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जीते तो बांग्लादेशी हिंदुओं को तीन माह में देंगे नागरिकता: राजनाथ सिंह

असम में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा ऐलान कर दिया। घुसपैठ रोकने के लिए उन्होंने जहां बांग्लादेश से जुड़ी

By MMI TeamEdited By: Published: Tue, 26 Apr 2016 11:24 AM (IST)Updated: Tue, 26 Apr 2016 11:30 AM (IST)
जीते तो बांग्लादेशी हिंदुओं को तीन माह में देंगे नागरिकता: राजनाथ सिंह

असम में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा ऐलान कर दिया। घुसपैठ रोकने के लिए उन्होंने जहां बांग्लादेश से जुड़ी सीमा की पूरी तरह नाकाबंदी करने का पहले ही वादा किया था। अब शनिवार को उन्होंने दो चुनावी रैलियों में ऐलान किया कि यदि असम में भाजपा की सरकार बनी तो बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों यानी हिंदुओं, बौद्धों या सिखों आदि को तीन माह के भीतर डिटेंशन कैंपों से आजादी दी जाएगी।

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गौरतलब है कि पिछले 18 वर्षो में फिलहाल असम में उग्रवाद की घटनाओं में सबसे ज्यादा कमी आई है। घुसपैठ से असम की सिर्फ जनसंख्या असंतुलन की ही समस्या नहीं जुड़ी है। सुरक्षा से लेकर विकास और रोजगार जैसे मुद्दों से भी असम जूझ रहा है। गृह मंत्री ने घुसपैठ को पूरी तरह रोकने के वादे के लिए उठाए गए कदमों के साथ-साथ असम के विकास और युवाओं को रोजगार को भी जोड़ा।

असम की जिस होजइ विधानसभा क्षेत्र में राजनाथ आए थे, वह बंगाली बहुल इलाका है। साथ ही यहां पर बांग्लादेश से आए शरणार्थी हिंदू भी खासी तादाद में हैं। उन्हें यहां की नागरिकता मिलना और आम आदमी की तरह जीवन मुहैया कराने का बड़ा मुद्दा है। इसीलिए, उन्होंने पिछले साल सितंबर में केंद्र की तरफ से उन्हें राहत देने के लिए जारी की गई अधिसूचना का जिक्र भी किया।

उस अधिसूचना के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों हिंदू, बौैद्ध, ईसाई आदि जो भारत में शरणार्थी के तौर पर रहे हैं, उनके लिए बड़ा फैसला किया था। उन्हें दीर्घ अवधि वीजा में सहूलियतों के साथ-साथ नागरिकता देने का भी प्रावधान है। अभी उन्हें सरकारी नौकरियों से लेकर आम भारतीय जैसा जीवन बिताने का हक नहीं है।

राजनाथ ने कहा कि अभी भी डिटेंशन कैंपों में रह रहे ऐसे अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के लिए असम की सरकार जिम्मेदार है जो केंद्र की अधिसूचना को अपने यहां लागू नहीं कर रही है। गृह मंत्री ने ऐलान किया कि यदि असम में भाजपा की सरकार आई तो तीन माह में यह समस्या समाप्त होगी। असम से तीन माह में सारे डिटेंशन कैंप समाप्त होंगे। जाहिर है कि नजरबंदी में रहने को अभिशप्त असम में बंगाली हिंदुओं के बीच ही नहीं, बल्कि बहुसंख्यक समुदाय में इसका बड़ा असर होगा।

नई दिल्ली में भले ही भारत माता की जय बोलने या न बोलने को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा हो, लेकिन असम के मुसलिम बहुल इलाकों में यह मुद्दा ही नहीं है। चेंगा विधानसभा में 70 फीसद से ज्यादा मुसलिम हैं। यहां पर भाजपा कभी भी नहीं जीती, लेकिन इस दफा यहां भी बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली एआइयूडीएफ में बगावत से भाजपा लड़ाई में आ गई है।

राजनाथ जब यहां पहुंचे तो उनके स्वागत में 80 फीसद से ज्यादा मुसलिम समुदाय के लोग थे। महिलाओं और युवाओं की बहुतायत वाली इस भीड़ ने राजनाथ के पहुंचते ही 'भारत माता की जय' के गगनभेदी नारे लगाकर मानों दिल्ली वाले नेताओं को इस पर सियासत न करने का संदेश दिया।

राजनाथ ने यहां उम्मीदवार के समर्थन में एआइयूडीएफ के बागी पूर्व विधायक लियाकत अली खान और एक अन्य पूर्व विधायक मुख्तार हुसैन को अपने साथ खड़ा कर जनता से संबोधन किया। इसका खासा असर भी यहां देखा गया। गौरतलब है कि सवा लाख से कुछ कम वोटरों वाली इस विधानसभा में 83000 मुसलिम मतदाता हैं, लेकिन यहां अच्छी रैली और मुसलिम नवयुवकों का जोश भाजपा का उत्साह बढ़ा गया है।


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