Bihar Assembly Election: मांझी का बिहार-झारखंड में महागठबंधन से किनारा, गरमाई सियासत
Bihar Assembly Election विधानसभा चुनाव के पहले बिहार में महागठबंधन दो-फाड़ नजर आ रहा है। इसकी शुरुआत जीतनराम मांझी ने की है। क्या है मामला जानिए इस खबर में।
पटना [जागरण टीम]। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के पहले ही महागठबंधन (Grand Alliance) में दरार पड़ती नजर आ रही है। महागठबंधन के सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) ने एलान कर दिया है कि बिहार और झारखंड विधानसभा का चुनाव पार्टी अपने दम पर अकेले ही लड़ेगी। पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने यह बड़ा फैसला किया है। उधर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मांझी का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में स्वागत किया है तो कांग्रेस को अभी भी भरोसा है कि मांझी मान जाएंगे।
जीतनराम मांझी ने लगाया ये आरोप
जीतनराम मांझी ने आरोप लगाया है कि उनके बार-बार कहने के बाद भी महागठबंधन में काे-ऑर्डिनेशन कमेटी (Co-ordination Committee) का गठन नहीं हो पाया। इस वजह से गठबंधन के सहयोगियों में तालमेल का अभाव है। ऐसी स्थिति में अकेले चुनाव लडऩा ही बेहतर होगा।
महागठबंधन से अलग चुनाव लड़ेगा 'हम'
उन्होंने कहा कि बिहार के साथ ही झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election) में भी पार्टी स्वतंत्र रूप से किस्मत आजमाएगी। झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से कौन-कौन प्रत्याशी होंगे इसका फैसला 10 नवंबर को लिया जाएगा। झारखंड चुनाव की आगे की गतिविधियां संचालित करने के लिए उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव संतोष कुमार सुमन को अधिकृत किया है।
मांझी के बयान के बाद सियासत गर्म
मांझी के इस बयान के बाद बिहार में सियासत गर्म हो गई है। बीजेपी सांसद आरके सिंह ने कहा कि मांझी का एनडीए में स्वागत है। उधर, कांग्रेस नेता अखिलेश सिंह ने कहा कि मांझी महागठबंधन में ही हैं। आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि मांझी को-ऑर्डिनेशन कमेटी चाहते हैं। ऐसा ही होगा। रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि बीजेपी से मुकाबला के लिए सभी को एकजुट होना होगा।
एनआरसी को ले कही ये बात
मांझी ने बताया कि बिहार में एनआरसी (NRC) लागू होने की स्थिति में दलित-मुस्लिम एकता (Dalit-Muslim Unity) कायम करने के लिए पार्टी कार्य करेगी। मांझी ने सदस्यता अभियान जारी रखते हुए 30 दिसंबर तक हर हाल में बूथ स्तरीय कमेटी गठित करने की भी बात कही। ली जाए। ऐसा नहीं करने वाले नेता 30 दिसंबर के बाद अध्यक्ष नहीं रहेंगे।