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Bihar Assembly Elections 2020: लखीसराय में भीड़ और जिंदाबाद के नारे को वोट में बदलना नेताजी के लिए बड़ी चुनौती

लखीसराय में भीड़ और जिंदाबाद के नारे को वोट में बदलना नेताजी के लिए बड़ी चुनौती होगी। सूर्यगढ़ा में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है। राजग में भाजपा के बदले जदयू के खाते में यह सीट गई। पार्टी ने दल के जिलाध्यक्ष रामानंद मंडल को प्रत्याशी बनाया।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 09:25 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 09:25 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020:  लखीसराय में भीड़ और जिंदाबाद के नारे को वोट में बदलना नेताजी के लिए बड़ी चुनौती
सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

लखीसराय, जेएनएन। सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में विगत कई चुनावों में आमने-सामने का रहा मुकाबला इस बार त्रिकोणीय हो गया है। राजग में भाजपा के बदले जदयू के खाते में यह सीट गई। पार्टी ने दल के जिलाध्यक्ष रामानंद मंडल को प्रत्याशी बनाया। इस निर्णय के बाद पार्टी के अंदर भूचाल सा आ गया। पार्टी के टिकट के प्रबल दावेदार रविशंकर प्रसाद सिंह उर्फ अशोक ङ्क्षसह लोजपा की टिकट से चुनावी मैदान में कूद पड़े। इसके बाद जदयू की मुश्किल और बढ़ गई। सवर्ण मतदाताओं के साथ ही भाजपा वोटरों का झुकाव अशोक ङ्क्षसह की तरफ होने लगा।

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मुंगेर के सांसद ललन सिंह की भी बढने लगी हैं मुश्किलें 

ऐसे में मुंगेर के सांसद ललन सिंह की मुश्किलें बढ़ती दिखने लगी। उन्हें अपना वोट बैंक अपने दल के प्रत्याशी में शिफ्ट कराने की चुनौती से जूझना पड़ रहा है। अतिपछड़ा समाज से आने वाले जदयू प्रत्याशी अपने समाज के अलावा नीतीश कुमार के कामकाज के आधार के वोट बैंक को लेकर आशान्वित हैं लेकिन वोटों की सेंधमारी से परेशान हैं। उधर राजद प्रत्याशी प्रहलाद यादव अपने एमवाइ समीकरण के साथ ही पांच साल के कार्यकाल को वोट का आधार मानकर खुद को बादशाह मान रहे हैं। लोजपा और जदयू प्रत्याशी के बीच घमासान एक दूसरे की वोट को अपने पक्ष में करने के लिए जारी है। जदयू प्रत्याशी के पक्ष में सांसद ललन ङ्क्षसह ने कमान संभाल रखे हैं। गुरुवार को उन्होंने पीरी बाजार जोन के अलावा पिपरिया प्रखंड क्षेत्र में जनसंपर्क और नुक्कड़ सभा किया। काफी भीड़ और जिंदाबाद के नारों के बीच रामचंद्रपुर की सभा में लोगों ने उन्हें पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में वोट करने के प्रति आश्वस्त किया। लेकिन, भीड़ और जिंदाबाद के नारे वोट में बदल जाएंगे यह तो समय बताएगा। चूंकि जातीय गोलबंदी में उलझे मतदाता क्या निर्णय लेंगे इसका खुलासा तो मतदान के बाद मतगणना के दिन ही हो सकेगा।


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