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Bihar Chunav 2020: विवादित बोल पर चुनाव आयोग का कोड़ा, तरकश से नहीं निकल रहे बयान वीरों के तीर

Bihar Chunav 2020 केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने अपने शुरुआती भाषण में कहा था-विधानसभा चुनाव में अगर महागठबंधन जीत गया तो जम्मू-कश्मीर के आतंकवादी बिहार में पनाह लेंगे। किसी दूसरे दल से पहले भाजपा ने उनके भाषण के इस हिस्से का संज्ञान लिया।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 11:39 AM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 11:39 AM (IST)
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में विवादित बोल का शोर नहीं रहा।

पटना [ अरुण अशेष ]। Bihar Chunav 2020 विधानसभा चुनाव में बयान से तूफान पैदा करने वाले नेता करतब नहीं कर पा रहे हैं। असल में किसी दल का नेतृत्व नहीं चाहता कि उसके किसी नेता के भाषण से चुनाव का माहौल खराब हो। सो, इस श्रेणी के नेताओं को हिदायत दी गई है कि वे थोड़ा कम बोलें। अच्छा बोलें। राजद ने तो अपने एक नेता को चुनाव प्रचार में लगाया ही नहीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में ये प्रचार करने उतरे थे तो दो सीटों पर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार की हवा खराब हो गई थी। भाजपा में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को फायरब्रांड नेता कहा जाता है। लोकसभा चुनाव तो पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा गया था। इसलिए दूसरे नेताओं के भाषण पर लोग गौर नहीं कर रहे थे। लेकिन, विधानसभा चुनाव में हार-जीत का फासला कम वोटों के अंतर से होता है, लिहाजा दलों के नेता एक-एक वोट की परवाह करते हैं। दूसरा चरण का मतदान खत्म होने तक गिरिराज सिंह ने अपने भाषण या बयान में ऐसा कुछ नहीं कहा है, जिस पर दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया हुई है।

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चल पड़े थे रास्ते पर

कांग्रेस ने जाले विधानसभा क्षेत्र से एएमयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष मशकूर उस्मानी उम्मीदवार बनाया तो गिरिराज सिंह को लगा कि यह अवसर है। इसके जरिए कांग्रेस को घेर सकते हैं। उम्मीदवार बनने की खबर मिलते ही गिरिराज ने उस्मानी को जिन्ना का समर्थक बता दिया। कांग्रेस ने जवाब देने में तनिक देरी नहीं की। प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा-उस्मानी कभी जिन्ना का समर्थक नहीं रहा है। सच तो यह है कि उस्मानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एएमयू और बांबे हाई कोर्ट से जिन्ना की प्रतिमा हटाने की मांग की थी। उस्मानी का विवाद वहीं थम गया। उस्मानी के खिलाफ भाजपा के जीवेश कुमार चुनाव लड़ रहे हैं। वह भाजपा के सिटिंग विधायक  हैं।

आयोग ने लिया था संज्ञान

दरअसल, गिरिराज सिंह के भाषण को लेकर चुनाव आयोग भी सतर्क है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान विवादास्पद भाषण देने के लिए चुनाव आयोग ने गिरिराज सिंह को नोटिस जारी किया था। यह 24 अप्रैल 2019 की घटना है। सिंह ने अपने भाषण में वंदे मातरम न कहने वाले की राष्ट्रभक्ति पर सवाल उठाया था। चुनाव आयोग से हरे रंग के झंडे पर रोक लगाने की भी मांग की थी। खबर है कि भाजपा-जदयू के शीर्ष नेतृत्व के बीच हुई बातचीत में भी यह राय बनी थी कि विधानसभा चुनाव में अप्रिय प्रसंगों की चर्चा से बचा जाए। समझा जाता है कि रणनीति के तहत ही गिरिराज पहले की तुलना में संतुलित ढंग से बोल रहे हैं।

नित्यानंद पीछे हट गए

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने अपने शुरुआती भाषण में कहा था-विधानसभा चुनाव में अगर महागठबंधन जीत गया तो जम्मू-कश्मीर के आतंकवादी बिहार में पनाह लेंगे। किसी दूसरे दल से पहले भाजपा ने उनके भाषण के इस हिस्से का संज्ञान लिया। पार्टी की ओर से सफाई दी गई कि राय के भाषण का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। असल में उनकी मंशा बुरी नहीं थी।

तेज प्रताप किनारे लगे रहे

राजद के इकलौते नेता तेज प्रताप यादव हैं, जिनके भाषण से पार्टी को कई बार असुविधा हुई। लोकसभा के पिछले चुनाव में तेजस्वी स्टार प्रचारक थे। जहानाबाद और शिवहर में उन्होंने राजद के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ और अपने समर्थक निर्दलीय उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार कर दिया। जहानाबाद के राजद उम्मीदवार सुरेंद्र यादव की हार मामूली वोटों के अंतर से हुई। नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव में तेजस्वी को स्टार प्रचारक तो बना दिया, मगर प्रचार करने के लिए कहीं नहीं भेजा। वे पूरे चुनाव अपने विधानसभा क्षेत्र हसनपुर में सिमटे रहे। एकाध सीटों पर प्रचार भी किया तो उनकी भाषा बेहद संयत थी।


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