तृणमूल कांग्रेस देश की सात राष्ट्रीय पार्टियों में एक है। हालांकि इसका मुख्य प्रभाव क्षेत्र पश्चिम बंगाल है, जहां लगातार दूसरी बार इसकी सरकार बनी है। 26 वर्षों तक कांग्रेस में रहने के बाद ममता बनर्जी ने 1 जनवरी 1998 को इसका गठन किया था। बनर्जी पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री भी हैं। बनर्जी केंद्र में दो बार रेलवे मंत्री रहने के साथ ही कई अन्य विभागों की मंत्री भी रह चुकी हैं। 34 लोकसभा सांसदों के साथ संसद के निचले सदन लोकसभा में इस समय यह चौथी सबसे बड़ी पार्टी है। ममता के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में लगातार 34 वर्षों तक शासन करने वाली कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी की लेफ्ट फ्रंट सरकार को शिकस्त दी थी।
मुनमुन सेन
बांकुरा
दिनेश त्रिवेदी
बैरकपुर
अपरूपा पोद्दार
आरामबाग
सुगत बोस
जादवपुर
अली इदरिस
बसीरहाट
कल्याण बनर्जी
श्रीरामपुर
शिशिर कुमार अधिकारी
कांथी
अभिषेक बनर्जी
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रेणुका सिन्हा
कूच बिहार
सुवेन्दु अधिकारी
तामलुक
शताब्दी राय
बीरभूम
सुदीप बंदोपाध्याय
कोलकाता उत्तर
मृगंक महतो
पुरूलिया
अनुपम हाज़रा
बोलपुर
अधिकारी दीपक देव
घाटल
ममताज संघमिता
बर्धमान-दुर्गापुर
संध्या रॉय
मेदिनीपुर
दसरथ टिर्की
अलीपुरद्वार
विजय चन्द्र बर्मन
जलपाईगुड़ी
“प्रधानमंत्री की जाति कैसे प्रासंगिक है? उन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। उन्होंने केवल विकासात्मक राजनीति की है। वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं। जो लोग जाति के नाम पर गरीबों को धोखा दे रहे हैं वे सफल नहीं होंगे। ऐसे लोग जाति की राजनीति के नाम पर केवल दौलत बटोरना चाहते हैं। बीएसपी या आरजेडी के प्रमुख परिवारों की तुलना में प्रधानमंत्री की संपत्ति 0.01 फीसद भी नहीं है।„
अन्य बयान“मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं। मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा खिलाफ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझ में सिमी और बजरंग दल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।„
अन्य बयान“हमारे किसान हमारी शक्ति और हमारा गौरव हैं। पिछले पांच साल में मोदी जी और भाजपा ने उन्हें बोझ की तरह समझा और व्यवहार किया। भारत का किसान अब जाग रहा है और वह न्याय चाहता है„
अन्य बयान“आज भारत दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रहा है, लेकिन कांग्रेस, डीएमके और उनके महामिलावटी दोस्त इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे मुझसे नाराज हैं„
अन्य बयान“जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लालू जी से मिलने उनके और तेजस्वी यादव के आवास पर पांच बार आए थे। नीतीश कुमार ने वापस आने की इच्छा जताई थी और साथ ही कहा था कि तेजस्वी को वो 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और इसके लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दें।„
अन्य बयान