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Bihar Election 2020: चिराग की जदयू से नाराजगी एक दिन की नहीं, नीतीश ने कभी उनसे मिलने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाई

Bihar Election 2020 चिराग के संसदीय क्षेत्र जमुई के सरकारी अधिकारी उन्हें तरजीह नहीं देते थे। क्षेत्र के विकास से संबंधित बैठकों में भी अधिकारी नहीं आते थे। चिराग को बुरा लगता था। जानिए चिराग और सीएम नीतीश में कैसे बढ़ती गई तल्‍खी ।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 08:11 PM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 08:11 PM (IST)
Bihar Election 2020: चिराग की जदयू से नाराजगी एक दिन की नहीं, नीतीश ने कभी उनसे  मिलने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाई
लोजपा अध्‍यक्ष चिराग पासवान और सीएम नीतीश कुमार की तस्‍वीर।

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Election 2020: लोजपा (LJP) अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan)  की नाराजगी एक दिन की नहीं है। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की सरकार को लेकर हमेशा असहज रहे हैं। यह उन दिनों की बात है, जब नीतीश एनडीए (NDA) से अलग थे। चिराग के संसदीय क्षेत्र जमुई के सरकारी अधिकारी उन्हें तरजीह नहीं देते थे। क्षेत्र के विकास से संबंधित बैठकों में भी अधिकारी नहीं आते थे। चिराग को बुरा लगता था। कुछ न बिगाड़ पाने की विवशता की वजह से कुछ बोल नहीं पाते थे। दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के प्रति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्य सरकार का रवैया हमेशा सकारात्मक रहा। पासवान को कभी राज्य सरकार से शिकायत नहीं हुई।

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चिराग को उम्‍मीद बंधी

महागठबंधन से अलग होकर जदयू जब एनडीए से जुड़ा, तब चिराग को उम्मीद बंधी कि उनके क्षेत्र के अधिकारी कहा मानेंगे। बैठकों में बुलाए जाने पर आएंगे। ऐसा कुछ नहीं हुआ। लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस भी नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल हुए। उन्होंने हस्तक्षेप किया। चिराग के पसंद के कुछ अधिकारियों की जमुई जिला और पुलिस प्रशासन में तैनाती हुई। कहते हैं कि उनकी पसंद के जिलाधिकारी को भी तैनात किया गया। इसके बाद अपने संसदीय क्षेत्र के अधिकारियों से चिराग को कोई शिकायत नहीं रह गई। वजह कुछ भी हो, नीतीश कुमार ने चिराग से मिलने में कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई।

चिराग की सीएम से फोन पर भी बात नहीं होती थी

चिराग खुद स्वीकार करते हैं कि उनसे मुख्यमंत्री की टेलीफोन पर भी बातचीत नहीं होती थी। उनके पत्र के जवाब तो दूर, प्राप्ति की सूचना तक नहीं दी जाती थी। धीरे-धीरे चिराग की तल्खी बढ़ी। राज्य सरकार पर उनका जुबानी हमला तेज हुआ। नीतीश ने कभी उनकी गतिविधियों को गंभीरता से नहीं लिया।

उसके बाद चिराग ने सीएम को कॉल नहीं किया

नीट परीक्षा के मामले में चिराग मुख्यमंत्री से बातचीत करना चाहते थे। वे जानना चाहते थे कि इस परीक्षा को टालने या निर्धारित समय पर आयोजित करने के बारे में सरकार का क्या रूख है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री आवास में फोन किया। मुख्यमंत्री के बदले उनके एक सचिव से बातचीत हुई। यह सितंबर के पहले सप्ताह की बात है। उसके बाद चिराग का कोई कॉल मुख्यमंत्री निवास नहीं पहुंचा।


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