Move to Jagran APP

Bihar Assembly Constituency 2020: हर चुनाव में केवल झाझा को अनुमंडल और नगर परिषद का दर्जा दिलाने का उठता है मुद्दा

दैनिक जागरण ने झाझा शहर के तालाब रोड स्थित जंतु केसरी की चाय दुकान पर एक चौपाल का आयोजन कर मतदाताओं का नब्ज टटोलने का प्रयास किया। चाय के चुस्की के साथ झाझा को नगर परिषद का दर्जा के मुद्े पर मतदाताओं ने अपने विचार रखे।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 08:53 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 08:53 PM (IST)
Bihar Assembly Constituency 2020:  हर चुनाव में केवल झाझा को अनुमंडल और नगर परिषद का दर्जा दिलाने का उठता है मुद्दा
झाझा में चुनाव एक बार फिर जातीय समीकरण में उलझकर रह गया है।

जमुई, जेएनएन। झाझा में चुनाव एक बार फिर जातीय समीकरण में उलझकर रह गया है। विकास के मुद्े गुम से हो गए हैं। मालूम हो कि झाझा ही एक ऐसा सीट है ,जहां लगातार एनडीए अपनी जीत दर्ज कर रही है। प्रत्येक चुनाव में झाझा को अनुमंडल एवं नगर परिषद का दर्जा दिलाने की बात कही जाती है। चुनाव के खत्म होते ही नेता अपनी वायदे भूल जाते हैं। इसी परिप्रेक्ष में गुरूवार को दैनिक जागरण ने शहर के तालाब रोड स्थित जंतु केसरी की चाय दुकान पर एक चौपाल का आयोजन कर मतदाताओं का नब्ज टटोलने का प्रयास किया। चाय के चुस्की के साथ झाझा को नगर परिषद का दर्जा के मुद्े पर मतदाताओं ने अपने विचार रखे। चौपाल में नेताओं की पोल खुलती नजर आई। कोरोना संक्रमण काल के दौरान आई समस्या एवं राशन की कील्लत का दर्द छलक उठा। जनता की समस्या पर नेताओं की नजर नहीं है ।चाहे वह पक्ष के नेता हों या विपक्ष के। नगर पंचायत में जलजमाव के अलावा रेलवे तालाब का पानी की निकासी का कोई विकल्प आदि समस्याओं को रखा। नगर परिषद होने पर इन बड़ी समस्या से निजात मिल सकती है। शहरवसियों को कई सुविधाओं में इजाफा होगा। कई ने जनप्रतिनिधि पर वायदे पूरा नहीं करने का अरोप लगाया तो कई ने नगर पंचायत की व्यवस्था पर ही प्रश्नचिन्ह खड़े किए। नगर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा मिलने की घोषणा हुई। बावजूद नगर परिषद का दर्जा नहीं मिला। जिसका मलाल नगर वासियों को है। जबकि नगर पंचायत इनदिनों नगर परिषद के प्रत्येक मापदंड पूरा कर रहा है। 1967 में नगर पंचायत की स्थापना हुई है। उस समय की आबादी दस हजार के करीब था। नगर पंचायत को पूर्ण दर्जा मिला तो उस समय 25 हजार की आबादी थी। वर्तमान में नगर पंचायत में 22 वार्ड हैं। अब नगर पंचायत की आबादी 41 हजार से अधिक हो गई है। सूबे के कई नगर विकास मंत्री ने नगर परिषद बनाने की घोषणा की लेकिन आज तक सिर्फ चुनावी मुद बनकर रह गया है। नगर बोर्ड के सदस्यों ने भी वर्षो से नगर परिषद की मांग कर रखी है।

loksabha election banner

नगर परिषद का मुद शहरवासियों के जेहन में है। हर चुनाव में नेता नगर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा देने की बात करते हैं। जबकि हकीकत कुछ और है। कोरोना काल में कोई नेता लोगों को देखने तक नहीं आया। बाबुबांक के कई परिवार को राशन कार्ड तक नहीं है। बरसात के दिनों में घरों में पानी जमा हो जाता है। नगर पंचायत का नाला टूटा पड़ा हुआ है। रेलवे तालाब के पानी की निकासी का कोई पहल नहीं किया गया है। नगर परिषद बनने के बाद इन बड़ी समस्याओं से निजात मिल सकती है। इस चुनाव में नगर परिषद का मुद के अलावा विकास का मुद रहेगा। नल जल योजना का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है।

संजय केसरी, बाबुबांक

चुनाव में विकास के मुद्े पर ही मतदाता अपना मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जातीय समीकरण ध्वस्त होगा। नगर पंचायत इन दिनों नगर परिषद के प्रत्येक मापदंड पूरा कर रहा है। इसको नगर परिषद का दर्जा कब का मिल जाना चाहिए था। नगर परिषद के बनने से शहरवासियों की सुविधा में वृद्धि होगी। साथ ही स्वच्छ एवं सुदंर शहर देखने को मिलेगा। उन्होने कहा कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनना चाहिए। नगर पंचायत एक संस्था है। ऐसी संस्था को आगे बढ़ाने की जरूरत है। देश से लेकर राज्य लगातार आगे बड़ रहा है जबकि झाझा अभी भी विकास के मामले में पीछे चल रहा है। जिसपर नेताओं को ध्यान देने की जरूरत है। -मदन टेंडसी, मुख्य बाजार

पांच साल पहले नगर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा मिलने की बात कही गई थी। चुनावी मौसम में नेताओं के द्वारा नगर पंचायत को नगर परिषद बना दिया जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि इस ओर नेताओं का कोई दिलचस्पी ही नहीं है। प्रत्येक चुनाव में नेता जीत कर एवं हार कर जाते है ंऔर झाझा को अनुमंडल एवं नगर परिषद का दर्जा दिलाने की बात भूल जाते हैं। चुनाव के दौरान मतदाता एक बार फिर नेताओं को अपनी पुराने वायदे की याद ताजा कर अपने मताधिकार का प्रयोग करते है।

-रोहित केसरी, शिव बाजार

चुनाव के दौरान नगर परिषद चुनावी मुद रहेगा। नगर परिषद का दर्जा मिलने से शहर का सौर्दय करण से लेकर विकास को गति प्रदान होगी। गली नली से लेकर स्वचछता पर विशेष जोर दिया जायेगा। विगत दस वर्षो से नगर परिषद की मांग की जा रही है। हर बार नेता आश्वासन देते है। लेकिन आगे कुछ नहीं होता।

हरि प्रसाद, पुरानी बाजार

रेल नगरी झाझा के विकास कार्यों पर जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं गया। झाझा को अनंमुडल एवं नगर परिषद की मांग वर्षाें से की जा रही है। जो जनप्रतिनिधि जीत के जाते हैं,वह पांच साल मतदाता के समक्ष नहीं आते हैं। कोरोना काल में कोई सुविधा नहीं मिला है। और न ही राशन की व्यवस्था की गई। उन्होने नीतीश कुमार के विकास कार्यो पर संतोष व्यक्त किया।

नंदलाल शर्मा, वार्ड 9


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.