Bihar Election 2020: कभी नीतीश के करीबी थे उदय नारायण चौधरी, अब तेजस्वी के साथ मिल कर मांझी को दे रहे टक्कर
Bihar Assembly Election 2020 जदयू से राजनीति में लंबी पारी खेलने वाले उदय नारायण चौधरी कभी नीतीश कुमार के करीबी माने जाते थे। हालांकि वक्त के साथ हालात बदले और अब वह महागठबंधन की तरफ से ताल ठोक रहे हैं।
पटना, जागरण संवाददाता। उदय नारायण चौधरी का जन्म पटना के पास ही मसौढ़ी में हुआ है। उदय नारायण चौधरी को पहचान तब मिली जब उन्होंने 1984 में बंधुआ मंजदूरी के खिलाफ आवाज बुलंद की। इस पर उन्होंने कहा था कि मैं हमेशा से दलित वर्ग के लिए खड़ा हूं। जदयू से राजनीति में लंबी पारी खेलने वाले उदय नारायण चौधरी कभी नीतीश कुमार के करीबी माने जाते थे। हालांकि वक्त के साथ हालात बदले और अब वह महागठबंधन की तरफ से ताल ठोक रहे हैं। चौधरी जद (यू) से एक प्रमुख दलित नेता थे और 1990-95 तक इमामगंज विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद फिर 2000–2015 तक इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से 2015 के चुनाव हार गए थे। इस बार फिर से वह मांझी के खिलाफ गया की इमामगंज सीट से ताल ठोकेंगे। उन्होंने 2005-2015 से बिहार विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इसके साथ ही वे पद संभालने वाले बिहार के पहले दलित शख्स बने थे।
कभी हुआ था उन पर हमला
बता दें कि 2018 की फरवरी में बिहार के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और जदयू नेता उदय नारायण चौधरी पर नवादा जिले में कुछ असमाजिक तत्वों ने हमला कर दिया था। बकौल चौधरी वे वहां से किसी तरह बच कर निकले। हालांकि, प्रशासन ने इस तरह की घटना से इनकार कर दिया था। इस बाबत पूर्व विस अध्यक्ष उदय नारायण ने कहा कि उनपर हमला किया गया। पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया गया। साथ रहे सुरक्षा कर्मी ने बीच बचाव किया, अन्यथा कोई बड़ी घटना हो सकती थी। जान भी जा सकती थी। एनडीए की सरकार में महादलित के असुरक्षित होने का आरोप लगाया था।
क्यों गए थे नवादा
उदय नारायण चौधरी नवादा जिले के अपसड़ गांव में महादलित टोले में एक मांझी की हत्या के बाद मामले की जांच के सिलसिले में वहां पहुंचे थे। इस दौरान उन्हें पीड़ित परिजनों से बातचीत करने से रोका गया। तब उन्होंने उसे नवादा चलने को कहा। उनके इस बात पर कुछ लोगों ने रोका-टोकी की। इसके बाद बात बढ़ते गई और किसी ने उनके ऊपर हाथ चला दिया। मामले को बिगड़ता देख चौधरी वहां से निकल गए।