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Sheikpura Election 2020: शेखपुरा में शांतिपूर्ण रहा मतदान; 11 प्रत्याशी मैदान में, पत्थर और प्याज का मुद्दा जोरों पर

Sheikpura Election News 2020 शेखपुरा की जनता ने जिसे एक बार चुन लिया उसे जल्दी छोड़ती नहीं। तभी तो पंद्रह चुनावों में दस बार कांग्रेस तीन बार सीपीआइ और दो बार जदयू को मौका मिला है। इस बार कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं।

By Prashant ShekharEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 09:20 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 08:12 PM (IST)
Sheikpura Election 2020: शेखपुरा में शांतिपूर्ण रहा मतदान; 11 प्रत्याशी मैदान में, पत्थर और प्याज का मुद्दा जोरों पर
बिहार विधानसभा चुनाव में शेखपुरा सीट के प्रत्‍याशी।

जेएनएन, पटना। शेखपुरा में पहले चरण काम मतदान शांतिपूर्ण रहा। शेखपुरा की जनता ने जिसे एक बार चुन लिया, उसे जल्दी छोड़ती नहीं। तभी तो पंद्रह चुनावों में दस बार कांग्रेस, तीन बार सीपीआइ और दो बार जदयू को मौका मिला है। इस बार कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। रणधीर कुमार सोनी तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। वर्ष 2015 में रणधीर कुमार सोनी ने एचएएमएस के नरेश शॉ को 13,101 मत पराजित किया था। चुनाव सरगरमी तेज होते ही युवा उम्मीदों को पंख देने के सपने बुनने लगे हैं। चौक-चौराहों पर भावी प्रत्याशियों की चर्चा के साथ ही मुद्दों की हवा बनने लगी है। भावी प्रत्याशी समर्थक भी अपने-अपने तरीके से जनता को लुभाने में लगे हैं। जनता भी कम नहीं, मौन साधकर पिछले अनुभवों और कार्यों का गुणा-भाग करने में लगी है। शेखपुरा को शहर शेखपुरा के रूप में जानते हैं। मगर कारोबारी क्षेत्र में शेखपुरा की एक और पहचान  पत्थर तथा प्याज के केंद्र के रूप में भी है। शेखपुरा के पत्थर तथा प्याज का कारोबार सौ साल से अधिक समय से हो रहा है।  इन दोनों से जुड़े कारोबारी तथा किसान की हालत बदतर होती है। पत्थर तथा प्याज से क्षेत्र के हजारों लोगों का हित जुड़ा हुआ है। इन दोनों मुद्दों को लेकर कई आंदोलन भी खड़े हुए।

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मुद्दा पहला

50 हजार मजदूरों का पलायन

पिछले 5 वर्षों में जिला के पत्थर कारोबार से जुड़े 50 हजार मजदूरों को पलायन करना पड़ा है। इसके साथ ही पहाड़ों में काम कराने वाले ढाई सौ से आधिक स्थानीय कारोबारियों को काम छोडऩा पड़ा है। पत्थर का कारोबार से जुड़े प्रभात बताते हैं यह स्थिति पहाड़ में देश की बड़ी कंपनियों की इंट्री से पैदा हुई है। सरकार की नीति की वजह से मजबूरन छोटे कारोबारियों को पहाड़ का धंधा छोडऩा पड़ा है। बड़े कंपनी के आने से जिला के पहाड़ों में काम करने वाले 50 हजार श्रमिकों को पलायन करना पड़ा है। बड़ी कंपनियां स्वचालित मशीनों से काम करती है। इससे खनन के साथ पत्थर के लोङ्क्षडग में लगे मजदूरों को पलायन करना पड़ा है।

मुद्दा दूसरा

प्याज की खेती छोड़ रहे किसान

गुलाबी प्याज की खेती के लिए विख्यात शेखपुरा के किसान अब इस पारंपरिक काम से विमुख हो रहे हैं। शेखपुरा में प्याज की खेती सौ साल से भी अधिक समय से हो रही है। शेखपुरा का गुलाबी प्याज देश के दूसरे राज्यों के साथ पड़ोसी देशों बांग्लादेश,श्रीलंका तथा पाकिस्तान के साथ खाड़ी के देशों को भेजा जाता है। इससे सरकार को विदेशी मुद्रा भी हासिल होती है। शेखपुरा के प्याज से सरकार तथा कारोबारी मालामाल हो रहे हैं। मगर खेतों में पसीने बहाने वाले किसानों की स्थिति बदतर होती जा रही है। प्याज के पुराने कारोबारी भूनेश्वर प्रसाद बताते हैं प्याज की खेती करने वाले किसानों को सरकार से किसी तरह की मदद नहीं मिलने से किसानों की माली हालत खराब हो रही है। किसानों को भंडारण की सुविधा नहीं रहने से वे शुरू में ही औने-पौने भाव में प्याज बेच देते हैं। कारोबारी शुरू में कम कीमत में प्याज खरीदकर उसका भंडारण करके सितंबर-अक्टूबर में मनमाना कीमत वसूल करते हैं।

मुद्दा तीन

टाल के गांवों में आवागमन

की सुविधा नहीं

शेखपुरा के टाल बहुल क्षेत्र घाटकुसुम्भा के कई गांव आज भी पक्की सड़क से नहीं जुड़ पाये हैं। चुनावों के पहले इन मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां घमासान करती हैं। मगर चुनाव को डुगडुगी बजते ही वोट को जातीय समीकरणों में फिट करने में जुट जाते हैं। टाल के बाउघाट निवासी पुराने सामाजिक कार्यकर्ता रामाश्रय प्रसाद बताते हैं। सरकार ने घाटकुसुम्भा के गांवों को पक्की सड़क के नेटवर्क से जोडऩे का काम शुरू किया था। मगर काम करने वाली एजेंसियों के अड़ंगे की वजह से 15 वर्षों में भी यह मिशन अधूरा पड़ा हुआ है। सड़कों के अभाव की वजह से क्षेत्र के दर्जनभर गांवों के लोगों को बरसात के दिनों में सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है। चुनाव के समय लोग भी इन मुद्दों को भूलकर दलित तथा जातीय समीकरण के जाल उलझ जाते हैं।

मुद्दा चार

अरियरी-चेवाड़ा में ङ्क्षसचाई

की सुविधा नहीं

शेखपुरा का अरियरी तथा चेवाड़ा प्रखंड ङ्क्षसचाई की समस्या से दो-चार होता रहा है। क्षेत्र का यह दोनों प्रखंड एकमात्र कृषि पर आधारित है। दोनों प्रखंडों की 17 पंचायतों में अधिकांश गांव ङ्क्षसचाई की पक्की व्यवस्था से वंचित हैं। इस क्षेत्र में राजकीय नलकूपों की भी कमी है। पिछले वर्षों में जब भी जिला सुखाड़ की मार झेला है सबसे अधिक पीड़ा इन्हीं दो प्रखंडों को सहनी पड़ी है। इस मामले में किसान यूनियन के नेता सुरेश प्रसाद बताते हैं क्षेत्र में ङ्क्षसचाई सुविधा के लिए सरकार का हर खेत को पानी योजना कारगर साबित हो सकती है। मगर खेतों तक बिजली पहुंचाने की गति धीमी है। इसको तेज करना होगा तथा ङ्क्षसचाई के लिए बिजली सप्लाई की व्यवस्था को भी दुरुस्त करना होगा।

11 प्रत्याशी मैदान में

जदयू : रणधीर कुमार सोनी

राजद : विजय सम्राट

लोजपा : इमाम गजाली

राजपा : दिलीप कुमार

जाप : अजय कुमार

जनतांत्रिक लोकहित पार्टी : दारो बिंद

निर्दलीय : रिंकू देवी

निर्दलीय : राजेंद्र प्रसाद गुप्ता

निर्दलीय : कृष्ण मुरारी

निर्दलीय : गौरव कुमार

वर्ष 2015 विस चुनाव

जीत

जेडीयू के रणधीर कुमार सोनी

प्राप्त वोट 41755

हार

एचएएमएस के नरेश शॉ

प्राप्त वोट 28654

हार का अंतर 13101

वर्ष 2010 विस चुनाव

जीत

जेडीयू के रणधीर कुमार सोनी

प्राप्त वोट 31507

हार

कांग्रेस के सुनीला देवी

प्राप्त वोट 24165

हार का अंतर 7342

ये भी जानें

कुल मतदाता : 4 लाख 82 हजार 56

महिला :  2 लाख 30 हजार 960

पुरुष : 2 लाख 51 हजार 96


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