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Bihar Election 2020: बिहार में RJD तलाश रहा नया वोट बैंक, BSP के कोर वोटर को तोड़ने का बनाया प्लान

Bihar Assembly Election 2020 बिहार में राष्‍ट्रीय जनता दल एवं बहुजन समाज पार्टी की सियासी अदावत के बीच तेजस्वी यादव आक्रमक मोड में नजर आ रहे हैं। इसके पीछे एक कारण समाजवादी पार्टी से बिना शर्त मिला समर्थन भी बताया जा रहा है।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 05:33 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 10:52 AM (IST)
Bihar Election 2020: बिहार में RJD तलाश रहा नया वोट बैंक, BSP के कोर वोटर को तोड़ने का बनाया प्लान
आरजेडी नेता तेजस्‍वी यादव एवं बीएसपी सुप्रीमो मायावती। फाइल तस्‍वीरें।

पटना, अरविंद शर्मा। Bihar Assembly Election 2020: बिहार में राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सियासी अदावत का आगाज हो चुका है। लोकसभा चुनाव के पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने लखनऊ जाकर मायावती (Mayawati) से सहयोग-समर्थन मांगा था। तालमेल के तहत बिहार में बीएसपी को एक सीट देने की बात भी हुई थी, परंतु यह समझौता परवान नहीं चढ़ सका। अब विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में दोनों दलों की शुरुआत ही दुश्मनी से हुई है।

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तल्‍ख हुए तेजस्‍वी व मायावती के रिश्‍ते

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पहले तो बीएसपी के साथ आरजेडी के तालमेल की गुंजाइश को खत्म कराया फिर उसके बिहार प्रदेश अध्यक्ष को अपने कुनबे में शामिल कर लिया। मायावती और तेजस्वी के तल्ख रिश्ते को उत्‍तर प्रदेश (UP) में समाजवादी पार्टी (SP) से बीएसपी की दोस्ती टूटने की अभिव्यक्ति माना जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी से अलग चुनाव लड़ने वाली एसपी ने अबकी आरजेडी को बिना शर्त समर्थन दे रखा है।

अभी और बढ़ सकती है कड़वाहट

बीएसपी और आरजेडी के बीच की कड़वाहट अभी और बढ़ सकती है, क्योंकि पार्टी तोड़ने के बाद तेजस्वी ने बिहार में मायावती की बुनियाद पर प्रहार शुरू कर दिया है। बीएसपी के वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास करते हुए नेता प्रतिपक्ष टिकट वितरण में सबसे ज्यादा उस जमात को तरजीह दे रहे हैं, जिसे मायावती प्रभावित होने का दावा करती हैं।

बीएसपी के वोटर पर आरजेडी की नजर

आरजेडी ने अभी तक अपने हिस्से की सभी सीटों के प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। पहले एवं दूसरे चरण की सीटों के लिए अनुसूचित जाति के जितने भी दावेदारों को सिंबल दिए गए हैं, उनमें सबसे ज्यादा रविदास जाति के आठ प्रत्याशी हैं। दूसरे नंबर पर पासवान प्रत्याशी हैं। इस जाति के अभी तक चार को आरजेडी ने सिंबल दिया है। मुसहर से तीन एवं पासी समाज से सिर्फ दो प्रत्याशी हैं। जाहिर है, आरजेडी की नजर में बीएसपी के कोर वोटर हैं। तेजस्वी किसी भी हाल में बिहार में बीएसपी की मौजूदगी को अपने पक्ष में करने की कोशिश में हैं। इसी फॉर्मूले के तहत उन्होंने पूर्व मंत्री एवं जनता दल यूनाइटेड (JDU) के वरिष्ठ नेता रमई राम (Ramai Ram) को बोचहां से टिकट थमा दिया है, जबकि कुछ दिन पहले तक वे आरजेडी के सदस्य भी नहीं थे।

अपने विधायकों की भी परवाह नहीं कर रहे तेजस्‍वी

मायावती के समर्थक जमात को संतुष्ट करने के लिए तेजस्वी अपने सिटिंग विधायकों की भी परवाह नहीं कर रहे हैं। गड़खा के राजद विधायक मुनेश्वर चौधरी का टिकट काटकर उनकी जगह पर रविदास जाति के सुरेंद्र राम को प्रत्याशी बना दिया गया। यूपी की सीमा से सटे भभुआ, सासाराम एवं गोपालगंज जिले को बसपा की संभावनाओं के लिए उर्वर माना जाता है। बीएसपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भरत बिंद भी भभुआ से विधायक रह चुके हैं। इसके पहले रामचंद्र यादव भी बीएसपी के टिकट पर इस सीट को प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। भरत बिंद को तेजस्वी ने अबकी आरजेडी में शामिल कराने के बाद भभुआ से प्रत्याशी भी बना दिया है।

बिछड़े आधार की भरपाई की भी कोशिश

महागठबंधन (Mahagathbandhan) के पुराने सामाजिक समीकरण को बनाए-बचाए रखने की भी कोशिश है। राजद में टिकट वितरण में महागठबंधन (Grand Alliance) के पुराने साथियों के बिछड़ने से होने वाली कमी की भी भरपाई की जा रही है। इसीलिए जातीय क्षत्रपों की जाति को संतुष्ट करने की पहल की जा रही है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) एवं विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) की जाति के लोगों को भी टिकट वितरण में तरजीह दी जा रही है। मुसहर और मल्लाह जाति से तीन-तीन प्रत्याशी उतारे जा चुके हैं।

उपेंद्र कुशवाहा को भी कमजोर करने की नीति

राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के साथ बीएसपी ने बिहार में गठबंधन कर रखा है। दोनों दल सामाजिक तालमेल के तहत प्रत्याशी उतार रहे हैं। आरजेडी को इसका भी अहसास है, इसलिए पार्टी में रविदास के बाद सबसे ज्यादा आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की जमात के दावेदारों को अहमियत दी जा रही है। अभी तक कोइरी जाति के सात को आरजेडी का सिंबल थमा दिया गया है। आगे भी सिलसिला जारी है।

2015 के विधान सभा चुनाव में मत प्रतिशत

2015 के विधानसभा चुनाव में राजद को 18.35 फीसदी वोट मिले थे। उसको 243 सीटों में से सर्वाधिक 80 सीटें मिली थी। वहीं, बीएसपी को 2.07% मत मिले थे। हालांकि, वह अपना खाता खोलने में नाकाम रही थी। राजद को अगर बीएसपी के कोर वोट बैंक में सफलता मिलती है तो उसको सीटों में कुछ फायदा मिल सकता है। पिछले चुनाव में बीजेपी को सर्वाधिक 24.42 फीसदी मत मिले थे। वह सिर्फ 53 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी। वहीं, जदयू को 16.83 फीसदी मत मिले है और उसने 71 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को 6.66 फीसदी मत मिले थे और वह 27 सीट जीतने में कामयाब रही थी।  


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