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Bihar Assembly Election 2020: चंदा जुटाकर मतदाताओं ने प्रयाग चौधरी को लड़ाया था सिकंदरा सीट पर चुनाव

जमुई जिले के सिकंदरा सीट से चुनाव जीतकर प्रयाग चौधरी 1990 में पहुंचे थे पहली बार बिहार विधानसभा। 2000 के विधानसभा चुनाव में तीसरी बार जीते थे चुनाव लालू की सरकार में बनाए गए थे भूमि सुधार मंत्री। उन्हें लोगों का अपार समर्थन प्राप्त था।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 10:27 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 10:27 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020:  चंदा जुटाकर मतदाताओं ने प्रयाग चौधरी को लड़ाया था सिकंदरा सीट पर चुनाव
जमुई के सिकंदरा विधानसभा सीट से चुनाव जीतने वाले पूर्व विधायक स्व. प्रयाग चौधरी की फाइल फोटो

जमुई [विधु शेखर]। बात 1990 की है। सिकंदरा से भाकपा ने प्रयाग चौधरी को उम्मीदवार बनाया था। सिकंदरा के लोगों ने मन बना लिया था कि इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रयाग चौधरी को जीत का सेहरा पहनाकर विधानसभा भेजेंगे और हुआ भी वहीं। वे कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम व जन समर्थन से चुनाव जीत गए और पहली बार बिहार विधानसभा पहुंचे। दरअसल, पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनके लिए इलाके के घर-घर जाकर चंदे एकत्रित किए और उन्हें चुनाव लड़वाया। पार्टी के साथ कार्यकर्ताओं व समर्थक जनता का प्रयास रंग लाया और प्रयाग चौधरी चुनाव जीत गए। भाकपा के जिला सचिव नवल किशोर ङ्क्षसह ने बताया कि चौधरी अत्यंत गरीब परिवार के थे। जब उन्हें चुनाव लड़ाया गया था तब उनके पास पहनने के लिए न ढंग के वस्त्र थे और न ही उनके पांव में जूते या चप्पल। उनकी पत्नी को यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनके पति भी विधायक का चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन जब उनकी आंखों के सामने प्रयाग चौधरी विधायक बन गए तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए थे। चंदे में एकत्रित करीब 30 हजार की राशि से ही उनका कुर्ता सिलवाया गया था व जूते खरीद कर उन्हें दिए गए थे। तत्पश्चात, उनका नामांकन कराया गया था। उन्होंने बताया कि प्रयाग चौधरी बहुत सुलझे हुए सामाजिक कार्यकर्ता थे। गरीबी के झंझावात को झेलते हुए भी वे भाकपा के मुंगेर जिला इकाई के खेत मजदूर यूनियन के सचिव के रूप में कई जिलों व अनुमंडलों के खेत मजदूरों के हित में अच्छा कार्य कर रहे थे। उनकी शैक्षणिक योग्यता नन-मैट्रिक थी। फिर भी जज्बे और जुनून के साथ पार्टी मेनिफेस्टो को अमलीजामा पहनाने में आगे रहते थे। घर घर जाकर चुनाव प्रचार के बल पर 1990 के चुनाव में उन्होंने रामेश्वर पासवान को 15 हजार से अधिक मतों से पराजित कर जीत हासिल की थी। भाकपा ने 1995 के विधानसभा चुनाव में दोबारा उन्हें उम्मीदवार बनाया था। मजदूर और विस्थापितों के अधिकारों की आवाज उठाते हुए उन्होंने उस चुनाव में भी सिकंदरा सुरक्षित सीट से जीत दर्ज की थी। लेकिन 1998 में पार्टी के साथ छल करने के आरोप में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। उसके बाद उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का दामन थाम लिया तथा सन् 2000 के विधानसभा चुनाव में केएसपी से चुनाव लड़े और एमवाइ समीकरण के आधार पर जीत दर्ज कर ली। तब लालू की सरकार में वे भूमि सुधार मंत्री भी बनाए गए थे। लिहाजा समय के साथ प्रयाग चौधरी की गरीबी भी दूर हो गई। हालांकि, जनवरी 2016 में अचानक हृदयाघात से उस समाजसेवी नेता का आकस्मिक निधन हो गया। 

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