Bihar Assembly Elections 2020: छह दशक से दो परिवार के बीच घूम रही चकाई की राजनीतिक धूरी, इस बार इस तरह होगा समीकरण
चकाई विधानसभा क्षेत्र में छह दशक से दो परिवार के बीच राजनीति की धूरी घूमती रही है। इस बार भी फाल्गुनी यादव की पत्नी सावित्री देवी और नरेंद्र सिंह के पुत्र सुमित कुमार सिंह के बीच ही मुकाबला होगा।
जमुई [अरविंद कुमार सिंह]। बिहार और झारखंड की सीमा पर अवस्थित चकाई विधानसभा क्षेत्र में छह दशक से दो परिवार के बीच राजनीति की धूरी घूमती रही है। बीच-बीच में एक-आध बार किसी अन्य की एंट्री हुई है, अन्यथा वहां पक्ष और विपक्ष की राजनीति पर नरेंद्र सिंह एवं फाल्गुनी यादव के परिवार का ही दबदबा रहा है।
इस बार भी फाल्गुनी यादव की पत्नी सावित्री देवी और नरेंद्र ङ्क्षसह के पुत्र सुमित कुमार सिंह के बीच ही मुकाबला होगा। चकाई विधानसभा क्षेत्र से नरेंद्र सिंह के पिता श्रीकृष्ण सिंह पहली बार 1967 में विधायक चुने गए थे। 1969 के चुनाव में ही श्रीकृष्ण ङ्क्षसह के सामने फाल्गुनी प्रसाद यादव चुनाव मैदान में आ गए थे हालांकि तब उन्हें तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था। दूसरी बार 1972 में कांग्रेस के दिग्गज चंद्रशेखर ङ्क्षसह एवं श्री कृष्ण सिंह के बीच लड़ाई हुई लेकिन मामूली वोटों से पीछे फाल्गुनी यादव भी तीसरा कोण बनाने में कामयाब रहे थे। दो चुनाव से संघर्ष कर रहे फाल्गुनी प्रसाद यादव को पहली बार 1977 में सफलता हाथ लगी। लगातार 80 में भी उन्होंने जीत दर्ज कराई। 1985 में श्री कृष्ण सिंह के पुत्र नरेंद्र ङ्क्षसह ने चकाई की राजनीति में धमाकेदार एंट्री की और 53 हजार वोट हासिल कर बड़ी जीत दर्ज कराई। 1990 के चुनाव में भी नरेंद्र ङ्क्षसह की वापसी हुई जबकि 1995 में लालू प्रसाद के सामाजिक न्याय के रथ पर सवार नरेंद्र ङ्क्षसह को फाल्गुनी यादव से हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष 2000 में नरेंद्र सिंह ने निर्दलीय विजय का परचम लहराया,तब भी सामने फाल्गुनी प्रसाद यादव ही थे। 2005 में नरेंद्र सिंह के पुत्र अभय ङ्क्षसह चुनाव मैदान में उतरे और उनकी टक्कर फाल्गुनी प्रसाद यादव से हुई थी। 2005 अक्टूबर के चुनाव में अभय ङ्क्षसह ने जमुई विधानसभा का रुख कर लिया लेकिन अपरोक्ष रूप से नरेंद्र सिंह ने अर्जुन मंडल को चुनाव मैदान में उतारा जहां फाल्गुनी यादव के सामने उन्हें शिकस्त मिली। 2010 के चुनाव की बात करें तो यहां नरेंद्र ङ्क्षसह के दूसरे पुत्र सुमित कुमार ङ्क्षसह के माथे जीत का सेहरा बंधा तो 2015 में फाल्गुनी प्रसाद यादव की पत्नी सावित्री देवी लालटेन की लौ जलाने में कामयाब हुईं।
1962 से निर्वाचित विधायक
1962 लखन मूर्मू
1967 श्रीकृष्ण सिंह
1969 श्रीकृष्ण सिंह
1972 चंद्रशेखर सिंह
1977 फाल्गुनी यादव
1980 फाल्गुनी प्रसाद यादव
1985 नरेंद्र सिंह
1990 नरेंद्र सिंह
1995 फाल्गुनी यादव
2000 नरेंद्र ङ्क्षसह
2005 फरवरी अभय सिंह
2005 अक्टूबर फाल्गुनी यादव
2010 सुमित कुमार ङ्क्षसह
2015 सावित्री देवी