Bihar Election 2020: नया कोई गुल खिलाएगी, लोजपा की भाजपा से दोस्ती और जदयू से दुश्मनी
Bihar Election 2020 एनडीए से लोजपा के अलग होने से बिहार विधान सभा के बदले समीकरण। बदले समीकरण के चलते न सिर्फ जदयू बल्कि भाजपा को भी चुनावी रणनीति में बदलाव लाने को विवश कर दिया है। लोजपा का फैसला पार्टी का भविष्य भी बदलेगा। पढि़ए नए राजनीतिक समीकरण।
पटना, दीनानाथ साहनी। Bihar Assembly Election 2020: बिहार चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। ऐन वक्त पर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से लोक जनशक्ति पार्टी ने साथ छुड़ा कर चुनावी समीकरण बदल दिया है। बदले समीकरण के चलते न सिर्फ जदयू बल्कि भाजपा को भी चुनावी रणनीति में बदलाव लाने को विवश कर दिया है। राजनीतिक गलियारों में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि लोजपा की भाजपा से दोस्ती और जदयू से दुश्मनी चुनाव में क्या गुल खिलाएगी।
लोजपा के भविष्य की राहत तय होगी
चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में लोजपा का चुनाव नहीं लडऩे का फैसला बिहार और देश की राजनीति पर दूरगामी असर छोड़ेगा। वहीं लोजपा के लिए यह अहम राजनीतिक फैसला उसकी भविष्य की राह तय करेगा। लोजपा के एक प्रमुख नेता का कहना है कि उनकी पार्टी किसी खास दल के खिलाफ नहीं है। पार्टी ऐसी सोच आधारित राजनीति में विश्वास नहीं करती। जो भी 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट' विजन डाक्यूमेंट-2020 और बिहार के विकास में योगदान देगा पार्टी उसका स्वागत करेगी।
चिराग चुनाव बाद ले सकते हैं बड़ा निर्णय
लोजपा की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले राजनीतिक चिंतक प्रो.दिलीप राम के मुताबिक लंबे समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज चल रहे लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के नेतृत्व को अस्वीकार कर दिया है। यह अचानक लिया गया फैसला नहीं है बल्कि इसकी पटकथा काफी पहले से ही लिखी जा रही थी। लोजपा अब कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जदयू और भाजपा के बीच सीटों के बंटवारे पर निर्भर करेगा। इससे राजग का चुनावी समीकरण प्रभावित होना स्वभाविक है। चुनाव बाद चिराग और कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं।
लोजपा की कमान संभालते ही चिराग ने जदयू से अलग स्टैंड लिया
चिराग ने लोजपा की कमान संभालते ही अलग स्टैंड लिया ताकि पार्टी को मजबूती से स्थापित किया जा सके। और, अब वे खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में हैं। यही वजह है कि कई मौकों पर उन्होंने अपना स्टैंड जदयू से अलग दिखाया। चिराग सरकार की कई योजनाओं के क्रियान्वयन व अफसरशाही पर सवाल उठाने से पीछे नहीं रहे। जब जदयू ने समय पर चुनाव कराने की बात की तो चिराग ने चुनाव आयोग को पत्र के जरिये कोरोना संक्रमण के चलते अभी चुनाव नहीं कराने की मांग कर दी। जबकि इस मुद्दे पर भाजपा ने कोई बयान नहीं दिया। भाजपा ने इसे चुनाव आयोग पर छोड़ दिया। चिराग की नाराजगी इस बात से भी रही कि उनकी बात नीतीश सरकार में नहीं सुनी जाती है। चिराग ने बाढ़, कोरोना, अपराध, बेरोजगारी, लॉकडाउन के समय श्रमिकों की वापसी के सवाल पर सरकार को घेरने का काम किया। लेकिन वे भाजपा के खिलाफ कुछ भी नहीं बोले।