कांग्रेस के सांसद शशि थरूर के इस बेजा बयान पर हंगामा होना ही था कि अगर 2019 के आम चुनाव में भाजपा जीतती है तो भारत हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा। हालांकि वह पहले भी इस तरह की बातें करते रहे हैं कि भारत का हिंदू पाकिस्तान जैसा बनने से बचना चाहिए, लेकिन इस बार वह हद लांघकर यह कह गए कि भाजपा के फिर सत्ता में आने पर भारत की स्थिति वैसी ही होगी जैसी आज पाकिस्तान की है। चूंकि शशि थरूर इतिहास के साथ अंतरराष्ट्रीय मामलों के भी जानकार हैं और वह पाकिस्तान का दौरा भी कर चुके हैं इसलिए वह इससे अच्छी तरह अवगत होंगे कि इस देश की स्थिति और साथ ही उसकी छवि कैसी है? पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए न तो कोई मान-सम्मान है और न ही स्थान। वह आतंकी संगठनों को पालने-पोसने और उनके साथ मिलकर काम करने के लिए पूरी दुनिया में बदनाम है। समझना कठिन है कि शशि थरूर को भाजपा के प्रति अपना विरोध भाव दर्ज कराने के लिए हिंदू पाकिस्तान जैसा शर्मनाक जुमला ही क्यों ठीक लगा?

नि:संदेह यह नहीं माना जा सकता कि वह इस जुमले को उछालने के नतीजों से अनजान रहे होंगे, क्योंकि वह अपने बयान की व्याख्या करने के साथ ही उसे उचित बताने में लगे हुए हैं। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि उन्होंने तुष्टीकरण की राजनीति के तहत ऐसा बयान दिया। तुष्टीकरण की ऐसी राजनीति खतरनाक ही नहीं, देश को बदनाम करने वाली भी है। उनका बयान महज सनसनीखेज ही नहीं है। यह देश और खासकर हिंदू समाज को नीचा दिखाने वाला भी है। खराब बात यह है कि वह अपने आपत्तिजनक बयान पर कायम रहने में ही अपना भला देख रहे हैं। शायद वह इससे भी अनभिज्ञ ही रहना चाहते हैं कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने भगवा आतंकवाद का जुमला उछालकर पार्टी के समक्ष कैसी मुसीबत खड़ी की थी?

शशि थरूर महज एक नेता ही नहीं हैं। वह लेखक और विचारक के तौर पर भी जाने जाते हैं। उनसे यह बिल्कुल भी अपेक्षित नहीं था कि वह इतनी बेतुकी बात बोलेंगे। उन्होंने एक खराब और गैर जरूरी बयान दिया, इसकी पुष्टि इससे होती है कि खुद उनकी पार्टी कांग्रेस ने उनके बयान से पल्ला झाड़ लिया। यह देखना दयनीय है कि बुद्धिजीवी नेता माने जाने वाले शशि थरूर ने खुद को मणिशंकर अय्यर और संजय निरूपम की पंक्ति में खड़ा कर लिया। हिंदुत्व के नाम पर उग्रता दिखाने और जब-तब कानून हाथ में लेने वालों की हरकतों पर शशि थरूर की चिंता समझ में आती है, लेकिन एक तो इन सबको भाजपा से नहीं जोड़ा जा सकता और दूसरे ऐसे तत्वों की गतिविधियां नई नहीं हैं। यह अवश्य है कि सोशल मीडिया के इस दौर में उनकी कथनी और करनी कहीं ज्यादा प्रचार पाती है। ऐसे तत्व सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपनी सक्रियता दर्ज कराने में भी सफल हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे भाजपा की मदद से भारत को पाकिस्तान जैसा बनाने में जुटे हुए हैं। यह अजीब है कि एक अर्से से खुद सोशल मीडिया में सक्रिय शशि थरूर उसके असर से अपरिचित दिखे।