Bihar Assembly Election 2020: वायदे का सब्जबाग दिखा ठगे गए आदिवासी समुदाय, दातुन और पत्तल बेचकर कर रहे गुजर-बसर
बांका जिला के बेलहर कटोरिया एवं चांदन प्रखंड जबकि जमुई जिले के झाझा चकाई बारहट लक्ष्मीपुर प्रखंड में आदिवासी समाज के लोगों की संख्या काफी ज्यादा हैं। आज भी इस समाज के ज्यादातर लोग दातुन पत्तल बनाकर अपनी जीविका का निर्वाहन करते हैं।
जमुई [संदीप कुमार सिंह]। आदिवासी समाज की सूरत खासकर बिहार प्रदेश में नहीं सुधरी। बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद इस समाज की स्थिति बिहार में और कमजोर हुई है। चुनाव के दौरान नेताजी इस समाज के लोगों को विकास के वायदे का सब्जबाग दिखा कर सिर्फ और सिर्फ छलने का कार्य किया। आज भी इस समाज के ज्यादातर लोग दातुन, पत्तल बनाकर अपनी जीविका का निर्वाहन करते हैं। जमुई एवं बांका जिले में आदिवासी समाज की संख्या अच्छी खासी हैं।
बांका जिला के बेलहर, कटोरिया एवं चांदन प्रखंड जबकि जमुई जिले के झाझा, चकाई, बारहट, लक्ष्मीपुर प्रखंड में आदिवासी समाज के लोगों की संख्या काफी ज्यादा हैं। बडगोईयां, जेरहीडीह, देवीयाडीह, सतपोखरा, करवाटाँड़, पायझरना, गायबथान, झगड़ाहा, लक्ष्मीपुर, मधुरिया, दिनाठ, कांसा, भदवरिया, लोंगाय, टीटही, घोरपारन, पचपहाड़ी, करमा, ढेकियो, नरगंजो, मयुरनचा, बाराकोला, पटुआ, डहुआ, सलखोडीह, बथनाबरण, चौधरिया आदि सैकड़ों आदिवासी बाहुल्य गांव हैं। आज भी आदिवासी बाहुल्य गांव में शिक्षा का प्रसार - प्रचार उस गति से नहीं हुआ जितना की इस समाज के उत्थान के लिए जरूरत था। लालू नीतीश के शासन काल आए लेकिन इस समाज को विकास के मुख्यधारा में लाने का सिर्फ और सिर्फ ब्यानवाजी के सिवाय कुछ नहीं हुआ। सरकारी स्तर से कैसे इस समाज के लोग शिक्षा कि और मुखातिब हो इसके लिए कोई सार्थक पहल नहीं हुआ। परिणाम स्वरूप आज भी कुछ एक युवा - युवतियों को छोड़ दें तो मैट्रिक, इंटर एवं स्नातक तक की शिक्षा नहीं है इस समाज के युवाओं में। चुनाव के समय नेताजी देश व समाज सुधारने की बात करते है। वोट के लिए बड़े - बड़े सब्जबाग दिखाते है। नेताजी के लिए इस समाज कि दुर्दशा आइना सामान हैं। यह समाज आज भी पारंपरिक एवं पुश्तैनी कार्य से जुड़े है। ईमानदारी एवं एकता इस समाज की अपनी पहचान रही हैं। बड़की मरांडी, सविता मरांडी, प्रीति टुड्डू, मंझली मुर्मू, छोटकी मरांडी, शांति बेसरा, सुष्मिता मुर्मू, बहामुनि, किरण किष्कु, रूपन हांसदा, रामू टुड्डू, बड़का चौड़े कहते है चुनाव के समय नेताजी आदिवासी समाज को विकास के मार्ग में लाने के लिए बड़ी बड़ी बातें करते है लेकिन वास्तविकता के धरातल में आज आदिवासी समाज हरएक ²ष्टि से बहुत ही कमजोर एवं नेतृत्व विहीन हैं।