Bihar Assembly Elections 2020: कोसी इलाके में अब भी मझधार में अरमानों की कश्ती, मांझी की तलाश में लोग
कोसी में बाढ़ व कटाव की जटिल समस्या का निदान आजतक ओझल ही रहा है। जिले का 12 प्रखंड आज तक सड़क परिवहन की सुविधा से नहीं जुड़ पाया है। लोगों के अरमानों की कश्ती अब भी मंझधार में फंसी हुई है और लोग कुशल मांझी की तलाश में है।
कटिहार [नंदन कुमार झा]। गंगा, कोसी व महानंदा की गोद में बसे कटिहार जिले का समुचित विकास अब भी वादों और घोषणाओं से बाहर नहीं निकल पाया है। बाढ़ व कटाव की जटिल समस्या का निदान आजतक ओझल ही रहा है। कृषि उत्पादन में अग्रणी इस जिले को कृषि आधारित उद्योग की स्थापना नहीं हो पाई है। उद्योग इकाई में संपन्न यह जिला अपनी वीरानगी पर सिसक रहा है। पेयजल से लेकर जलजमाव की की समस्या सभी विस क्षेत्र में है तो मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल व ट्रामा सेंटर का अभाव लोगों को खल रहा है। जिले का 12 प्रखंड आज तक सड़क परिवहन की सुविधा से नहीं जुड़ पाया है। लोगों के अरमानों की कश्ती अब भी मंझधार में फंसी हुई है और लोग कुशल मांझी की तलाश में है।
बाढ़ व कटाव की समस्या का नहीं हो पाया स्थाई निदान
जिले की सबसे गंभीर समस्या बाढ़ व कटाव की है। इसके स्थाई निदान को लेकर हर चुनाव में घोषणा व वादा होता रहा है, लेकिन इस दिशा में पहल नहीं हो पाई है। मनिहारी, अमदाबाद में गंगा व महानंदा हर साल कटाव से लोगों को बेघर कर रही है, तो जिले का 14 प्रखंड हर साल बाढ़ की विभिषिका झेलता है। बाढ़ की विभिषिका पलायन का कारण बनती है, जबकि कटाव के कारण विस्थापितों की लंबी कतार खड़ी है। हर चुनाव में घोषणा के बाद भी इस जटिल समस्या का निदान नहीं हो पाया है।
उद्योग नगरी की वीरानगी पूछ रही सवाल
कभी उद्योग नगरी के तौर पर अपनी अलग पहचान रखने वाले कटिहार की लगभग सभी उद्योग इकाईयां बंद है। आरबीएचएम जूट मिल के साथ प्राइवेट जूट मिल, फ़्लावर मिल सहित एक दर्जन छोटी बड़ी उद्योग इकाईयों पर ताला लटका रहने के कारण यहां रोजगार की समस्या विकराल हो चुकी है। चुनावी वादे में जूट मिल को चालू कराने के साथ ही उद्योग इकाईयों के जीर्णोंद्धार का दावा तो किया जाता है, लेकिन इसे धरातल पर नहीं उतारा जा सका है।
घोषणा तक सिमटा कृषि आधारित उद्योग की स्थापना
कृषि आधारित अर्थव्यवस्था व कृषि क्षेत्र में अव्वल इस क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग की स्थापना प्रमुख मांग रही है और चुनाव के दौरान यह प्रमुख मुद्दा बनता रहा है। मक्का व केला उत्पादन में अग्रणी इस क्षेत्र में केला व मक्का आधारित उद्योग लगाने की घोषणा चुनाव के दौरान बड़े नेताओं की सभा में होता रहा है। इस मुद्दे को लेकर भी किसान अबतक ठगे महसूस कर रहे हैं। कृषि आधारित उद्योग की स्थापना की फिक्र आज तक ओझल ही रही है।
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल व ट्रामा सेंटर निर्माण की नहीं हुई पहल
जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का घोर अभाव यहा की प्रमुख समस्या है। 32 लाख की आबादी वाले इस जिले में एक भी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नहीं है। सदर अस्पताल में स्थापित आईसीयू आजतक चालू नहीं हो पाया है। तीन एनएच से जुडऩे व सड़क दुर्घटना को लेकर संवेदनशील इस जिले में ट्रामा सेंटर निर्माण की घोषणा आजतक अधूरी है। स्वास्थ्य सेवाओं में लोग आजतक ठगे महसूस कर रहे हैं।
सड़क परिवहन को समृद्ध करने की नहीं हुई पहल
सड़क परिवहन को समृद्ध करने की पहल आज तक नहीं हो पाई है। जिले के 12 प्रखंडों में आजतक बस सेवा शुरू नहीं हो पाई है। जबकि पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में भी बस सुविधा का अभाव लोगों को खलता है। जबकि जलजमाव की समस्या से जूझ रहे शहर को इस जटिल समस्या ने निकालने की फिक्र भी ओझल है। जबकि शुद्ध पेयजल की समस्या जिले में अब भी गंभीर समस्या बनी हुई है। लेकिन विकास के दावों के बीच मूलभूत सुविधाओं की फिक्र नहीं दिखना लोगों को खलता है।