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बिहार चुनाव 2020 : बिहार सरकार के मंत्री की है सीट, इस बार कांटे की टक्कर

15 जुलाई 1963 को जन्मे राम नारायण मंडल की गिनती बिहार के कद्दावर नेताओं में होती है। उन्होंने साल 1972 में राजनीति में एंट्री की। 1990 में पहली बार वह विधानसभा पहुंचे। उन्हें यहां से राजद के उम्मीदवार डॉ. जावेद इकबाल अंसारी टक्कर दे रहे हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 03:02 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 03:02 PM (IST)
बिहार चुनाव 2020 : बिहार सरकार के मंत्री की है सीट, इस बार कांटे की टक्कर
सूबे के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल।

बांका, जेएनएन। इस बार बांका विधानसभा में दिलचस्प मुकाबला होगा। यहां पर बिहार सरकार के एक मंत्री भी चुनावी जंग में शामिल हैं। इस कारण यह सीट वीआईपी माना जा रहा है।

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इस विधानसभा सीट से चुनावी समर में कई निर्दलीय ने भी पर्चा दाखिल किया है। हालांकि मुख्य मुकबाला भाजपा से सिटिंग विधायक और सूबे के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल को उतारा है। वह यहां से पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि इस बार उनका डगर आसान नहीं होगा। उन्हें यहां से राजद के उम्मीदवार डॉ. जावेद इकबाल अंसारी टक्कर दे रहे हैं।

पांच बार से विधायक हैं रामनारायण मंडल

15 जुलाई, 1963 को जन्मे राम नारायण मंडल की गिनती बिहार के कद्दावर नेताओं में होती है। उन्होंने साल 1972 में राजनीति में एंट्री की। 1990 में पहली बार वह विधानसभा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने 2000, 2005 और 2015 में जीत हासिल की। राम नारायण मंडल राज्य सरकार में 2005 से 2010 तक भी मंत्री रह चुके हैं।

बिहार की बांका विधानसभा सीट राज्य की अहम विधानसभा सीटों में से एक है.1951 में बांका सीट अस्तित्व में आई. यहां पर हुए हाल के चुनावों में बीजेपी और आरजेडी के बीच मुकाबला देखने को मिला है. इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और राम नारायण मंडल विधायक हैं. बांका में इस बार के भी चुनाव में बीजेपी और आरजेडी के बीच ही मुकाबला देखने को मिल सकता है.

बांका के बांकपन के इर्द-गिर्द हमेशा से सूबे की राजनीति घूमती रही है। यहां से मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और राज्य सरकार के कई मंत्री बनाए गए हैं। यह धरती राजनीतिक रूप से हमेशा चर्चा में रही है। यहां से राजनारायण, जॉर्ज फर्नांडीस और मधु लिमये जैसी हस्तियां भी चुनावी रण में उतर चुकी हैं। 1985 में जॉर्ज फर्नांडीस को चंद्रशेखर सिंह ने पराजित किया था। चंद्रशेखर सिंह की मौत के बाद जॉर्ज 1986 में यहां से उपचुनाव लड़े थे। तब चंद्रशेखर सिंह की पत्नी मनोरमा सिंह की जीत हुई थी।


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