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Bihar Assembly Elections 2020: विधायकों के चुनाव में सांसदों का लिटमस टेस्ट, कई विधायकों ने आलाकमान से की शिकायत

इस बार विधानसभा चुनाव में सांसदों को भी परीक्षा देनी पड़ रही है। इस विधानसभा चुनाव के आधार पर अगले लोकसभा चुनाव में सांसदों का भविष्य तय होना है। अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए सांसद अपने दल के प्रत्याशी को जिताने में लगे हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 11:17 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 11:17 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020: विधायकों के चुनाव में सांसदों का लिटमस टेस्ट, कई विधायकों ने आलाकमान से की शिकायत
इसी के आधार पर अगले लोकसभा चुनाव में सांसदों का भविष्य तय होना है।

भागलपुर [संजय सिंह]। चुनाव भले ही विधानसभा का हो रहा हो, लेकिन परीक्षा सांसदों को भी देनी पड़ रही है। इसी के आधार पर अगले लोकसभा चुनाव में सांसदों का भविष्य तय होना है। अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए सांसद अपने दल के प्रत्याशी को जिताने के लिए एंड़ी-चोटी एक किए हुए हैं।

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पिछले चुनाव में जिन लोगों ने टिकट की उम्मीद में सांसद की मदद की थी, उनमें से कई बेटिकट हो गए। ऐसे लोगों से सांसद मुंह चुरा रहे हैं या फिर उन्हें आश्वासनों की घुट्टी पिलाकर उनके आक्रोश को शांत करने में लगे हैं। जिन विधायकों ने लोकसभा के चुनाव में सांसद की मदद नहीं की थी, उन्हें इस चुनाव में सांसद की ओर से खतरा भी महसूस हो रहा है। कहीं-कहीं इसकी शिकायत आलाकमान तक से कर दी गई। आलाकमान से यहां तक कह दिया गया कि चुनाव के बाद बूथवाइज मत प्रतिशत का मिलान किया जाएगा। बांका में पांच विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होने हैं। वहां के सांसद गिरिधारी यादव सुबह से ही चुनाव प्रचार में लग जाते हैं। वे मुख्य रूप से अमरपुर, बांका, कटोरिया विधानसभा क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। मुंगेर के सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह मुख्यमंत्री के साथ प्रचार-प्रसार में लगे हैं। मोकामा, तारापुर व जमालपुर उनकी प्राथमिकता है। सबसे दिलचस्प स्थिति जमुई की है। यहां के सांसद चिराग पासवान लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने तीन विधानसभा क्षेत्रों में स्वयं अपने दल के प्रत्याशी उतारे हैं। झाझा के प्रत्याशी डॉ. रवींद्र यादव कल तक भाजपा में थे। अब वे लोजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। चकाई में लोजपा से संजय मंडल के चुनाव मैदान में आ जाने से अन्य प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ गई है। खगडिय़ा के सांसद चौधरी महबूब अली कैसर भी लोजपा से हैं। खगडिय़ा जिले की चार विधानसभा सीटों में से तीन पर लोजपा ने अपने प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं। कैसर के पुत्र युसूफ सलाउद्दीन राजद के टिकट पर सिमरी बख्तियारपुर से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इस कारण महबूब अली कैसर का ज्यादा ध्यान अपने पुत्र के विधानसभा क्षेत्र पर है। मधेपुरा के सांसद दिनेश चंद्र यादव नामांकन के बाद प्रत्याशियों के पक्ष में वोटरों को गोलबंद करेंगे। कमोवेश यही स्थिति अररिया की भी है। यहां सिकटी, जोकीहाट, फारबिसगंज और नरपतगंज से भाजपा के प्रत्याशी हैं। इन चारों प्रत्याशियों को मदद का जिम्मा सांसद को दिया गया है। किशनगंज के सांसद डॉ. मु. जावेद आजाद पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल से अकेले कांग्रेसी सांसद हैं। सो, इनकी जिम्मेदारी सीमांचल में और बढ़ जाती है। कटिहार में जदयू के सांसद दुलाल चंद गोस्वामी यहां की सातों विधानसभा सीटों पर प्रचार कर रहे हैं। यहां चार सीटें बीजेपी और तीन सीटें जदयू के खाते में आई है। यहां तीन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। राजग की कोशिश है कि कांग्रेस की उपजाऊ भूमि पर राजग की फसल उगाई जाए। भागलपुर में भी कहलगांव और भागलपुर सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। भागलपुर सीट परंपरागत रूप से बीजेपी के खाते में रही है। यहां के सांसद जदयू के अजय मंडल हैं। अजय मंडल ने राजद के बूलो मंडल को पराजित किया था। बूलो इस बार स्वयं बिहपुर से चुनाव मैदान में हैं। ऐसी स्थिति में अजय मंडल कहलगांव, भागलपुर और बिहपुर सीट पर कितना कुछ कर पाते हैं, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। ऐेसे में यह स्पष्ट है कि विधानसभा चुनाव सांसदों की लोकप्रियता की भी परीक्षा लेने वाला है।


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