी लगाता था। हत्या, लूट, अपहरण , अवैध हथियार की खरीद-बिक्री जैसी ना जाने अपराध के किस स्याही से उसके हाथ न रंगे थे। फिलहाल वह चर्चित तेजाब हत्याकांड सहित कई आपराधिक मामलों में दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। लालू के समय ' जंगलराज' का तमगा ऐसे बाहुबली नेताओं के कारण ही मिला है। राजद प्रमुख लालू यादव ने उसे 1990 में पार्टी में शामिल किया था। तब से वह दो बार विधायक और चार बार सांसद बने।
बहरहाल, इसके अलावा भी राजद में टिकट काटने-बांटने का काम गुपचुप तरीके से किया जा रहा है। पहले चरण में सभी 42 सीटों पर राजद ने दावेदारों को चुपके से ही सिंबल दिया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी ने 11 अक्टूबर रविवार को देर रात तक 34 दावेदारों को सिंबल दिए। जदयू से आए वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री रमई राम को भी राजद ने आश्रय दिया है। उन्हें बोचहां से राजद का प्रत्याशी बनाया गया है। अन्य दावेदारों को सिंबल देने का सिलसिला जारी है। दूसरे चरण के साथ-साथ अब तीसरे चरण के भी सिंबल दिए जा रहे हैं। शिवहर से आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद को सिंबल देने के बाद रविवार को सहरसा से लवली आनंद को भी टिकट दे दिया गया है।
बागियों को मिला सिंबल
परिहार में जदयू से महज कुछ दिन पहले आई रितु जायसवाल को टिकट दे दिया गया। इसी तरह लवली आनंद के बेटे को शिवहर से लालटेन थमा दी गई। लवली ने मात्र 12 दिन पहले 28 सितंबर को जदयू छोड़कर राजद की सदस्यता ली थी। उन्हें सहरसा से तो उनके पुत्र चेतन आनंद को शिवहर से टिकट मिल गया है। प्रत्याशियों में फेरबदल का सिलसिला जारी है। अभी तक दोनों चरणों में आठ विधायक बेटिकट हो चुके हैं।
रामचंद्र पूर्वे की दावेदारी दरकिनार
परिहार में राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे की दावेदारी थी। विधान परिषद सदस्य बनने के बाद वे पत्नी डॉ. रंजना पूर्वे के लिए टिकट चाह रहे थे। राजद में परिजनों को टिकट दिलाना कोई जुर्म नहीं माना जाता। कई नेताओं ने परिजनों को टिकट दिलाया है। परिहार चूंकि रामचंद्र पूर्वे की परंपरागत सीट है। इसलिए इस पर उनकी नजर थी। पिछली बार वे यहां से मामूली अंतर से हार गए थे। किंतु आलाकमान ने पूर्वे की दावेदारी को दरकिनार करते हुए रितु को उम्मीदवार बनाया। उन्हें सिंबल भी मिल चुका है।
इसी तरह शिवहर में लवली आनंद पिछला चुनाव हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के टिकट पर लड़ी थीं। हार गईं। बाद में उन्होंने जदयू ज्वाइन कर लिया, लेकिन वहां टिकट मिलने की गुंजाइश नहीं दिखी तो पुत्र चेतन आनंद के साथ 12 दिन पहले लालटेन पकड़ ली। अब चेतन को शिवहर से प्रत्याशी बनाया गया है, जबकि यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. रघुनाथ झा के पौत्र नवनीत झा दावेदार थे। झा परिवार की यह परंपरागत सीट है। नवनीत के पिता अजीत झा भी यहां से विधायक रह चुके हैं।
यहां भी टिकट पर घमासान
बड़हरा सीट पर भी विवाद है। भाजपा के एमएलसी चुन्ना पांडेय के भाई बच्चा पांडेय को राजद ने धूमधाम से ज्वाइन कराया था। टिकट का भरोसा भी दिया था। अब वृशिण पटेल की दावेदारी भारी हो गई है। बच्चा पांडेय को यह रास नहीं आ रहा। इस दौरान शनिवार को नाथनगर से अली अशरफ सिद्दीकी और सोनपुर से रामानुज प्रसाद को भी सिंबल थमा दिया गया है।